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Lucknow Bhool Bhulaiya: लखनऊ की इस भूल भुलैया में जमकर लें आनंद, यहां जानें सारी डिटेल्स

Lucknow Bhool Bhulaiya : अगर आप घूमने फिरने की जगह की तलाश कर रहे हैं तो आज हम आपको एक शानदार भूल भुलैया के बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 14 July 2024 10:50 AM IST
Lucknow Bhool Bhulaiya
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Lucknow Bhool Bhulaiya (Photos - Social Media)

Lucknow Bhool Bhulaiya : घूमने फिरने के लिए सभी दिलचस्प जगह की तलाश करते हैं। अगर आप भी किसी शानदार जगह पर जाना चाहते हैं तो आज हम आपको एक भूल भुलैया के बारे में बताते हैं। ये भूल भुलैया का आकर्षण लोगों को अपनी ओर खींचता है क्योंकि इसमें रास्ता ढूंढना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। यह एक खेल की तरह है, जो हर उम्र के लोगों को पसंद आता है, विशेषकर बच्चों को। वीकेंड पर ऐसी जगह घूमना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह न केवल मनोरंजक है, बल्कि मानसिक सक्रियता और ताजगी भी लाता है। बच्चों के लिए यह एक मस्ती और सीखने का अवसर होता है, जहां वे मजे करते हैं। इस भूल भुलैया से बाहर निकलने के चार रास्ते हैं, जो इसे और भी दिलचस्प बनाते हैं। अंदर जाते ही रास्ता ढूंढने की कठिनाई इसे दिलचस्प बना देती है।

ऐसी है भूल भुलैया (Bhool Bhulaiya Look Like This)

भूल भुलैया में प्रवेश करते ही आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आप दीवारों के एक जटिल जाल के अंदर घुस गए हैं, जहां हर दीवार एक जैसी दिखती है। इन दीवारों की बनावट इतनी पतली और संकरी होती है कि आपको रास्ता पहचानने में मुश्किल होगी। लेकिन इसकी रचना इतनी कुशलता से की गई है कि अंदर घुटन का अहसास नहीं होता। लखनऊ में स्थित भूल भुलैया, जिसे बड़ा इमामबाड़ा के नाम से भी जाना जाता है, एक अद्वितीय वास्तुकला का नमूना है। इसका निर्माण नवाब असफ़-उद-दौला ने 1784 में करवाया था। इस इमारत का मुख्य आकर्षण इसका भूल भुलैया है, जो पर्यटकों को रोमांच और आश्चर्य से भर देता है।

Lucknow Bhool Bhulaiya


ऐसी है डिजाइन (This is The Design)

भूल भुलैया की दीवारें और गलियां इस प्रकार से डिज़ाइन की गई हैं कि वे एक दूसरे से मिलती-जुलती दिखती हैं, जिससे इसमें प्रवेश करने वाला व्यक्ति भ्रमित हो जाता है। इसमें 1024 रास्ते हैं, लेकिन सही रास्ता केवल एक ही है। इसमें छोटे-छोटे गलियारे, संकरे रास्ते और सीढ़ियां हैं, जो इसे और भी रोमांचक बनाते हैं। बड़ा इमामबाड़ा न केवल अपनी वास्तुकला के लिए बल्कि अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यह नवाबों के समय की समृद्धि और कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ एक बड़ा हॉल भी है, जिसमें बिना किसी बीम के विशाल छत बनाई गई है, जो स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है।

Lucknow Bhool Bhulaiya



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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