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Mallikarjuna Jyotirlinga: भारत का एक ऐसा मंदिर जहां स्वयं विराजित हैं भोलेनाथ, पुत्र के लिए किया था ज्योति रूप

Mallikarjuna Jyotirlinga Srisailam: 12 ज्योतिर्लिंगों के लिए कहा जाता है कि जहां-जहां महादेव साक्षत प्रकट हुए वहां इनकी स्थापना हुई. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इनमें ज्योति रूप में भगवान शिव स्वयं विराजमान

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 31 July 2024 4:10 PM IST
Mallikarjuna Jyotirlinga
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Mallikarjuna Jyotirlinga (Photos - Social Media)

Mallikarjuna Jyotirlinga : इस समय सावन का महीना चल रहा है और भोलेनाथ की पूजन के लिए सावन के महीने का विशेष महत्व माना गया है। इस महीने में शिव मंदिर में भी काफी भीड़ देखने को मिलती है और भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजन पाठ करने पहुंचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सावन के महीने में जो भी सच्चे मन से ज्योतिर्लिंग की पूजन अर्चन और दर्शन करता है उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। भारत अपने ऐतिहासिक मंदिरों और संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। मल्लिकार्जुन मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह भारत के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। ऐसे में अगर आप भी मल्लिकार्जुन मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको इस आर्टिकल की मदद से बताएंगे कि आप यहां कैसे पहुंच सकते हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की महिमा

अनेक धर्मग्रन्थों में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा बतायी गई है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। कुछ ग्रन्थों में तो यहां तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके दर्शन से अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है।

Mallikarjuna Jyotirlinga

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

वेद-पुराणों के अनुसार एक बार भगवान शिव के दोनों पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय विवाह के लिए आपस में झगड़ने लगे थे। वह इस बात पर बहस कर रहे थे कि सबसे पहले विवाह कौन करेगा। तब भगवान शिव ने निष्कर्ष निकालने के लिए उन दोनों को एक कार्य सौंपा। उन्होंने कहा कि जो सबसे पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर वापस आ जाएगा, उसी का विवाह सबसे पहले किया जाएगा। भगवान कार्तिकेय पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए चले गए लेकिन गणेश जी अपने स्थूल शरीर की वजह से विचार में पड़ गए। बुद्धि के देवता गणेश जी ने सोच-विचार करके अपनी माता पार्वती और पिता महादेव से एक आसन पर बैठने का आग्रह किया। उन दोनों के आसन पर बैठ जाने के बाद श्रीगणेश ने उनकी सात परिक्रमा की इस प्रकार श्रीगणेश माता-पिता की परिक्रमा करके पृथ्वी की परिक्रमा से प्राप्त होने वाले फल की प्राप्ति के अधिकारी बन गये।

उनकी चतुर बुद्धि को देख कर शिव और पार्वती दोनों बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रीगणेश का विवाह करा दिया। जब कार्तिकेय पृथ्वी से वापस लौटे तो गणेश जी को विवाहित पाकर अपने माता-पिता से अत्यंत क्रोधित हो गए। क्रोधित होकर कार्तिकेय क्रोंच पर्वत पर आ गए। इसके बाद सभी देवता उनसे कैलाश पर्वत पर लौटने की विनती करने लगे लेकिन वह नहीं माने। पुत्र वियोग में माता पार्वती और भगवान शिव दुखी हो गए।

जब दोनों से रहा नहीं किया तब वह स्वयं क्रोंच पर्वत पर गए। माता-पिता के आने की खबर सुनकर कार्तिकेय वहां से और दूर चले गए। अंत में पुत्र के दर्शन के लिए भगवान शिव ने ज्योति रूप धारण किया और उसी में माता पार्वती भी विराजमान हो गईं। उसी दिन से इन्हें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा। इसमें मल्लिका माता पार्वती का नाम है, जबकि अर्जुन भगवान शंकर को कहा जाता है। इस प्रकार सम्मिलित रूप से ‘मल्लिकार्जुन’ ज्योतिर्लिंग पूरे जगत में प्रसिद्ध है।

मल्लिकार्जुन मंदिर के खुलने का सही समय

मंदिर खुलने का समय – मंदिर सुबह 4:30 बजे खुलता है।

मंदिर बंद होने का समय – मंदिर रात 10:00 बजे बंद हो जाता है।

मंदिर में प्रवेश – निःशुल्क।

Mallikarjuna Jyotirlinga

मल्लिकार्जुन मंदिर के आसपास घूमने की जगह

मल्लिकार्जुन मंदिर के आसपास घूमने के लिए कई जगहें हैं, जिनमें शिखरेश्वरम, फलाधार पंचधारा, साक्षी गणपति, हाटकेश्वरम, अक्कमहादेवी गुफाएं आदि शामिल हैं। अगर आप यहां आएं तो इन जगहों पर घूम सकते हैं।

ऐसे पहुंचें मल्लिकार्जुन मंदिर

यदि आप ट्रेन से मंदिर आने की योजना बना रहे हैं, तो भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुन मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन मार्कपुर है, जो मंदिर से 80 किलोमीटर दूर है। यहां से आप निजी टैक्सी या निजी/सरकारी बस से मंदिर तक अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं। इसके अलावा निकटतम हवाई अड्डा बेगमपेट है, जो मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है।

अगर आप सड़क मार्ग से यहां आने का प्लान कर रहे हैं तो आप यहां आसानी से आ सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से यहां आने का प्लान कर रहे हैं तो आप यहां आसानी से आ सकते हैं। आप अपनी कार, निजी टैक्सी या निजी/सरकारी बस से आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यह मंदिर श्रीशैलम बस स्टैंड से सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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