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Lucknow Ka Surya Mandir: देव दीवाली पर करें लखनऊ स्थित इस प्राचीन सूर्य मंदिर के दर्शन, अनोखा होगा यहाँ का भी नज़ारा
Lucknow Ka Surya Mandir: लखनऊ में एक ऐसा सूर्य मंदिर है जो करीब 1100 साल पुराना है और इसकी काफी ज़्यादा मान्यता भी है। आइये इस देव दीवाली के अवसर पर करें सूर्य देव के दर्शन।
Lucknow Ka Surya Mandir: लखनऊ में स्थित है एक ऐसा सूर्य मंदिर जो करीब 1100 साल पुराना है। साथ ही साथ यहां पर एक सूर्यकुंड भी है जिसके लिए कहा जाता है कि यह पांडवों के समय से यहां पर स्थित है साथ ही इस कुंड में नहाने से आपकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। आईए जानते हैं कहां पर है ये सूर्य मंदिर और क्या है इसकी मान्यता।
लखनऊ का सूर्य मंदिर (Surya Mandir at Lucknow)
उड़ीसा के कोणार्क और उत्तराखंड के कटारमल सूर्य मंदिर के बाद लखनऊ में ही सूर्य देव का यह तीसरा मंदिर स्थित है। ये मंदिर बेहद प्राचीन है इसी वजह से इसको लेकर लोगों मान्यता भी बेहद ज़्यादा है। आईए जानते हैं लखनऊ में कहां स्थित है ये सूर्य मंदिर और क्या है इसकी मान्यता।
लखनऊ में स्थित ये सूर्य मंदिर बेहद प्राचीन है इसी वजह से इसकी मान्यता भी काफी ज़्यादा है। आइये जानते हैं लखनऊ में कहां स्थित है ये सूर्य मंदिर और क्या है इसकी मान्यता। ये प्राचीन मंदिर लखनऊ के डालीगंज में स्थित है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं कहा जाता है कि सच्चे मन से अगर कोई भी अपनी कोई मनोकामना सूर्य देव के आगे रखता है तो वह उसे तुरंत पूरी करते हैं।
आज देव दिवाली भी है इस मौके पर इस मंदिर में सूर्य देव को दीपांजलि अर्पित की जाएगी। वहीँ आपको बता दें कि लखनऊ के सूर्यकुंड स्थित सूर्य मठ मंदिर को 1100 साल पुराना माना जाता है।
इस मंदिर के अंदर सूरजकुंड पार्क भी स्थित है यहाँ आपको मंदिर परिसर की दीवारों से इसकी पौराणिकता और इसकी प्राचीनता का पता चलता है। इस पर अंकित विवरण के मुताबिक ये मंदिर करीब 1100 साल पुराना है। इसके अलावा आपको बता दें कि इसे बाबा रामदास ने बनवाया था। यह लखनऊ का एकमात्र सूर्य मंदिर है जहां की मान्यता है कि यहां पर जो कोई भी सच्चे मन से सूर्य देव को से प्रार्थना करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। इस सूर्यकुंड में नहाने मात्र से व्यक्ति के सारे पाप भी धुल जाते हैं। ये सूर्य मंदिर लखनऊ के डालीगंज में स्थित है।
अत्यंत प्राचीन होने के कारण इस मंदिर के जीणोद्धार की आवश्यकता महसूस हुई इसलिए इसका जीणोद्धार करवाया जंगल बाबा ने साल 2003 में। यहां अमावस्या और पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से दीपदान किया जाता है यह देश के प्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में प्रतिदिन सूर्य देव की आरती और आराधना की जाती है। आज देव दीवाली और कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भी दीपदान किया जायेगा।