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Mahoba Aalha Udal Palace: रहस्यमय है आल्हा के ऊदल का ये महल, यहां नहीं निकल सकता कोई घुड़सवार

Mahoba Aalha Udal Palace : बुंदेलखंड का इतिहास से गहरा नाता रहा है। वीर आल्हा और उदल भी यही से संबंध रखते हैं। सॉरी आज हम आपको उनके ऐसे स्थान के बारे में बताते हैं जहां घोड़े से सवार होकर नहीं निकला जा सकता।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 14 Aug 2024 4:14 PM IST
Mahoba Aalha Udal Palace
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Mahoba Aalha Udal Palace (Photos - Social Media) 

Mahoba Aalha Udal Palace : उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड प्रसिद्ध इलाका है। यहां के महोबा को वीर भूमि के नाम से पहचाना जाता है। एक ऐसा स्थान है जहां पर घोड़े से सवार होकर निकलने की मनाही है। यहां पर एक ऐसा स्थान है जिसके पास आते ही घोड़े के पांव रुक जाते हैं। घुड़सवार घोड़े से उतरकर नमन करने के बाद ही आगे निकलता है। यह स्थान सैकड़ो साल पुराना है और इसके पीछे तमाम रहस्य छुपे हुएहैं। महोबा से 5 किलोमीटर की दूरी पर दिसरापुर गांव का इतिहास सदियों पुराना बताया जाता है। यहां पर अभी वीर आल्हा ऊदल से जुड़ी यादों को समेटे भावनाओं के अवशेष देखने को मिलते हैं। यह ऐसा स्थान है जहां से लोग घोड़े की सवारी कर नहीं निकाल सकते। चंदेल वंश के अंतिम शासक परमार्डी देव का शासन 1202 तक यहां पर रहा। उनके शासनकाल में चंदेल सी ने दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान को हराकर जीत का डंका बजाया था।

वीर थे आल्हा और ऊदल (Alha & Udal Were Brave)

इस युद्ध में चंदेल शासक के वीर योद्धा आल्हा ऊदल की वीरता ने पृथ्वीराज चौहान को हैरान कर दिया था। आल्हा और उदल का इतिहास वीरता के किस्तों से भरा हुआ है। उदल का जन्म पिता के निधन के बाद हुआ था और उनकी माता उनका त्याग करना चाहती थी। लेकिन रानी मल्हन ने उनकी परवरिश की। रानी ने भी इंद्रजीत ब्रह्मजीत और रंजीत को जन्म दिया। बाद में आल्हा ऊदल ने पराक्रम का परिचय देते हुए पिता की मौत का बदला लिया और 52 लड़ाई में जीत हासिल की।

Mahoba Aalha Udal Palace

Mahoba Aalha Udal Palace


यहां नहीं चलता कोल्हू (Crusher Does Not Work Here)

आल्हा और ऊदल इतने वीर द की उनकी गिनती शक्तिशाली राजाओं में होती थी। उनकी वीरता के सामने कोई नहीं टिक पाता था। इस गांव के लोग आज भी दोनों की वीरता के किस गाते हैं। जब आल्हा उदल का जन्म हुआ तब दिसपुर 10 मजरा से मिलकर बना है। यहां पर एक स्थान है जो उनके घर हुआ करता था। हालांकि अभी एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां दलसू मामू नाम का स्थान है जहां पर आज भी लोग घोड़े की सवारी कर नहीं निकल सकते। इस गांव में मांस मदिरा का सेवन और कोल्हू का प्रयोग भी वर्जित है। जिसने भी नियमों का उल्लंघन किया उन्हें दंडभुगतना पड़ा।

Mahoba Aalha Udal Palace

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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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