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Kamnath Mahadev Temple: भारत के इस मंदिर में मौजूद है 600 साल से ज्यादा पुराना घी
Kamnath Mahadev Temple Gujrat: भारत में एक से बढ़कर एक प्रसिद्ध और चमत्कारी धार्मिक स्थान मौजूद है। आज एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं जहां 600 साल पुराना घी भी मिल जाता है।
Kamnath Mahadev Temple Gujrat : गुजरात में कई प्राचीन मंदिर आए हुये है, जहां की कहानियाँ सुनकर आप आश्चर्यचकित रह जाएँगे। एक ऐसे ही मंदिर की बात हम करेंगे। गुजरात में अहमदाबाद से लगभग 50 किलोमीटर दूर आए इस मंदिर में पिछले 600 से 650 सालों से काली मिट्टी के मटकों में लगभग 13 से 14 हजार किलो घी पड़ा हुआ है, जो आज तक ना बिगड़ा है और ना ही इसमें कोई जंतु पड़े है।
मौसम का भी नहीं होता असर
अहमदाबाद से 50 किलोमीटर दूर खेड़ा जिले में आए रढ़ू नामक गाँव में वात्रक नदी के किनारे आई इस गाँव में कामनाथ महादेव मंदिर में लगभग 600 से 650 काली मिट्टी के मटके भरे है। मंदिर के कमरों में सालों से यह घी पड़े हुये है। आम तौर पर यदि घी थोड़ा समय हो जाये तो उसमें से गंध आने लगती है या तो उसमें कीड़े पद जाते है। पर इस कमरे में पड़ा 13 से 14 हजार किलो घी पिछले 600 सालों से ऐसे ही पड़ा है। गर्मी और ठंडी में भी इस घी में कोई फर्क नहीं पड़ता।
ऐसा है इतिहास
राधू कामनाथ महादेव मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1445, (वर्ष - 1389) में किया गया था और ज्योत भगवान शिव के महान भक्त राधू के रहने वाले पटेल जेसांगभाई हीराभाई द्वारा लाया गया था। भगवान शिव के दर्शन के बाद ही जेसंगभाई ने भोजन या चाय ग्रहण की। उस समय, राधू में कोई भगवान शिव का मंदिर नहीं था, इसलिए वह वत्रक नदी को पार कर गया और प्रतिदिन लगभग आठ किलोमीटर दूर पुनज गाँव गया और भगवान शिव की पूजा की। उन्होंने लंबे समय तक इस नियम का पालन किया, लेकिन वर्ष 1445 में, वात्रक नदी में भारी बाढ़ आ गई, इसलिए वे शिव दर्शन के लिए पुणज के लिए प्रस्थान नहीं कर सके, आठ दिनों तक जारी रहा।
उन्होंने इतने दिनों तक न तो भोजन किया और न ही चाय और आठ दिनों तक उपवास किया। भगवान शिव ने पूजा का आशीर्वाद दिया और स्वप्न में कहा कि पुनज शिव मंदिर से एक पवित्र ज्योति ले लो और अपने गांव राधू में ले जाओ। अगले दिन उन्होंने अन्य भक्तों को इस बारे में बताया और पुनज से पवित्र ज्योति को राधु तक ले जाने का फैसला किया। वे सभी पुनज शिव मंदिर गए और पुनज से ज्योत को राधू के पास ले गए और तेज बारिश और हवा में भी ज्योत बंद नहीं हुई। यह पवित्र मास श्रावण के कृष्ण पक्ष का बारह दिन था।
भगवान शिव का चमत्कार
इस प्रकार पूरे देश में स्थानीय लोगों और भक्तों के बीच शुद्ध घी का प्रवाह जारी है। आज, मंदिर में प्रत्येक बर्तन में शुद्ध घी के लगभग 800 मिट्टी के बर्तन और 50 किलो औसत घी है। तो मंदिर के भंडार में लगभग 40000 किलो घी जमा है और दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस घी का उपयोग केवल श्रावण मास में होने वाले यज्ञ और यज्ञ में ही किया जा सकता है। राधू के आगमन के दिन से ही मंदिर में ज्योति जलाई जाती है। ये मटके खुले स्थान पर होते हैं लेकिन भगवान शिव का चमत्कार है, कोई भी कीट या चींटी मटके के अंदर नहीं जा सकता है और साथ ही लगभग छह सौ तीस साल बाद भी मटके से कोई दुर्गंध नहीं आती है। मंदिर में तीन बड़े शुद्ध घी के भंडार (भंडार) हैं और फिर भी दिन-ब-दिन घी का प्रवाह बढ़ता जाता है।