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Dangerous Airports in India: यह हैं भारत के खतरनाक एयरपोर्ट, यहां से टेक ऑफ और लैंडिंग है बहुत मुश्किल
Most Dangerous Airports in India : यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए और उन्हें सुविधा देने के लिए भारत में कई सारे एयरपोर्ट संचालित होते हैं। लेकिन इनमें से कुछ एयरपोर्ट ऐसे भी हैं जो काफी खतरनाक माने जाते हैं।
Most Dangerous Airports in India : भारत में एक नहीं बल्कि कई सारे एयरपोर्ट मौजूद है जहां से यात्री अपने गंतव्य के लिए उड़ान भरते हैं। कहीं सारी एयरलाइंस अलग-अलग एयरपोर्ट से अपने विमान संचालित करती है। कहीं एयरपोर्ट ऐसे भी हैं जहां से टेक ऑफ लैंडिंग करना दोनों ही बहुत मुश्किल है। पहाड़ों और समुद्रों के साथ घने जंगलों के बीच मौजूद इन एयरपोर्ट से अगर आप फ्लाइट से यात्रा कर रहे हैं तो आपके यहां से जुड़े कुछ बातें जान लेनी चाहिए।
शिमला एयरपोर्ट (Shimla Airport)
देश की सबसे खतरनाक एयरपोर्ट में शिमला एयरपोर्ट भी शामिल है। शिमला विमानक्षेत्र भारत के शिमला शहर में स्थित हवाई अड्डा है। इसका ICAO कोड है: VISM और IATA कोड है: SLV। यह नागरिक हवाई अड्डा है। यहाँ कस्टम विभाग नहीं है। यहाँ की उड़ान पट्टी पेव्ड है,हिमाचल प्रदेश के इस एयरपोर्ट का रनवे काफी ज्यादा छोटा है ऐसे में टेक ऑफ लैंडिंग दोनों बहुत मुश्किल होती है। खराब मौसम के कारण यहां पर पायलट को लैंडिंग करना काफी मुश्किल होता है। फ्लाइट को डाइवर्ट भी करना पड़ता है।
लेह एयरपोर्ट (Leh Airport)
कुशोक बकुला रिंपोचेे विमानपत्तन लद्दाख की राजधानी लेह में निर्मित भारत का एक हवाई अड्डा है। यह समुद्र के स्तर से 3,256 मीटर ऊपर लेख लद्दाख के पहाड़ों के बीच स्थित है। लेह लद्दाख का एयरपोर्ट भी काफी खतरनाक है। यह समुद्र तल से 3256 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। भारत के पहाड़ों से गिरा एयरपोर्ट टेक ऑफ लैंडिंग करने में बहुत चैलेंजिंग रहता है। पायलट को यहां पर तेज हवा और काम ऑक्सीजन स्टार का सामना करना पड़ता है।
मंगलौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Mangalore International Airport)
कर्नाटक का मंगलौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहाड़ियों के बीच मौजूद है। मैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो भारत के तटीय शहर मैंगलोर में सेवा प्रदान करता है। यह कर्नाटक में केवल दो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों में से एक है, इसका रनवे दोनों तरफ से घाटियों से घिरा हुआ है। रनवे छोटा होने की वजह से पायलट को तुरंत एक्शन देना पड़ता है। मौसम में आने वाला बदलाव कहीं मुश्किलें पैदा करता है।