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Famous Shiv Temple: महाराष्ट्र का एक ऐसा मंदिर जो सालभर रहता है पानी में छिपा
Maharashtra Shri Wagheshwar Temple: वाघेश्वर मंदिर साल के आठ महीने पानी में डूबा रहता है, जहां दर्शन बहुत भाग्य से मिल पाता है।
Maharashtra Shri Wagheshwar Temple: भारत में कई ऐसे मंदिर है जो पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से समृद्ध है। महाराष्ट्र के पुणे शहर से 2 घंटे की दूरी पर एक शांत जगह है वाघोली। इसी गांव में शिव जी का एक विचित्र मंदिर है। जो साल के 12 महीनों में अधिकतर समय झील के पानी से डूबे रहते है। भक्तों को दर्शन करने के लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ता है। यह मंदिर महादेव, भगवान गणेश को समर्पित है। यहां महादेव के रूप को वाघेश्वर नाम से जाना जाता है। यह मंदिर को संरचना प्राचीन वास्तुकला के अनुरूप पत्थर द्वारा बनाया गया है। विशाल पत्थरों पर आकृतियों के जरिए इस मंदिर को बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक समय में बहुत भव्य हुआ करता था।
मंदिर के बारे में (Vageshwar Mandir)
वाघेश्वर मंदिर पावना झील पर स्थित है। यह मंदिर पावना झील के कारण प्रसिद्ध है, इसके पीछे का कारण यह है कि यह केवल दो महीने के लिए ही दिखाई देता है, अन्यथा यह दस महीने तक पानी में डूबा रहता है। मंदिर की उत्पत्ति की बात करे तो माना जाता है कि, यह मंदिर पांडव काल में बनाया गया है। यह एक भगवान शिव का मंदिर है।
क्यों खास है यह मंदिर?
पावना झील कई ऐतिहासिक स्थानों, किलों, गुफाओं, मंदिरों, झीलों आदि से घिरी हुई है। पुराना वाघेश्वर मंदिर, पावना झील इस बात का प्रमाण है कि पावना झील कितना ऐतिहासिक है। यह पांडव काल में बनाया गया महान भगवान शिव का मंदिर है। वाघेश्वर मंदिर, पावना झील ने 6-7 शताब्दियाँ देखी हैं। साक्ष्य छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य और ब्रिटिश साम्राज्य भी देखा है। यह पावना झील में एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। यह वाघेश्वर मंदिर इतना प्रसिद्ध इसलिए है, क्योंकि यह मंदिर अगस्त से मार्च तक पावना झील/पावना बांध में लगभग 8 महीने पानी में डूबा रहता है। 8 महीने की अवधि के बाद मार्च से जुलाई तक मंदिर दृश्यमान या पुनर्जीवित हो जाता है। मंदिर में शिवलिंग के बारे में एक बात देखी गई है कि मध्य भाग का आधा भाग मुख्य शिवलिंग से बाहर विस्थापित है।
लोकेशन: वागेश्वर मंदिर रोड, वाघोली, पावना झील, पुणे महाराष्ट्र
आध्यात्मिक सांत्वना के लिए प्रसिद्ध है मंदिर
वाघोली में श्री वाघेश्वर मंदिर एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है जो गणपति और शिव परंपराओं का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है। मंदिर की वास्तुकला और शांत वातावरण इसे भक्तों और पर्यटकों के लिए अवश्य देखने लायक बनाता है। चित सुविधाओं की कमी और शहर के केंद्र से दूरी एक नकारात्मक पहलू हो सकती है। कुल मिलाकर, आध्यात्मिक सांत्वना के लिए एक बेहतरीन स्थान है। इतिहास कहता है कि इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था और यह मंदिर महाराज छत्रपति शिवाजी के पूजा स्थलों में से एक है।
बांध बनने के बाद मंदिर में दर्शन हुआ दुर्लभ
पावना बांध का निर्माण 1965 में किया गया था। इसलिए, बांध का उपयोग 1971 में शुरू हुआ। बांध में पानी जमा होने के बाद यह ऐतिहासिक मंदिर पानी में डूबने लगा। मंदिर केवल गर्मियों में तीन से चार महीने के लिए पानी से बाहर रहता है। इस साल यह मंदिर मार्च के अंत में पानी से बाहर आ गया है। यह मंदिर करीब 700 से 800 साल पुराना है।
छत्रपति शिवाजी से जुड़ा है इसका इतिहास
जानकारों का कहना है कि इस मंदिर और छत्रपति शिवाजी महाराज के बीच सीधा संबंध है। कोंकण-सिंधुदुर्ग अभियान पूरा करने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज वाघेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आये। साथ ही यह भी कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज तिकोना और ताशगढ़ (तुंग) किले में आए थे, उक्तियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 11वीं या 12वीं शताब्दी में हुआ होगा। पूरा मंदिर पत्थरों से बना है। वर्तमान में यह मंदिर ढह गया है। इस मंदिर के चारों तरफ की दीवारों में दरारें हैं। मंदिर के कुछ अवशेष ही बचे हैं। मांग है कि पुरातत्व विभाग मंदिर का संरक्षण करे।