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Lucknow Imambara History: ऐसे हैं लखनऊ के छोटा इमामबाड़ा और बड़ा इमामबाड़ा, जानें इनका इतिहास और खासियत

Lucknow Imambara History: उत्तर प्रदेश के लखनऊ को अपने नवाबी अंदाज के लिए पहचान चाहता है। यहां कई सारे ऐतिहासिक स्थल है जिनमें छोटा इमामबाड़ा और बड़ा इमामबाड़ा भी शामिल है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 2 April 2024 3:56 PM IST
Chota And Bada Imambara Lucknow
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Chota And Bada Imambara Lucknow (Photos - Social Media)

Lucknow Imambara History: नवाबों के शहर और मुगलों की शान का प्रतीक लखनऊ, जहां एक ओर यह शहर अपने स्वादिष्ट खाने के जायके के लिए जाना जाता है, वहीं इसकी आबो हवा में ही कुछ ख़ास बात है। ढेर सारी विशेषताओं को अपने आप में समेटे हुए यह शहर शिल्पकला और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहां के ऐतिहासिक स्थल वास्तव में कुछ ख़ास हैं और यहां की वास्तु कला और शिल्पकला भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। चलिए यहां के छोटा इमामबाड़ा और बड़ा इमामबाड़ा के बारे में जानते हैं।

बड़ा इमामबाड़ा

बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की एक ऐतिहासिक धरोहर है इसे भूल भुलैया भी कहते हैं इसको अवध के नवाब अशिफुद्दौला ने (1784 -94) के मध्य बनवाया गया था इसे भूल भुलैया के नाम से भी जाना जाता है।

Bara imambara


कब हुआ निर्माण

इस इमामबाड़े का निर्माण आसफ़उद्दौला ने 1784 में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। अनुमान के मुताबिक इसे बनाने में उस ज़माने में पाँच से दस लाख रुपए की लागत आई थी। यही नहीं, इस इमारत के पूरा होने के बाद भी नवाब इसकी साज सज्जा पर ही चार से पांच लाख रुपए सालाना खर्च करते थे।

Bara Imambara


ये है खासियत

ईरानी निर्माण शैली की यह विशाल गुंबदनुमा इमारत देखने और महसूस करने लायक है। इसे मरहूम हुसैन अली की शहादत की याद में बनाया गया है। इमारत की छत तक जाने के लिए 84 सीढ़ियां हैं जो ऐसे रास्ते से जाती हैं जो किसी अन्जान व्यक्ति को भ्रम में डाल दें ताकि आवांछित व्यक्ति इसमें भटक जाए और बाहर न निकल सके। इसीलिए इसे भूलभुलैया कहा जाता है। इस इमारत की कल्पना और कारीगरी कमाल की है। ऐसे झरोखे बनाए गये हैं जहाँ वे मुख्य द्वारों से प्रविष्ट होने वाले हर व्यक्ति पर नज़र रखी जा सकती है जबकि झरोखे में बैठे व्यक्ति को वह नहीं देख सकता। ऊपर जाने के तंग रास्तों में ऐसी व्यवस्था की गयी है ताकि हवा और दिन का प्रकाश आता रहे। दीवारों को इस तकनीक से बनाया गया है ताकि यदि कोई फुसफुसाकर भी बात करे तो दूर तक भी वह आवाज साफ़ सुनाई पड़ती है। छत पर खड़े होकर लखनऊ का नज़ारा बेहद खूबसूरत लगता है।

छोटा इमामबाड़ा

छोटा इमामबाड़ा या हुसैनाबाद का इमामबाड़ा उत्तर प्रदेश के पुराने शहर लखनऊ की सबसे खूबसूरत और आकर्षक इमारतों में से एक है। यह भव्य स्मारक बड़ा इमामबाड़ा के पश्चिम में स्थित है। छोटा इमामबाड़ा शुरू में शिया मुसलमानों के लिए एक मण्डली हॉल था जिसे मुहम्मद अली शाह द्वारा बनाया गया था, जो 1838 में अवध के तीसरे नवाब थे।

Chota Imambara


किसने किया निर्माण

लखनऊ में छोटा इमामबाड़ा, अवध के तीसरे नवाब, मुहम्मद अली शाह द्वारा प्रांत के शिया मुसलमानों के लिए एक मण्डली हॉल के रूप में बनाया गया था। यह संरचना लगभग 183 साल पुरानी है और इसमें नवाब अली शाह और उनकी मां की कब्रें बनी हुई हैं।

Chota Imambara


ये है खासियत

छोटा इमामबाड़ा का अंदरूनी भाग वास्तव में जादुई है और अवध की भव्यता और गौरव की कहानी बयान करता है। घर के अंदर दो हॉल हैं जिन्हें अजाखाना और शहनाशी कहा जाता है। अज़खाना की खूबसूरत हरी और सफ़ेद फ़ोयर को रोशनी और झूमर से सजाया गया है जो विशेष अवसरों के दौरान जलाया जाता है। यही कारण हैं कि यूरोपीय लोग लखनऊ के छोटा इमामबाड़ा को पैलेस ऑफ लाइट्स भी कहते हैं।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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