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Lucknow Teelewali Masjid History: लखनऊ टीलेवाली मस्जिद का इतिहास यहां जानें

Lucknow Teelewali Masjid History: जब भी हम लखनऊ शहर से पुराने लखनऊ के तरफ चौक जाते है तो यह मस्जिद जरूर रास्ते में पड़ा होगा।

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 28 Feb 2024 2:39 PM GMT
Teelewali Masjid History
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Teelewali Masjid History (Pic Credit-Social Media)

Lucknow Teelewali Masjid History: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रसिद्ध टीले वाली मस्जिद के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। यदि सुना नहीं भी होगा तो देखा तो जरूर होगा। जब भी हम शहर से पुराने लखनऊ के तरफ चौक जाते है तो यह मस्जिद जरूर रास्ते में पड़ा होगा। न चाहते हुए भी आपका ध्यान इसकी खूबसूरत गुंबदे जरूर खींचती होंगी। लेकिन आपको पता है कि इस मस्जिद का इतिहास बहुत पुराना हैं। मुगल साम्राज्य के दौरान निर्मित यह मस्जिद लखनऊ के संघर्ष पूर्ण इतिहास का साक्षी रहा है। मस्जिद में मकबरे के अंदर 3 कब्रें हैं, एक पीर शाह की, बाकी दो संभवतः शेखज़ादा परिवार या शाह पीर मोहम्मद के शिष्यों की मानी जाती हैं। एक कब्र की संगमरमर की सतह पर बेहद जटिल और सुंदर जड़ाई का काम किया गया है, हालांकि अर्ध-कीमती पत्थर लंबे समय से चोरी हैं।

टीलेवाली ‌मस्जिद का पूरा नाम: टीले वाली मस्जिद का पूरा नाम, जामा मस्जिद शाही टीला शाह पीर मुहम्मद साहब टीले वाली मस्जिद है। इसे आलमगिरी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है

मस्जिद की खुबसूरत संरचना

मस्जिद वर्तमान में सफेद रंग की है, इसमें तीन गुंबद और ऊंचे पतले टॉवर हैं। इसे पत्थरों और ईंटों के एक चबूतरे के ऊपर बनाया गया है। हाल के दिनों में कुछ जीर्णोद्धार भी किए गए हैं। मुगल वास्तुकला, इस्लामी वास्तुकला, इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का उदाहरण हैं। मस्जिद के शीर्ष पर तीन विशाल गुंबद हैं, जो दो उत्कृष्ट मीनारों से घिरे हुए हैं, ये मीनारें पांच मंजिला हैं, इसके अलावा तीन छोटे गुंबद हैं। सामने और पीछे चार हैं। मस्जिद के अंदर क्रॉस वेंटिलेशन के लिए तीन खिड़कियां हैं। मस्जिद के परिसर में प्रवेश के लिए सात प्रवेश द्वार हैं।



पीर मुहम्मद के लिए बनी थी ये मस्जिद

मुगल वास्तुकला की एक झलक, भारत के लखनऊ में गोमती नदी के तट पर एक सबसे बड़ी और खूबसूरत सुन्नी मुसलमानों की मस्जिद है। जिसे टीले वाली मस्जिद के नाम से जाना जाता है। मुगल बादशाह शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल में क्रमशः हजरत शाह पीर मुहम्मद को टीले वाली मस्जिद 125 बीघा जमीन उपहार में दी गई थीं। शाह पीर मुहम्मद ने अपने शिष्य अवध के मुगल गवर्नर फिदा खान कोका (मुजफ्फर हुसैन) को एक मस्जिद बनाने का आदेश दिया। इसका निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में 1658 और लगभग 1660 के बीच किया गया था। निर्माण के बाद पहली नमाज हजरत शाह पीर मुहम्मद की इमामत में जुम-अतुल-विदा की पढ़ी गई थी। मस्जिद के पास शाह पीर मुहम्मद की दरगाह है। प्रतिष्ठित मस्जिद मुगल सम्राट औरंगजेब के अधीन निर्मित पहले स्मारकों में से एक है, स्मारक के निर्माण के बाद यह मुगल काल के अंत तक सम्राटों की शाही मस्जिद बनी रही।

मस्जिद 1857 की क्रांति का साक्षी

1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान टीले वाली मस्जिद में मदरसे के शिक्षकों और छात्रों ने ब्रिटिश सैनिकों के खिलाफ 80 दिनों तक लड़ाई लड़ी, जिन्होंने पूरे क्षेत्र को घेर लिया था। अंग्रेजों ने मस्जिद और हजरत शाह पीर मुहम्मद के मंदिर को छोड़कर मदरसे और मस्जिद की सीमाओं को नष्ट कर दिया और कई लोगों को फांसी दे दी। 1857 के विद्रोह में ब्रिटिश जीत के बाद, उन्होंने मस्जिद को जब्त कर लिया और अपने सैनिकों को वहां तैनात कर दिया और मस्जिद को अस्पताल के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई। कुछ इतिहासकार का कहना है कि, अंग्रेजो ने मस्जिद के ऊपर गुंबद में लगे सोने को चुराकर, पीतल का गुंबद लगा दिया था।

इन मौकों पर खास नमाज पढ़ने का है रिवाज

‌यह मस्जिद नमाज-ए-अलविदा या जुम-अतुल-विदा (पाक रमजान का आखिरी शुक्रवार) के साथ-साथ ईद-उल- के अवसर पर न केवल लखनऊ से बल्कि आसपास के शहरों और राज्यों से भी लाखों मुसलमानों को आकर्षित करती रही है। फ़ित्र, ईद-उल-अज़हा नमाज़, जश्ने-ईद-मिलादुन्नबी, शब-ए-बारात। शाह पीर मुहम्मद और सैयद वारिस हसन के सलाना फ़ातिया के उर्स के दौरान विभिन्न शहरों और राज्यों से बहुत सारे लोग इकट्ठा होते है।



विवाद में है टीले वाली मस्जिद

टीले वाली मस्जिद परिसर पर कब्जे की मांग को लेकर लखनऊ कोर्ट में लंबित एक मुकदमे की स्थिरता को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है। हिंदू वादियों ने दावा किया था कि टीले वाली मस्जिद 'लक्ष्मण टीला' थी, जिसका निर्माण भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने किया था। वकील हरि शंकर जैन ने मस्जिद के सर्वेक्षण की मांग करते हुए 2013 में लखनऊ की सिविल कोर्ट में यह मामला दायर किया था। तब से यह मामला लंबित है।

Yachana Jaiswal

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Content Writer

I'm a dedicated content writer with a passion for crafting engaging and informative content. With 3 years of experience in the field, I specialize in creating compelling articles, blog posts, website content, and more. I can write on anything with my research skills. I have a keen eye for detail, a knack for research, and a commitment to delivering high-quality content that resonates with the audience. Author Education - I pursued my Bachelor's Degree in Journalism and Mass communication from Sri Ramswaroop Memorial University Lucknow. Presently I am pursuing master's degree in Master of science; Electronic Media from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication Bhopal.

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