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McCluskieganj: एंग्लो इंडियन का भारत में मिनी लंदन

McCluskieganj: नाम से भी मशहूर है। यहां का आदिवासी समाज प्राचीन काल से अपनी लोक संस्कृति-परंपराओं को बरकरार रखते चला आ रहा है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 23 July 2024 7:43 PM IST
McCluskieganj ( Social- Media- Photo)
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McCluskieganj ( Social- Media- Photo)

McCluskieganj: भारत देश का झारखंड राज्य अपने कई पर्यटन स्थल के लिए मशहूर है, उन्हीं में से एक है मैकलुस्कीगंज जो ‘इंडिया का मिनी लंदन’ के नाम से भी जाना जाता है। इस जगह एंग्लो इंडियन लोगों की संख्या ज्यादा है, इसके कारण यह पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहता है।वैसे भी अपने देश में झारखंड विभिन्न जनजातियों के लिए विख्यात है, साथ ही खनिज संपदा से संपन्न यह राज्य भारत देश का 'रूर' ( जो जर्मनी का एक खनिज प्रदेश है) नाम से भी मशहूर है। यहां का आदिवासी समाज प्राचीन काल से अपनी लोक संस्कृति-परंपराओं को बरकरार रखते चला आ रहा है।


रांची से करीब 60 किमी की दूरी पर स्थित इस मैकलुस्कीगंज शहर को लेफ्टिनेंट मैकलुस्की ने बसाया था। जंगलों के बीच में बसे मैकलुस्कीगंज को रातू के महाराज से जमीन लेकर आलीशान बंगले, क्लब व चर्च बनाकर बसाया गया। लगभग 10,000 एकड़ में फैले इस शहर में पश्चिमी सभ्यता के बने बंगले उनकी संस्कृति, रहन-सहन, तौर-तरीकों की झलक भी देखने को मिलती है। यह जगह चारों ओर पहाड़ों से घिरा हुआ होने के कारण छुट्टियां बिताने के लिए अनुकूल है। दुगा दुगी नदी और जागृति विहार जैसे स्थान पर्यटकों की पसंदीदा जगह हैं।


यहां की आबादी समय के साथ कम होती गई । लेकिन अभी भी कुछ एंग्लो इंडियन लोगों को यहां देखा जा सकता है। आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार ने इनका ध्यान नहीं दिया जिस कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उस दौरान भारत में टिमोथी मैकलुस्की ने अपने समाज के लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की और उन्हें यहां बसने का न्यौता दिया। धीरे धीरे लोग बसने के बाद पलायन कर अमेरिका, आस्ट्रेलिया व यूरोप के अन्य शहरों में जाकर बस गए। यहां के खाली पड़े बंगले को फिर से गेस्ट हाउस का रूप दिया गया। भले ही इस शहर की आबादी कम है लेकिन यह एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।इस स्थान का जिक्र देश-विदेश के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने अपने कृतियों में की है। अधिकतर फिल्म निर्देशक और लेखक इस जगह पर आकर रहते हैं।यहां कई दर्शनीय स्थल भी हैं जिसे घूम सकते हैं। जिनमें प्रमुख हैं :

सर्वधर्म स्थल-

इस जगह मंदिर, मजार, गुरुद्वारा और अ‌र्द्ध निर्मित चर्च एक ही जगह स्थित है जिसको देखने सैलानी यहां आते हैं।


सीता कुंड-

शहर के करीब सीता कुंड के नाम से विख्यात यह एक जलकुंड है, जिसकी मान्यता है कि इसमें नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। हरे भरे वादियों में यह जगह भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।


नकटा पहाड़-

मायापुर गांव में स्थित इस जगह पर ज्यादातर लोग पिकनिक मनाने आते हैं। हर साल नववर्ष पर यहां के गांव वालों द्वारा मेला लगाया जाता है, जो देखने लायक होता है। यहां एक मंदिर भी है जहां लोग अपनी मुरादें पूरी होने के लिए आते हैं।


वाच टावर -

हेसालौंग पहाड़ी पर वन विभाग द्वारा निर्मित इस वाच टावर से पर्यटक मैकलुस्कीगंज के नजदीक का नजारा देख सकते हैं। इस जगह भी ज्यादातर सैलानी पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।


कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से मैकलुस्कीगंज जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा रांची का बिरसा मुंडा हवाई अड्डा है। यहां से इस शहर की दूरी करीब 54 किमी है। बस या टैक्सी से मैकलुस्कीगंज पहुंचा जा सकता है।रेल मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन रांची या हटिया स्टेशन है। स्टेशन पहुंच कर टैक्सी ,बस या स्थानीय परिवहन सेवा लेकर मैकलुस्कीगंज पहुंच सकते हैं।सड़क मार्ग से भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं, देश के कई बड़े शहरों के राष्ट्रीय राजमार्ग से रांची के रास्ते यह अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जंगलों के बीच होने के कारण यहां ना ज्यादा गर्मी ना ज्यादा ठंड रहती है, साल भर यहां का मौसम सुहाना रहता है इसलिए आप यहां आने का प्लान कभी भी कर सकते हैं। यह शहर भाग-दौड़ से दूर शांत वातावरण में है और प्रकृति का एहसास और सुंदरता एकदम करीब से देखने और महसूस करने का अवसर देता है।यहां कई अंग्रेजी बंगले को गेस्ट हाउस में तब्दील कर दिया गया है जहां आप अपने बजट में रूम बुक करा सकते हैं।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)



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Shalini Rai

Shalini Rai

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