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Manikaran: मणिकरण किसी स्वर्ग से कम नहीं, हिमाचल की ऐसी जगहें; जिससे लोग हैं अंजान
Manikaran in Himachal Pradesh: कुछ लोगों का मानना है कि भगवान शिव ने यहां अपनी तीसरी आंख खोली थी। दरअसल, एक कहानी के अनुसार भगवान शिव और देवी पार्वती इस स्थान की सुंदरता से मोहित हो कर कई वर्षों तक रहे।
Manikaran in Himachal Pradesh: भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू से 45 किमी दूर करीब 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मणिकरण शहर ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन के लिए काफी मशहूर है। संकरे पहाड़ी रास्ते से गुजरते हुए आप एक अलग दुनिया में प्रवेश करते हैं जहां भगवान शिव और गुरु नानकजी दोनों का इतिहास देखने को मिलता है। यहां कई खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं जिनमें सबसे आकर्षक गर्म पानी के झरने हैं। मणिकरण साहिब गुरुद्वारा सिखों और हिंदुओं दोनों के लिए खास महत्व रखता है। सिखों के अनुसार, गुरु नानक जी ने यहां कई चमत्कार किए थे। इस पानी में गुरुद्वारे के लंगर का खाना तैयार हो जाता है । साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस गरम पानी में स्नान करने से कई बीमारियां भी दूर हो जाती हैं।
मणिकरण नाम से पता चलता है कि यह मणि शब्द से बना है। कुछ लोगों का मानना है कि भगवान शिव ने यहां अपनी तीसरी आंख खोली थी। दरअसल, एक कहानी के अनुसार भगवान शिव और देवी पार्वती इस स्थान की सुंदरता से मोहित हो कर कई वर्षों तक रहे। एक बार देवी पार्वती की मणि यहां की पानी के धारा में खो गई और वे चिंतित रहने लगी । इस मणि को शेषनाग ने निगल ली थी, यह जानने के बाद भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। इस दौरान माता नैना देवी नामक शक्ति का जन्म हुआ।
देवताओं के आग्रह पर शेषनाग ने मणि तो वापस कर दिया। लेकिन वे इतने क्रोधित थे कि उन्होंने जोर से फुफकार मारी । इस दहाड़ से इस जगह पर गर्म पानी की धारा फूट पड़ी और पार्वती जी के रत्नों के समान कई रत्न पूरे पानी में फैल गए। इसके बाद इस स्थान का नाम मणिकरण पड़ गया।
मणिकरण में देखने लायक कई दर्शनीय स्थल हैं जिसमें प्रमुख हैं :
मणिकरण साहिब गुरुद्वारा :
सिखों और हिंदुओं के बीच प्रसिद्ध यह गुरुद्वारा पार्वती घाटी में पार्वती नदी के किनारे स्थित है। धार्मिक अनुष्ठान, गर्म पानी के झरने, प्राकृतिक भाप स्नान और सुंदर प्राकृतिक वातावरण यहां यात्रियों को आकर्षित करता है। ऐसी मान्यता है कि गुरु नानक ने अपने पांच शिष्यों के साथ इस गुरुद्वारे का दौरा किया था। ज्ञानी ज्ञान सिख द्वारा रचित 'बारहवें गुरु खालसा' में भी इस गुरुद्वारे का उल्लेख मिलता है। प्रतिदिन का लंगर भी यहां आने वाले पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां मंदिर प्रांगण में गर्म पानी के स्रोत से लंगर का खाना बनाया जाता है, उसमें भोजन उबालने के लिए इसी पानी का इस्तेमाल होता है।
गर्म पानी का झरना:
यह जगह एक प्राकृतिक भूवैज्ञानिक चमत्कार है, जहां गर्म उबलते पानी से भरा झरना है। कहा जाता है कि इन गर्म झरनों में यूरेनियम, सल्फर और कई अन्य रेडियोधर्मी तत्व होते हैं जो कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करते हैं। यह पानी इतना गर्म होता है कि इसमें चावल और दाल भी पका सकते हैं। यहां के गुरुद्वारा में लंगर का खाना इसी गर्म पानी की मदद से बनाया जाता है।
हरिंदर पर्वत:
हरी-भरी घाटियां, पार्वती नदी का कलकल जल और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ यह हरिंदर पर्वत मणिकरण में पर्यटकों के लिए खास पर्यटन स्थल है। इस जगह से शहर का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है।
कुलंत पीठ:
मणिकरण में हिंदू धर्म के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा माना जाता है कि यहां के विष्णु कुंड जो सभी कुंडों में सबसे पवित्र माना जाता है, डुबकी लगाने से सभी पापों के साथ क्रोध और बुराई भी धुल जाते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि यहां के पानी में उबाला हुआ भोजन करने से व्यक्ति विष्णु लोक को प्राप्त करता है।
शिव मंदिर :
यह मंदिर हिमालय की तलहटी के बीच में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने देवता स्वर्ग से आते हैं। यहां का शिवलिंग काले पत्थर को तराश कर बनाया गया है। सन 1905 में आए भीषण भूकंप के दौरान यह मंदिर गिरा नहीं । आज तक यह मंदिर झुके रूप में उसी तरह खड़ा है।
राम मंदिर:
इस मंदिर का निर्माण कुल्लू के राजा राजा जगत सिंह ने करवाया था और स्वयं भगवान राम और माता सीता की मूर्तियों को अयोध्या से कुल्लू लाए थे। इस मंदिर की वास्तुकला हिमाचल के 17वीं सदी के पिरामिडनुमा आकृति की है। दशहरा और रामनवमी यहां धूमधाम से मनाया जाता है।
खीरगंगा :
यह स्थल मणिकरण से लगभग 22 किमी की दूरी पर स्थित है। हरे-भरे जंगलों के बीच सूर्यास्त का नज़ारा , ट्रैकिंग, नेचर वॉकिंग और माउंटेन क्लाइंबिंग के लिए पर्यटक यहां खींचे चले आते हैं।
तीर्थन घाटी :
यह घाटी मणिकरण से 83 किमी की दूरी पर है। यह घाटी बहती हुई नदियों, हरी-भरी घाटियों और हिमालयन नेशनल पार्क के बफर ज़ोन में स्थित है। यहां अधिकतर साहसिक गतिविधियां की जाती हैं । पर्यटक यहां मछली पकड़ने/रैपलिंग/रॉक क्लाइंबिंग का मज़ा ले सकते हैं।
बिजली महादेव मंदिर :
यह कुल्लू का एक प्रसिद्ध मंदिर है और मणिकरण से 39 किमी दूर है। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में ‘काश’ शैली में बना एक शिव लिंग स्थापित है। इस मंदिर का नाम यहां के एक छोटे से गांव बिजली के नाम पर रखा गया है। दरअसल यहां के लोगों के अनुसार हर 12 साल में बिजली गिरने से इस मंदिर के अंदर का शिवलिंग कई टुकड़ों में टूट जाता है फिर मक्खन द्वारा मंदिर का पुजारी इसे जोड़ देता है। इसके बाद शिवलिंग अपने पहले स्वरूप में आ जाता है।
कैसरधर :
ऊंचे देवदार के पेड़ों से घिरा कुल्लू घाटी का यह एक खास पिकनिक स्पॉट है। मणिकरण से 53 किमी की दूरी पर यह स्थित है । यहां से सैलानी गांव और हरे भरे घाटी का सुखद अनुभव ले सकते हैं।
भृगु झील:
भृगु झील मणिकरण से 92 किमी की दूरी पर स्थित है और मनाली का एक प्रमुख आकर्षक पर्यटन स्थल भी है। इस झील का नाम ऋषि भृगु के नाम पर रखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि भृगु ऋषि ने इस झील के पास तपस्या की थी। प्राचीन लोक कथाओं में इस झील को 'देवताओं का तालाब’ भी कहा जाता था, इसमें यह बताया गया है कि देवताओं ने इस तालाब में स्नान किया था इसीलिए यह झील कभी पूरी तरह नहीं जमती।
नग्गर :
मणिकरण से 62 किमी कि दूरी पर स्थित कुल्लू जिले का यह छोटा सा शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। लोग यहां ट्रैकिंग और कैंपिंग का आनंद ले सकते हैं। यहां एक महल भी स्थित है जो अब एक लक्जरी होटल में तब्दील कर दिया गया है और कोई भी यहां जा सकता है। यहां एक लोक कला संग्रहालय और गर्म पानी का झरना भी है, जिसे सैलानी देखने आते हैं।
कैसे पहुंचें ?
रेलवे मार्ग से मणिकरण पहुंचने के लिए मुख्य रेलवे स्टेशन पठानकोट है । वहां से मणिकरण की दूरी करीब 300 किमी है और टैक्सी या बस के द्वारा कोई भी यहां पहुंच सकता है । कुल्लू या मनाली से भी सड़क के रास्ते मणिकरण की यात्रा कर सकते हैं।
हवाई मार्ग से मणिकरण पहुंचने के लिए पर्यटक कुल्लू मनाली हवाई अड्डा जिसे भुंतर हवाई अड्डा भी कहा जाता है , से यात्रा कर सकते हैं। चंडीगढ़ हवाई अड्डे से भी भुंतर हवाई अड्डा आकर , मणिकरण टैक्सी या बस की सहायता से पहुंच सकते हैं।
मणिकरण समुद्र तल से लगभग 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां का औसत तापमान 10 डिग्री के करीब रहता है। साल भर यहां का मौसम ठंडा रहता है इसलिए ज्यादातर पर्यटक अप्रैल से जून तक के गर्मी के मौसम के दौरान यहां आना पसंद करते हैं। बहुत से लोग सर्दियों के मौसम में भी स्नो फॉल का मज़ा लेने मणिकरण आते हैं। मणिकरण में प्राकृतिक गर्म झरने चारों तरफ फैले हैं इसलिए सर्दियों में भी लोग इसका आनंद लेने के लिए यहां आते हैं।
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)