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India Unique Temple: भारत में एक ऐसा मंदिर जो बिना नींव के है बना, मध्य प्रदेश के इस जिले में है स्थित

Shree Dharmrajeshwara Mandir: मंदिर को भव्य रूप देने के लिए सबसे पहले नींव रखी जाती हैं। लेकिन भारत में स्थापत्य कला का एक अनोखा उदाहरण भी मौजूद है।

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 27 April 2024 5:45 AM GMT (Updated on: 27 April 2024 5:45 AM GMT)
Mandsour Famous Temple unique Mandir
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Mandsour Famous Temple (Pic Credit-Social Media)

Madhya Pradesh Famous Dharmrajeshwar Mandir: भारत में कई खुबसूरत मंदिर है। जो अपनी बनावट और मान्यता से धनी है। सभी मंदिर भव्य और वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण को पेश करते है। मंदिर को भव्य रूप देने के लिए सबसे पहले नींव रखी जाती हैं। लेकिन भारत में स्थापत्य कला का एक अनोखा उदाहरण भी मौजूद है। एक ऐसा मंदिर भी है जिसे बिना किसी नींव के बनाया गया है। इसके उपरांत इस मंदिर की एक और खासियत है कि यह मंदिर ऊपर से नीच की ओर जाता है। यह मंदिर विपरीत है। चलिए जानते है एक ऐसे ही भव्य मंदिर के बारे में।

भारत में यहां है विचित्र मंदिर

धर्मराजेश्वर मंदिर एक प्राचीन हिंदू और बौद्ध गुफा मंदिर है जो मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के चंदवासा शहर में स्थित है। यह मंदिर ठोस प्राकृतिक चट्टान को काटकर बनाया गया है जिसकी लंबाई 50 मीटर, चौड़ाई 20 मीटर और गहराई 9 मीटर है। यह भारतीय रॉक-कट वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। धर्मराजेश्वर मंदिर भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित है। धर्मराजेश्वर मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी का है। मंदिर में एक सभा मंडप और शिखर के साथ एक गर्भगृह है। मंदिर का शिखर उत्तर भारतीय शैली में है।



मंदिर की यह है खासियत

धर्मराजेश्वर मंदिर परिसर में, एक हिंदू मंदिर और अच्छी तरह से संरक्षित बौद्ध गुफाएं शामिल हैं। इस मंदिर में शिव और विष्णु दोनों एक ही गर्भगृह में विराजमान हैं। यह मंदिर, ऊपर से नीचे की ओर बना है और आधुनिक इंजीनियरिंग को चुनौती देता है। इस मंदिर को मध्य प्रदेश का एलोरा-अजंता भी कहा जाता है। धर्मराजेश्वर मंदिर, शामगढ़ तहसील से 22 किलोमीटर दूर चंदवासा गांव में है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन शामगढ़ है।



लोकेशन: शामगढ़, चंदवासा, मंदसौर, मध्य प्रदेश

समय: सुबह 6 बजे से शाम के 7 बजे तक

मंदिर का पुरातत्व इतिहास

9वीं ईसवी का, एमपी का धर्मराजेश्वर मंदिर भारत की विविधता में एकता और धार्मिक सद्भाव की सदियों पुरानी भावना का एक ठोस उदाहरण है। ठोस प्राकृतिक चट्टान का उपयोग करके निर्मित किया गया था। धर्मराजेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर, मंदसौर से करीब 100 किलोमीटर दूर गरोठ तहसील में है। यह मंदिर, पत्थरों को काटकर बनाया गया है और 4वीं-5वीं शताब्दी में बना है। यह मंदिर, महाराष्ट्र के एलोरा में चट्टानों को काटकर बनाए गए धरोहर स्थलों से मिलता-जुलता है। इसकी सुंदरता और विशालता की तुलना एलोरा के कैलाश मंदिर से की जा सकती है।



मन्दिर का वास्तुकला

धर्मराजेश्वर मंदिर की वास्तुकला एलोरा के कैलाश मंदिर से मिलती जुलती है। बीच में एक बड़ा पिरामिड आकार का मंदिर है जो 14.53 मीटर ऊंचा और 10 मीटर चौड़ा है। मुख्य मंदिर सात छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है जो भगवान भैरव, देवी काली, गरुड़ और देवी पार्वती जैसे विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं। मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ एक विशाल शिवलिंग भी है।



प्रवेश द्वार पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की उत्कीर्ण छवियां प्रदर्शित हैं। इस स्थल पर 170 गुफाएँ हैं जो जैन संस्कृति से संबंधित हैं। गुफाओं के अंदर, पाँच मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं जिनकी पहचान जैन तीर्थंकरों के रूप में की गई थी, अर्थात् ऋषभ देव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, शांतिनाथ और महावीर। स्थानीय लोग इन्हें महान पांडवों की मूर्तियाँ मानते हैं।



Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

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