Matangeshwar Mahadev Temple: भगवान शिव का चमत्मकारी मंदिर, जहां इस दिन बढ़ती है शिवलिंग की लंबाई, भोलेनाथ की मरकत मणि की जाने रहस्य

Matangeshwar Mahadev Temple:मतंगेश्वर महादेव मंदिर के बारे में लोगों की बेहद आस्था है। महादेव के इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग हर साल बढ़ती है।

Vidushi Mishra
Published on: 17 Nov 2022 12:44 AM GMT
Matangeshwar Mahadev Temple
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मतंगेश्वर महादेव मंदिर (फोटो- सोशल मीडिया)

Matangeshwar Mahadev Temple: हम आपको भगवान शिव के बहुत ही विख्यात मंदिर के बारे में बताते हैं। मध्य प्रदेश में खजुराहों के मंदिर हजारों वर्षों प्राचीन स्थापत्य कला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यहां तक की यूनेस्को ने खजुराहों को विश्व धरोहर में स्थान दिया है। ऐतिहासिक शास्त्रों में यहां 85 मंदिरों के बारे में बताया गया है लेकिन अभी सिर्फ 25 मंदिर ही शेष बचे हैं। इन मंदिरों में भगवान महादेव का मतंगेश्वर महादेव मंदिर बहुत ही मान्यताप्राप्त और चमत्कारिक महत्व है।

मतंगेश्वर महादेव मंदिर के बारे में लोगों की बेहद आस्था है। महादेव के इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग हर साल बढ़ती है। ऐसा कहा जाता है कि हर साल शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक इंच तक बढ़ती है। मंदिर के अधिकारियों लंबाई को नापते हैं।

भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर

मतंगेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग के बारे में यहां के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और उतनी ही फीट जमीन के बाहर है। उन्होंने ऐसा बताया कि हर साल कार्तिक महीने की शरद पूर्णिमा को शिवलिंग की लंबाई एक तिल के आकार के बराबर बढ़ती है। इस शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए पर्यटन विभाग के कर्मचारी मेजरमेंट टेप से लंबाई नापते हैं। जिसके बाद भगवान की चमत्कारी शिवलिंग पहले की अपेक्षा बढ़ा होता है।

मतंगेश्वर महादेव मंदिर (फोटो- सोशल मीडिया)

मंदिर के बारे में पुजारी आगे बताते हैं कि इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह शिवलिंग जितना ऊपर की तरफ बढ़ता है, उतना ही नीचे की तरफ भी बढ़ता है। इस शिवलिंग का ये अद्भुत चमत्कार देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और कई दिनों पहले से मंदिर में लोगों भी भीड़ लगी रहती है। देखा जाए तो मंदिर सालभर भक्तों से भरा रहता है लेकिन सोमवार और सावन के सोमवार और शरद पूर्णिमा पर यहां बहुत भीड़ लगती है।

खजुराहो में लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित भगवान शिव जी का ये मंदिर 35 फीट के वर्गाकार क्षेत्रफल में बना है। मंदिर का गर्भगृह भी वर्गाकार आकार में ही बना है। मंदिर का प्रवेश द्वार पूरब दिशा की तरफ है। जबकि मंदिर का शिखर बहुमंजिला है। मंदिर के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 900 से 925 ईसवी के करीब हुआ था।

इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो चंदेल शासक हर्षदेव के काल में मतंगेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण हुआ था। इस मंदिर के गर्भगृह में विशाल शिवलिंग है। प्राचीन काल से भगवान के शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

शास्त्रों में इस मंदिर के बारे में कथा वर्णित है कि भगवान शंकर के पास मरकत मणि थी। इस मणि को भगवान शिव ने पांडवों के भाई युधिष्ठिर को दे दी थी। उसके बाद युधिष्ठिर के पास से वह मणि मतंग ऋषि तक पहुंच गई। इसके बाद मतंग ऋषि ने उस मणि को चंदेल राजा हर्षवर्मन को दे दी। तभी से मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इस मंदिर का नाम मतंगेश्वर महादेव पड़ा। क्योंकि मणि की सुरक्षा के लिए इसे शिवलिंग के बीच जमीन में गाड़ दिया गया था। तब से आज तक मणि शिवलिंग के नीचे ही है। गई थी. कहा जाता है कि तब से मणि शिवलिंग के नीचे ही है।

Vidushi Mishra

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