Lucknow Bengali Club Durga Puja: ऐसा क्लब जहाँ सुभाष चंद्र बोस भी एक बार आये थे, 100 साल पुराना है इतिहास

Bengali Club Durga Puja Lucknow: बंगाली क्लब की वेबसाइट के अनुसार इस यह क्लब की स्थापना का श्रेय अतुल कृष्ण सिन्हा को जाता है। वो बंगाली प्रदर्शन कला और इनडोर खेलों के लिए एक जगह स्थापित करना चाहते थे।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 20 Oct 2023 3:00 AM GMT (Updated on: 20 Oct 2023 3:00 AM GMT)
Bengali Club Durga Puja Lucknow
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Bengali Club Durga Puja Lucknow (Image credit: social media)

Bengali Club Durga Puja Lucknow: लखनऊ में बंगाली क्लब बीते 130 सालों से दुर्गा पूजा का उत्सव मनाते आ रहा है। बंगाली क्लब और यंगमेन एसोसिएशन की स्थापना 29 सितंबर, 1892 को हुई थी। यह क्लब अपने स्थापना के दिन को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाता है।

किसने की क्लब की स्थापना

बंगाली क्लब की वेबसाइट के अनुसार इस यह क्लब की स्थापना का श्रेय अतुल कृष्ण सिन्हा को जाता है। वो बंगाली प्रदर्शन कला और इनडोर खेलों के लिए एक जगह स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर इस क्लब की स्थापना की, जो आज लखनऊ का एक प्रतिष्ठित बंगाली संस्थान है और हर तरह से कला प्रदर्शन के लिए एक मंच है।


कैसे मिली इसे अपनी जगह

क्लब की वेबसाइट के अनुसार आपको बता दें कि शुरुआत में यह क्लब मनिन्द्र कृष्ण बसु के घर में स्थित था, जहाँ से यह हेवेट रोड पर श्री चटर्जी के आवास में स्थानांतरित हो गया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, शिवाजी मार्ग पर जाने से पहले क्लब को फिर से प्रसिद्ध विद्यांतो बोन्शो के घर और फिर सुंदर बाग में स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन अतुल कृष्ण सिन्हा बहुत खुश नहीं थे, क्लब को उचित मान्यता मिलने के बावजूद, उनका सपना पूरी तरह से बंगाली क्लब परिसर को समर्पित एक स्वतंत्र स्थान बनाना था। बहुत जल्द ही एक प्रसिद्ध व्यवसायी सालिग्राम और उनके सहयोगियों की मदद से, अतुल कृष्ण सिन्हा हेविट रोड पर एक जगह खरीदने में सक्षम हुए जो कि वर्तमान शिवाजी मार्ग है। 1914 में क्लब की आधारशिला रखी गई और क्लब की स्थापना में मदद करने वालों के नाम पत्थर पर अंकित हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सदस्य मणिंद्र कृष्ण बसु, शारदा प्रसाद बंधोपाध्याय, शरत चंद्र बंधोपाध्याय, नागेंद्र कृष्ण बसु और देबेंद्र कृष्ण बसु थे। प्रारंभ में केवल एक बड़ा कमरा (वर्तमान में टेबल टेनिस कक्ष) और एक मंच था और सबसे पहली श्री श्री दुर्गा पूजा 1914 में श्री अतुल कृष्ण सिन्हा द्वारा शुरू की गई थी। यह उत्सव भव्य था और आज तक वैसा ही चल रहा है।

यहाँ आये थे सुभाष चंद्र बोस

अपनी स्थापना के बाद से, कई गणमान्य व्यक्तियों ने क्लब का दौरा किया है। क्लब के लिए सबसे बड़ा दिन वो था जब 20 नवंबर, 1938 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने क्लब का दौरा किया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जो लखनऊ से सांसद भी थे, इस क्लब में जरूर जाया करते थे। इसके अलावा भी लखनऊ के कई नेताओं और प्रतिष्ठित व्यक्ति दुर्गा पूजा के अवसर पर क्लब का दौरा करते रहते हैं। बंगाली क्लब में दुर्गा पूजा उत्सव ब्रिटिश शासन के दौरान जीवित रहने वाली एकमात्र मौजूदा पूजा है, जो इसे लखनऊ में सबसे पुराना दुर्गा पूजा उत्सव बनाती है।

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Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

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