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Mainpat: छत्तीसगढ़ का शिमला
Mainpat: यह जगह ऊंची ऊंची पहाड़ियों और चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है। यहां की हरी भरी वादियां, बहते झरने और नदियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह जगह हर मौसम में एक अलग आनंद देती है।
Mainpat: भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले में विंध्य पर्वतमाला पर समुद्रतल से लगभग 3781 फीट की ऊंचाई पर स्थित मैनपाट अक्सर ‘छत्तीसगढ़ का शिमला’ के नाम से जाना जाता है। मैनपाट दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें मैन मतलब मिट्टी और पाट यानी पठार। सालभर यहां का मौसम ठंड वाला रहता है। मैनपाट दो नदियों रिहन्द और मांड का उद्गम स्थल है। यहां की बाक्साइट खदानों से बालको के लिए बाक्साइट निकाला जाता है। मैनपाट कालीन और पामेलियन प्रजाति के कुत्तों के लिए मशहूर है।
यह जगह ऊंची ऊंची पहाड़ियों और चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है। यहां की हरी भरी वादियां, बहते झरने और नदियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह जगह हर मौसम में एक अलग आनंद देती है। सर्दियों के मौसम में यहां शिमला वाली बर्फ़बारी का मज़ा ले सकते हैं। गर्मी के दिनों में यहां ठंडी का मौसम होने के कारण सैलानी खींचे चले आते हैं। पहाड़ से टेढ़े-मेढ़े होकर जाते रास्ते और सामने की पहाड़ियों से नीचे का विहंगम दृश्य एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।
इसी मनोरम खूबसूरती के कारण इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहते हैं। इस जगह करीब 1500 तिब्बती परिवारों का बसेरा है जिस कारण यह मिनी तिब्बत के नाम से भी जाना जाता है। सर्दियों में यह इलाका शिमला के जैसे बर्फ की महीन चादर से ढंक जाता है, वहीं बारिश के मौसम में ऐसा लगता है जैसे बादल धरती पर उतर आए हों। छत्तीसगढ़ राज्य का यह मैनपाट इलाका आलू की खेती के लिए मशहूर है। यहां तकरीबन 350 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की पैदावार होती है जो आसपास के राज्यों में निर्यात की जाती है। बादलों से घिरे और बर्फ से ढक जाने वाले मैनपाट में कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें प्रमुख हैं:
जलजलवान
मैनपाट से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित हरे भरे जंगलों के बीच तीन एकड़ क्षेत्र में धरती काफी नर्म और स्पंजी है, जो जलजलवान या जलजली के नाम से जानी जाती है। प्रकृति के इस अनोखी जगह को दलदली पॉइन्ट भी कहा जाता है। यहां आने से यह धरती हिलने लगती है, ऐसा महसूस होता है मानो रबर की बिछी चादर या ट्रैम्पोलिन पर आप कूद रहे हों और आपका शरीर बाउंस हो रहा है। यहां पहुंच कर हर सैलानी इस अनुभव का इंतजार करते हैं। सर्दी और गर्मी के मौसम में यहां पर्यटकों की काफी भीड़ होती है और यह जगह आकर्षण का केंद्र रहता है। मॉनसून में इस जगह पानी भर जाने से लोग नहीं जाना पसंद करते।
टाइगर प्वाइंट
मैनपाट से करीब 13 किमी दूर यह खूबसूरत झरना महादेव मुड़ा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है। इस झरने का निर्माण महादेव मुड़ा नदी की तेज धारा के करीब 60 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरने से हुआ है। इस झरने के नीचे जाने के लिए चट्टानों को काट कर सीढ़ियां बनाई गई हैं। इस जगह हरे भरे जंगल के बीच आप शांत वातावरण में चिड़ियों की चहचहाहट का आनंद ले सकते हैं। यहां आपको जंगल में बंदर उछल-कूद करते दिखेंगे।ऐसा माना जाता है कि कई साल पहले यहां बाघ देखा गया था जिसके बाद इस जगह का नाम टाइगर पॉइन्ट पड़ गया। मांड नदी पर बना सरभंजा जलप्रपात इको या टाइगर पॉइंट के नाम से भी जाना जाता है।
मेहता प्वाइंट
मैनपाट से करीब 8 किमी दूरी पर स्थित इस प्वाइंट से आप सूर्योदय एवं सूर्यास्त के नज़ारे के साथ घाटी का खूबसूरत दृश्य भी देख सकते हैं। इस जगह आप बादलों को अपने आसपास महसूस कर सकते हैं। यह अद्भुत एहसास सैलानियों को अपनी ओर खींचता है।
मछली प्वाइंट
यह जगह मैनपाट से करीब 20 किमी की दूरी पर स्थित है। बारिश के मौसम में यहां का झरना देखने लायक होता है। पहाड़ियों के बीच बहती मछली नदी की जलधारा सीधे ऊंची चट्टानों से नीचे गिरते हुए झरना बनाती है। इस मछली नदी में मछलियों की भरमार होने की वजह से इसे मछली पॉइन्ट कहा जाता है।
परपटिया प्वाइंट
मैनपाट के पश्चिमी छोर पर करीब 25 किमी दूर स्थित परपटिया प्वाइंट से खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं। यहां जंगलों से गुजरते हुए पर्यटक रास्ते में बादलों को देख सकते हैं। कालिदास के मेघदूतम की रचनास्थली रामगढ़ पर्वत इस प्वाइंट से देख सकते हैं। इस स्थान से सूर्यास्त का नज़ारा सैलानियों को खूब भाता है।
एलिफेंट पॉइंट
मैनपाट के जमदरहा नामक पहाड़ी नदी पर यह झरना स्थित है जहां पूरे साल इसमें पानी बहता रहता है। यह झरना चारों ओर घनघोर जंगल के बीचो बीच स्थित है, जो अपनी अद्भुत प्राकृतिक नजारे के लिए सैलानियों के बीच मशहूर है।
उल्टा पानी
मैनपाट से करीब पांच किमी की दूरी पर स्थित विसरपानी झरना है, जिसे लोग उल्टा पानी के नाम से जानते हैं। इस जगह पर पानी का बहाव ऊंचाई की ओर बहता प्रतीत होता है इसलिए इसे उल्टा पानी कहा जाता है। यहां पानी का बहाव ऊंचाई की ओर क्यों है इसका अभी तक पता नहीं चल सका । लोगों का मानना है कि यह केवल एक दृष्टि भ्रम यानि ऑप्टिकल इल्युजन है। कुछ लोगों का कहना है कि 185 मीटर के दायरे में यहां चुम्बकीय क्षेत्र है जिससे गुरुत्वाकर्षण बल अधिक रहता है जिससे पानी का बहाव ऊपर प्रतीत होता है।
बौद्ध मठ
बौद्ध मठों के लिए मशहूर इस जगह को वर्ष 1962 में तिब्बती शरणार्थियों के लिए बनाया गया था और इसलिए यह जगह ‘छत्तीसगढ़ का तिब्बत’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां के चार मठों में से एक मठ में करीब 20 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की बॉक्साइट मिश्रित मिट्टी से बनी आकर्षक प्रतिमा है। इस प्रतिमा को नेपाल और भूटान के कारीगरों ने मिलकर बनाया है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है जिसमें भारी संख्या में लोग आते हैं।
ठिनठिनी पत्थर
मैनपाट से करीब 36 किमी दूर छिन्दकालो गांव में सैकडों पत्थरों का एक समूह है जिनके बीच एक पत्थर करीब छह फिट लंबा है जिसे लोग रहस्यमयी पत्थर मानते हैं। काले पत्थरों के बीच स्थित धुंधले सफेद रंग का दिखने वाला यह पथर सबसे अलग दिखता और आवाज़ करता है जिसकी वजह कोई नहीं जानता। यह रहस्य आज तक बना हुआ है। इस पत्थर को किसी ठोस चीज से ठोकने पर अलग -अलग धातु को पीटने जैसी आवाज निकलती है। जैसे किसी स्थान से स्कूल की घण्टी बजाने वाली आवाज , तो कहीं पर पीतल के बर्तन, कांसे के बर्तन और मोटे बर्तन को पीटने जैसी आवाज । इस इलाके के ग्रामीण लोग इस पत्थर की पूजा करते हैं।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से मैनपाट पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा अम्बिकापुर सिटी एयरपोर्ट (दरिमा हवाई अड्डा) है। यहां से मैनपाट करीब 33 किमी दूर है। यह एक छोटा हवाईअड्डा है और यहां से गिनीचुनी उड़ने हैं। इसके अतिरिक्त रायपुर का स्वामी विवेकानन्द इंटरनेशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 381 और रांची का बिरसा मुण्डा एयरपोर्ट लगभग 298 किमी दूर है। यहां आकर टैक्सी या बस के जरिए मैनपाट पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से मैनपाट के लिए निकटतम स्टेशन अम्बिकापुर रेलवे स्टेशन है। यहां से यह जगह करीब 57 किमी दूर है। दूसरे विकल्प में विश्रामपुर रेलवे स्टेशन से यहां तक पहुंचा जा सकता है। इस स्टेशन से यह जगह करीब 74 किमी की दूरी पर स्थित है। बस टैक्सी द्वारा यहां पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से अम्बिकापुर से मैनपाट जाने के लिए अम्बिकापुर-सीतापुर रोड और दूसरा मार्ग दरिमा होते हुए जाता है। मैनपाट रायपुर से 366 किमी, राउरकेला से 255 किमी और कोरबा से लगभग 202 किमी की दूरी पर स्थित है।
कब जाएं ?
सालभर यहां का मौसम ठंड रहता है। गर्मी के मौसम में सर्दी का आनंद लेने के लिए यह जगह एकदम उपयुक्त है। हालांकि इस जगह किसी भी मौसम में जा सकते हैं। मॉनसून के दौरान इस पहाड़ी इलाके का प्राकृतिक सौन्दर्य और निखर जाता है। यहां अप्रैल से अक्टूबर के बीच ज्यादातर सैलानी आना पसंद करते हैं।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)