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Charbagh Railway Station: शतरंज जैसा है लखनऊ का ये रेलवे स्टेशन, जानें सारी डिटेल्स

Lucknow Charbagh Railway Station History: लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन देश का सबसे व्यस्त स्थान सुंदर और बड़ा रेलवे स्टेशन है। चलिए आज आपको इसके बारे में जानकारी देते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 2 April 2024 10:33 AM IST
Lucknow Railway Station
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Lucknow Railway Station (Photos Social Media) 

Charbagh Railway Station History: चारबाग रेलवे स्टेशन देश के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से आता है। जहां से बड़ी संख्या में रेल यात्री सफर करते हैं। यह देश का सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशन है और इसका इतिहास से भी गहरा नाता है। अच्छा मैं पहले इसका रिनोवेशन भी किया गया है और यह देश के सबसे खूबसूरत और सुंदर रेलवे स्टेशन में से एक है। चलिए आज आपको इसके बारे में सब कुछ बताते हैं।

70 लाख में हुआ चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण

इस स्टेशन का निर्माण 70 लाख की कीमत पर हुआ था। जिसका मूल्य अब 2021 में 2 मिलियन डॉलर या 14 करोड़ रुपये है। लखनऊ चारबाग का डिज़ाइन जेएच हॉर्निमन ने किया था। रेलवे स्टेशन की नींव मार्च 1914 में रखी गई थी। इमारत 1923 में बनकर तैयार हुई थी। इसके डिजाइन और योजना में एक प्रमुख भूमिका लेनब्राउन और ह्यूलेट के परामर्श इंजीनियर चौबे मुक्ता प्रसाद ने निभाई थी। इसकी इमारत के सामने एक बड़ा बगीचा है। इसमें राजपूत , अवधी और मुगल वास्तुकला का मिश्रण शामिल है और इसका स्वरूप महल जैसा है। वास्तुकला की दृष्टि से इसे भारत के सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशनों में से एक माना जाता है।

Lucknow Railway Station

चारबाग रेलवे स्टेशन में कितने प्लेटफार्म

स्टेशन पर 9 प्लेटफार्म हैं। जिनमें से 2 प्लेटफॉर्म टर्मिनल हैं, जो दिलकुशा साइड की ओर स्थित हैं और 7 थ्रू प्लेटफॉर्म हैं। 2 और टर्मिनल प्लेटफॉर्म निर्माणाधीन हैं जो आलम नगर साइड की ओर हैं। निकटवर्ती लखनऊ एनईआर जं. 6 टर्मिनल प्लेटफार्म हैं। यद्यपि 2 अलग-अलग डिवीजनों द्वारा प्रबंधित किया जाता है, पूरे परिसर में 15 प्लेटफार्म हैं।

Lucknow Railway Station

चारबाग रेलवे स्टेशन का इतिहास

इतिहासकार नवाब मसूद अब्दुल्लाह बताते हैं कि चारबाग स्टेशन का इतिहास और महत्व बहुत प्राचीन है। यह नवाब आसफ-उद-दौला का पसंदीदा बगीचा था, जो शहर के अन्य सुंदर बागों में से एक था। चार नहरों के चारों कोनों पर चार उद्यान बनाए गए थे। इन्हें फारसी भाषा में चाहर बाग कहा जाता है. बाद में इसे चारबाग के नाम से जाना जाने लगा। इस स्थान पर ब्रिटिश सरकार ने एक शानदार स्टेशन की योजना बनाई और 1914 में इसकी आधारशिला रखी। चारबाग स्टेशन की नींव अंग्रेजों के समय पर ही रखी गई थी।

तहजीब और मिजाज को दर्शाते हैं इसके रंग

मसूद अब्दुल्ला ने बताया कि चारबाग स्टेशन के रंग लखनऊ की तहजीब और मिजाज को दर्शाते हैं। लखनऊ के मिजाज के हिसाब से इसका कलर कॉम्बिनेशन किया गया था। बाहर से आने वाला जो भी इसे देखता है वो यही कहता है- ‘मुस्कुराइए, आप लखनऊ में हैं’। इस स्टेशन का नजारा देखकर लखनऊ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का एहसास होता है।

Lucknow Railway Station

शतरंज के मोहरों की तरह दिखते हैं गुम्बद

चारबाग रेलवे स्टेशन को ड्रोन से या ऊंचाई से देखने पर वह शतरंज के मोहरों की तरह लगता है। लखनऊ का पहला परिवहन टांगा, रिक्शा और रेलवे था। बाहर से घूमने वाले ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि अगर स्टेशन इतना खूबसूरत है तो शहर की अन्य ऐतिहासिक इमारतों की सुंदरता कितनी होगी।

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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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