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MP Udayagiri Caves: उदयगिरी की गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई, इन गुफाओं का इतिहास बहुत ही रोचक

Madhya Pradesh Udayagiri Caves: मध्य प्रदेश में उदयगिरि गुफाओं में आज भी भारी चट्टानों, पेट्रोग्लिफ्स और प्राचीन बस्तियों के अवशेष दिखाई देते हैं। इनमें से कुछ गुफाओं में पार्श्वनाथ के पुनर्जन्म की मूर्तियां हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 14 Aug 2022 9:03 PM IST
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उदयगिरि गुफाएं (फोटो- सोशल मीडिया)

Madhya Pradesh Udayagiri Caves: विदिशा, मध्य प्रदेश से लगभग 6.5 किमी की एक छोटी दूरी, उदयगिरी गुफाओं का प्राचीन स्थल है। इस एतिहासिक जगह पर 20 रॉक-कट गुफाएं हैं। बताया जाता है कि 5 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की इन गुफाओं में कुछ शुरुआती हिंदू और जैन प्रतिमाएं हैं। फिलहाल वर्तमान में, इन गुफाओं को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित किया जाता है।

मध्य प्रदेश में उदयगिरि गुफाओं में आज भी भारी चट्टानों, पेट्रोग्लिफ्स और प्राचीन बस्तियों के अवशेष दिखाई देते हैं। इनमें से कुछ गुफाओं में पार्श्वनाथ के पुनर्जन्म की मूर्तियां हैं।

नक्काशी वाली मूर्तियां

पुरातत्व अध्ययनों से पता चला है कि इस गुफा परिसर की खुदाई चंद्रगुप्त द्वितीय (376-413 ईस्वी) के समय में की गई थी। सबसे उल्लेखनीय साक्ष्य गुफाओं की दीवारों पर ब्राह्मी शिलालेखों की उपस्थिति है।

यदि आप ध्यान से देखें, तो इन गुफाओं पर बहुत सी मूर्तियां देवी-देवताओं को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, वराह गुफा पर नक्काशी विष्णु के अवतार को एक सूअर के रूप में दिखाती है, जो पृथ्वी या पृथ्वी की देवी को बचाती है।

इसी तरह, अन्य गुफा में गणेश, विष्णु, शिव, ब्रह्मा, शक्ति दुर्गा और महिषासुर मर्दिनी की बारीक नक्काशी है। एक और उल्लेखनीय रॉक-कट मूर्तिकला जो गुफा की यात्रा को इतना सार्थक बनाती है, वह है 12-फीट लंबी विष्णु भगवान की मूर्ति है। इन मूर्तियों की नक्काशी कला का शुद्ध कार्य किया गया है।

इनमें से बहुत सी गुफाओं पर महत्वपूर्ण शिलालेख हैं लेकिन उनमें से कुछ स्पष्ट रूप से उस समय की अवधि का संकेत देते हैं जब उन्हें बनाया गया था। शोधकर्ताओं ने इन गुफाओं को 5वीं शताब्दी के शैववाद से संबंधित बताया है। इसी तरह, एक जैन भक्त द्वारा बनाई गई गुफा में पाया गया एक और संस्कृत शिलालेख जैन धर्म के प्रभाव को दर्शाता है।

इन चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं और उनके शिलालेखों को समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन इन भव्य परिदृश्यों में अमूल्य इतिहास छिपा हुआ है।



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Vidushi Mishra

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