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Mathura Famous Temple: मथुरा में करें पाताल देवी माता के दर्शन, शक्तिपीठों में से एक है यह मंदिर
Mathura Famous Mata Mandir: मथुरा नगरी तो वैसे तो भगवान श्री कृष्ण के नाम से विख्यात है, लेकिन यहां पर माता का एक मंदिर भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।
Mathura Famous Mata Mandir: भगवान कृष्ण की नगरी में वृन्दावन में देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक कात्यायनी पीठ है। इस मंदिर को प्राचीन सिद्धपीठ में शामिल किया गया है। बताया जाता है कि यहां माता सती के केश गिरे थे, इसका प्रमाण शास्त्रों में भी मिलता है। नवरात्र के मौके पर देश-विदेश से लाखों भक्त माता के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। ऐसी मान्यता है कि राधारानी ने भी श्रीकृष्ण को पाने के लिए इस शक्तिपीठ की पूजा उस समय में कीथी।
मथुरा में पाताल देवी के रूप में विराजमान है माँ उमा कात्यायनी शक्तिपीठ जब माता सती के अंश विश्व के इक्यावन स्थानों पर गिरे थे। उन्हीं शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ मथुरा में स्थित है। कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर हिंदू धर्म में 51 प्रतिष्ठित शक्ति पीठों में से एक है। यह वृंदावन में राधाबाग के पास बना यह मंदिर इलाके के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
नाम: कात्यायनी शक्ति पीठ / उमा शक्ति पीठ वृन्दावन(Katyayani Shakti Peeth / Uma Shakti Peeth Vrindavan
लोकेशन : भक्तिवेदांत स्वामी मार्ग, गोदा विहार , वृन्दावन , उत्तर प्रदेश
समय: सुबह 7:00 बजे – 11:00 बजे फिर शाम 5:30 बजे – 8:00 बजे
देवी पार्वती को समर्पित है मंदिर
यह मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है, जो अपने कात्यायनी रूप में हैं। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान विष्णु द्वारा उनके मृत शरीर को काटने पर उनके बाल यहीं गिरे थे। कुछ लोग उन्हें देवी उमा के रूप में पूजते हैं। इसलिए, मंदिर को उमा शक्ति पीठ या उमा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
कात्यायनी शक्ति पीठ वृंदावन कैसे पहुँचें?
कात्यायनी/उमा शक्ति पीठ वृंदावन बस स्टॉप और वृंदावन रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर दूर है। निकटतम हवाई अड्डे आगरा हवाई अड्डा 80 किमी दूर और दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 170 किमी दूर हैं। आपको पूरे वृंदावन में ऑटो-रिक्शा और साइकिल-रिक्शा मिल जाएँगे। जिससे आप आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते है। मंदिर यमुना नदी के तट के पास है, और वहाँ पहुँचने में कुछ ही मिनट लगते हैं।
किसकी होती है पूजा?
कात्यायनी शक्ति पीठ वृंदावन में देवी की तलवार, जिसे उचावल चंद्रहास कहा जाता है, की भी पूजा की जाती है। हर साल, खासकर नवरात्रि के दौरान, मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है जो देवी कात्यायनी की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने आते हैं। कात्यायनी शक्तिपीठ या उमा शक्तिपीठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा के पास वृंदावन में भूतेश्वर महादेव मंदिर के अंदर स्थित है। यहाँ सती के बाल या चूड़ामणि का गुच्छा गिरा था। मंदिर में देवी को उमा के रूप में पूजा जाता है। इस पीठ के भैरव को भूतेश के नाम से जाना जाता है।
कात्यायनी शक्ति पीठ वृन्दावन की वास्तुकला
पूरा मंदिर सफ़ेद संगमरमर से बना है। और काले पत्थर से बने बड़े खंभे मंदिर को सहारा देते हैं। आपको मुख्य प्रांगण की ओर जाने वाली सीढ़ियों के ठीक बगल में दो सुनहरे शेरों की मूर्तियाँ भी मिलेंगी। ये शेर देवी के वाहन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कात्यायनी शक्ति पीठ की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन अपनी बेटी सती और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती ने अपमानित महसूस किया और यज्ञ की अग्नि में अपनी जान दे दी। जब शिव को पता चला, तो उन्होंने सती के निर्जीव शरीर को उठाया और व्याकुल होकर इधर-उधर घूमने लगे।
भगवान विष्णु ने शिव की पवित्रता को वापस लाने के लिए सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया। और सती के बालों की चुरामढ़ी यहाँ गिरीं। इसलिए, यह स्थान शक्ति पीठों में से एक बन गया और सती को समर्पित एक मंदिर बनाया गया। उन्हें यहाँ उमा भी कहा जाता है। इसलिए, मंदिर को उमा देवी शक्ति पीठ कहा जाता है।
मान्यता को लेकर दूसरी किंवदंती
उमा शक्ति पीठ वृंदावन से जुड़ी एक अन्य किंवदंती यह है कि कात्यायनी देवी की पूजा करने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रज (मथुरा-वृंदावन के आस-पास का क्षेत्र) की गोपिकाएँ भगवान कृष्ण को अपना पति बनाना चाहती थीं। इसलिए, वृंदा देवी ने उन्हें देवी कात्यायनी की पूजा करने का सुझाव दिया। तब से यह परंपरा आज भी जारी है।