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Mahakumbh 2025: प्रयागराज क्यों है इतना प्रसिद्ध, जानिए इससे जुड़ा ये रहस्य

Mahakumbh 2025:महाकुम्भ इस साल प्रयागराज में लगने जा रहा है आइये जानते हैं कि इस शहर की क्या विशेषता है और क्यों इसकी इतनी ज़्यादा प्रसिद्धि है।

Shweta Srivastava
Published on: 19 Nov 2024 7:43 PM IST
Mahakumbh 2025
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Mahakumbh 2025 (Image Credit-Social Media)

Mahakumbh 2025: जनवरी 2025 से महाकुम्भ की शुरुआत हो जाएगी। वहीँ क्या आप जानते हैं कि प्रयागराज का रहस्य क्या है और आखिर कैसे यहाँ महाकुम्भ की शुरुआत हुई थी। आइये विस्तार से जानते हैं प्रयागराज आखिर क्यों इतना प्रसिद्ध है जो देश और विदेशों से लोग यहाँ आते हैं।

क्यों है प्रयागराज इतना प्रसिद्ध

महाकुम्भ में शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं साथ ही यहाँ की प्रसिद्धि इतनी है कि लोगों के बीच ये हमेशा से आकर्षण का केंद्र बना रहता है। दरअसल प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर केवल गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का संगम ही नहीं होता बल्कि यहां पर अनेक अनेक संप्रदायों के संतो देश और विदेश की संस्कृतियों और रीति रिवाज का भी संगम होता है।

इसके साथ ही यहां न केवल माघ मेला अर्ध कुंभ की शाश्वत परंपरा का प्रवाह होता है बल्कि सनातन धर्म की संस्कृति की का भी यहां पर प्रवाह देखने को मिलता है यही वजह है कि प्रयाग इतना प्रसिद्ध है और यहां का त्रिवेणी संगम लोग देखने दूर-दूर से आते हैं और गंगा यमुना और सरस्वती ये तीनों नदियां एक साथ एक ही स्थान पर आकर मिल जाती हैं।

भले गंगा और यमुना नदी अभी भी दिखाई देती है लेकिन इसकी तीसरी नदी यानि कि सरस्वती अब दिखाई नहीं देती। लुप्त सरस्वती के बारे में कई किंदवंतियाँ भी प्रचलित है। कहा जाता है कि ये धरती के अंदर बह रही है। संगम में लोग नांव में बैठकर गंगा जमुना की धाराओं को मिलते हुए देखते हैं आपको बता दें कि जहां गंगा का जल स्वच्छ सफेद होता है वहीं यमुना का जल नीले रंग का होता है वहीँ संगम पर दोनों रंग अलग-अलग साफ दिखाई देते हैं। संगम से आगे गंगा का जल कुछ नीला सा हो जाता है।

इतना ही नहीं संगम पर बहुत से लोग अपने दिवंगत संबंधियों की भस्म और अस्थियां लेकर भी आते हैं और गंगा में विसर्जित करते हैं माना जाता है कि इससे दिवंगत आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है वहीँ तीर्थराज प्रयाग होने की वजह से प्रयाग में आपको कई मंदिर मिलेंगे जिनमें से पातालपुरी या अक्षय वट का मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। 1300 वर्ष पूर्व चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इसी वृक्ष का उल्लेख अपनी किताब में किया है।

इसका ऐसा इतिहास होने के कारण ही प्राचीन समय से लेकर अभी तक संगम का महत्व काफी ज्यादा है वेद से लेकर पुराण तक और संस्कृत कवियों से लेकर लोक साहित्य के रचनाकारों तक संगम की महिमा का बखान सभी ने किया है। इसके अलावा पुराणों में यह भी उल्लेखित है कि प्रयाग से ही विश्व के सभी तीर्थ उत्पन्न हुए हैं इसी वजह से प्रयाग को तीर्थराज कहा जाता है।



Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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