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Dussehra Mela in Lucknow: लखनऊ में यहाँ भव्य तरह से होगा रावण दहन, जानिए यहाँ के मेले की खासियत
Lucknow Me Dussehra Mela 2024: लखनऊ के रामलीला ग्राउंड के पास दशहरा मेला का भव्य आयोजन होता है जिसकी काफी ज़्यादा लोकप्रियता है।
Lucknow Me Dussehra Mela 2024: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दशहरा का त्योहार काफी जोश के साथ मनाया जाता है यूँ तो ये मेला कई जगहों पर लगता है लेकिन ऐशबाग रामलीला मैदान में लगने वाले इस मेले को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। आइये जानते हैं क्या ख़ास है यहाँ के दशहरा मेले में और आखिर क्या क्या चीज़ें होती हैं यहाँ।
लखनऊ के ऐशबाग रामलीला मैदान में काफी दिन पहले से ही दशहरा की तैयारियां शुरू हो जातीं हैं यहाँ की रामलीला पूरे उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय है। इसका आयोजन नवरात्रि से ही प्रारम्भ हो जाता है और दशहरा के दिन इसके समापन रावण दहन होता है और मेले का भी आयोजन होता है। वहीँ आपको बता दें कि ये लखनऊ का सबसे भव्य रावण दहन होता है।
दशहरा का सबसे भव्य आयोजन लखनऊ के रामलीला मैदान में ही होता आया है वहीँ इसके साथ ही साथ गायन, नृत्य और कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इस दौरान देखने को मिलते हैं। जिसमे लोग काफी ज़्यादा उत्साह के साथ भाग लेते हैं। यहाँ पर लोगों की भीड़ कई दिन पहले से जुटने लगती है साथ ही साथ यहाँ पर लोग रामलीला देखना भी खूब पसंद करते हैं। थिएटर के मंझे हुए कलाकारों द्वारा ये रामलीला पेश की जाती है जिसे देखकर आप में मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पायेंगें।
हर साल यहाँ रावण का पुतला काफी ऊँचा बनाया जाता है पिछले साल ये 121 फ़ीट ऊँचा था वहीँ इस साल भी इसके इतना ही ऊँचा बनने की योजना है। वहीँ साथ ही मेघनाद और कुम्भकरण के पुतलों को भी जलाया जाता है जिन्हे भी काफी भव्य तरीके से बनाया जाता है।
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत और नेपाल में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और यह रविवार, 13 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और धार्मिकता की जीत का भी प्रतीक है।
दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, ये भारत और नेपाल में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। इस त्यौहार को हर जगह बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, इस साल ये 12 अक्टूबर 2024 शनिवार को मनाया जाएगा। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और धार्मिकता की जीत का भी प्रतीक है।