Shri Krishna Famous Mandir: यहां है श्रीकृष्ण की भोजनथाली, यहां कन्हैया ने मित्रों संग किया था भोजन

Shri Krishnas Food Plate: श्री कृष्ण ने इस धरती पर अलग-अलग तरह की लीलाएं दिखाई है। उन्हीं की एक लीला भोजन थाली भी है चलिए आज इसके बारे में जानते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 21 May 2024 6:00 AM GMT (Updated on: 21 May 2024 7:58 AM GMT)
Shri Krishnas Food Plate
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Shri Krishnas Food Plate (Photos - Social Media)

Shri Krishnas Food Plate : भगवान श्रीकृष्ण की कई लीलाओं का वर्णन मिलता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, श्रीकृष्ण का जन्म वासुदेव और देवकी के गर्भ से कारगार में हुआ था. वासुदेव ने श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा के घर दे दिया था, जहां यशोदा ने उन्हें बड़े प्यार से पाला. बचपन से ही कृष्ण नटखट थे. वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर गांव वालों का माखन चुराकर खा जाते थे. इस वजह से उन्हें अपनी मां से डांट भी खानी पड़ती थी.भगवान श्री कृष्ण अपनी लीला दिखाकर वापस गोलोक चले गए लेकिन उनकी लीला की निशानी आज भी श्री कृष्ण के होने का एहसास दिलाते हैं। ऐसी ही एक निशानी है श्री कृष्ण की थाली।

कहां है श्री कृष्ण की भोजन थाली (Where is Shri Krishnas food plate)

भोजन थाली कामव्य वन, ब्रज में स्थित है। यह परिक्रमा में बहुत ही खास जगह है जहां श्री कृष्ण अपने सखा मित्रों के साथ खाते थे। जिस छोटी पहाड़ी पर श्री कृष्ण बैठते थे, इसका एक हिस्सा खोखले आकार में बदल दिया गया ताकि इसे श्री कृष्णा द्वारा भोजन के लिए थाली रूप में इस्तेमाल किया जा सके। चट्टान में ऐसे दो प्राकृतिक रूप हैं जिनका उपयोग कृष्णा बलराम द्वारा भोजन के लिए किया जाता था।


कहां जाना होगा (Where To Go)

अगर आप भी श्री कृष्ण की थाली देखना चाहते हैं तो भगवान की जन्मस्थली मथुरा से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामां यानी काम्यवन आइए। यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने व्योमासुर का वध किया था। व्योमासुर यहीं पास में एक गुफा में रहता था, जो आज भी इस घटन की गवाही देता है।

यहां श्रीकृष्ण ने किया था भोजन (Shri Krishna Had Food Here)

व्योमासुर का वध करने के बाद श्री कृष्ण ने एक कुंड में स्नान किया जिसे क्षीर सागर और कृष्ण कुंड के नाम से जाना जाता है। स्नान के बाद श्री कृष्ण ने ग्वाल सखाओं के संग भोजन किया। यहां पहाड़ी पर थाल और कटोरी का चिन्ह मौजूद है। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी थाल और कटोरे में भोजन किया था। माना जाता है कि भोजन की थाली के पास ही भगवान परशुराम जी ने तपस्या की थी।

देखें ये स्थान (Visit This Place )

भोजन करने वाले स्थल पर अभी भी पहाड़ी में थाल और कटोरी के चिह्न विद्यमान हैं। यहाँ पास में ही श्रीकृष्ण के बैठने का सिंहासन स्थल भी विद्यमान है। भोजन करने के पश्चात् कुछ ऊपर पहाड़ी पर सखाओं के साथ क्रीड़ा कौतुक का स्थल भी विद्यमान है। श्री कृष्ण के सखा एक शिला का वाद्य यन्त्र के रूप में व्यवहार करते थे। आज भी उस शिला को बजाने से नाना प्रकार के मधुर स्वर निकलते हैं, यह 'बाजन शिला' के नाम से प्रसिद्ध है। पास में ही शान्तु की तपस्या स्थली शान्तनु कुण्ड है, जिसमें गुप्तगंगा नैमिषतीर्थ, हरिद्वार कुण्ड, अवन्तिका कुण्ड, मत्स्य कुण्ड, गोविन्द कुण्ड, नृसिंह कुण्ड और प्रह्लाद कुण्ड ये एकत्र विद्यमान हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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