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Mangalnath Temple Ujjain: उज्जैन के इस मंदिर में लिंग रूप में विराजमान है मंगल ग्रह, पूजन से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट
Mangalnath Temple Ujjain: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भगवान मंगल का बहुत प्राचीन मंदिर मौजूद है। जो अपने चमत्कारों के लिए पहचाना जाता है।
Magalnaath Temple Ujjain : उज्जैन एक ऐसी जगह है जो एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल की नगरी होने के साथ-साथ श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली और मंगल की जन्मस्थली भी है। उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर मौजूद है जहां पर भगवान मंगल की पूजन की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है और घर में सुख शांति नहीं रहती है। व्यापार व्यवसाय शादी भी हमें दिक्कत आ रही है उनके लिए उज्जैन में दिव्य स्थान मौजूद है जहां पर भगवान मंगल शिवलिंग के रूप में स्थापित है। उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग की विधि विधान से पूजन अर्चन करने के बाद अमानगल भी मंगल में बदल जाता है और सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। इस मंदिर को मंगल दोष से निवृत्ति के लिए न सिर्फ देश भर में बल्कि दुनिया भर में पहचाना जाता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पर कुछ जनार्दन के लिए पहुंचते हैं।
अति प्राचीन है मंदिर
उज्जैन में मौजूद मंगलनाथ मंदिर शिप्रा नदी के किनारे है जो बहुत ही प्राचीन है। पुराणों में वैसे भी उज्जैन मंगल की जन्मस्थली होने का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष है यदि वह ग्रहण की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में पूजन आसान करवाते हैं तो उनके सारे संकट दूर हो जाते हैं। यह मंदिर बहुत चमत्कारी है और कर्क रेखा पर स्थित होने के साथ-साथ देश के नाभी स्थल पर मौजूद है।
लिंग रूप में विराजमान हैं मंगल
इस मंदिर में भगवान मंगलनाथ शिव की प्रतिमा के रूप में लिंग रूप में विराजमान है। भगवान शिव और पृथ्वी के पुत्र भगवान मंगल देने और इनका अगर विधि विधान से पूजन किया जाता है तो कुंडली के अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव से छुटकारा मिलता है। भगवान मंगलनाथ को शीतल का प्रदान करने के लिए मंदिर में भात पूजा किए जाने का महत्व है जिससे प्रसन्न होकर वह भक्तों का आशीर्वाद देते हैं।
इन राशियों के हैं स्वामी
मंगल ग्रह में मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह से संबंधित कोई दोष होता है वह विश्व के एकमात्र इस मंगल ग्रह की उत्पत्ति वाले मंदिर में पहुंचकर पूछना अर्चन करने से समाप्त हो जाता है। यहां पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और मंगल के प्रकोप को शांत कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मंगलनाथ भगवान को सबसे प्रिय मास वैशाख होता है यही कारण है कि इस महीने में विशेष तौर पर मंदिर में पूजन अर्चन की जाती है।