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India Most Expensive City: भारत का सबसे महंगा शहर कौन, मुम्बई या ये ?
Most Expensive City of India: भले ही मुंबई सपनों - उम्मीदों का शहर हो, लेकिन रहने के लिहाज से इससे महंगा और कोई शहर नहीं है। दूसरी तरफ अहमदाबाद है जिसे सबसे किफायती शहर आंका गया है।
Most Expensive City of India: मायानगरी, आर्थिक राजधानी, सपनों का शहर, सदा जीवंत आदि नामों से मशहूर मुम्बई की शान में एक और खिताब जुड़ गया है - भारत के सबसे महंगे शहर के रूप में। जी हां, भले ही मुंबई सपनों - उम्मीदों का शहर हो, लेकिन रहने के लिहाज से इससे महंगा और कोई शहर नहीं है। दूसरी तरफ अहमदाबाद है जिसे सबसे किफायती शहर आंका गया है। "नाइट फ्रैंक अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स 2023" के अनुसार मुंबई रहने के लिए सबसे महंगा शहर है। जबकि अहमदाबाद को भारत के सबसे किफायती शहर के रूप में स्थान दिया गया है।
आवास सबसे बड़ा मसला
रहने की लागत में आवास का मसला सबसे बड़ा है। किसी भी जगह की आर्थिक उन्नति को पावर देने के लिए कुशल कार्यबल चाहिए होता है और कार्यबल को रहने के लिए उसकी सामर्थ्य वाला गुणवत्तापूर्ण आवास चाहिए। ऐसे आवासों की सप्लाई पर्याप्त है नहीं सो समस्या यहीं से शुरू होती है। अच्छी क्वालिटी के आवास की अपर्याप्त आपूर्ति से प्रॉपर्टी की कीमतों में वृद्धि होती है जो आय वृद्धि से कहीं अधिक होती हैं।
बहरहाल, वैश्विक सामर्थ्य संकट को बेहतर ढंग से समझने के लिए नाइट फ्रैंक ने तीन महत्वपूर्ण मापदंडों के आधार पर दुनिया भर के 32 शहरों का मूल्यांकन करते हुए ग्लोबल अफोर्डेबिलिटी मॉनिटर की शुरुआत की है।
आय से 7 गुना महंगा आवास
नाइट फ्रैंक इंडिया अफोर्डेबिलिटी बेंचमार्क के अनुसार मुंबई की स्थिति गंभीर है। आवास की औसत कीमतें औसत घरेलू आय से लगभग सात गुना अधिक होने के कारण, मुंबई में आवास के स्वामित्व का वित्तीय बोझ सभी प्रमुख भारतीय शहरों में सबसे ज्यादा है।
खास बातें
- मुंबई में औसत अपार्टमेंट की कीमत अब औसत घरेलू आय से सात गुना है। वैसे, 2010 में यह 11 गुना थी। यानी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार है।
- कोलकाता, अहमदाबाद और पुणे जैसे अन्य शहर बेहतर सामर्थ्य वाले हैं जहां अपार्टमेंट की कीमतें औसत घरेलू आय से केवल तीन गुना अधिक हैं।
- नाइट फ्रैंक अफोर्डेबिलिटी बेंचमार्क के मुताबिक आवास की कीमत औसत वार्षिक घरेलू आय की अधिकतम 4.5 गुना होनी चाहिए। ये आंकड़ा पाना मुंबई, एनसीआर और हैदराबाद जैसे शहरों के लिए एक लक्ष्य बना हुआ है।
- रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल आवास परिदृश्य सामर्थ्य की ओर बढ़ रहा है तथा भारतीय आवासीय बाजार ही इस वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
क्या हैं कारण
दरअसल, भारत में रोजगार और व्यावसायिक संभावनाओं के चलते शहरी विस्तार देखा जा रहा है। इसी के साथ लोगों में बेहतर जीवन की चाहत तेजी से बढ़ी है। बेहतर जीवन में अपना आवास एक बड़ा फैक्टर है। आवास प्राप्त करना स्थिरता, उपलब्धि और सोशल स्टेटस का प्रतीक है, जिसकी वजह से आवासीय अचल संपत्ति एक बेशकीमती संपत्ति बन गई है।
संपत्ति के स्वामित्व के प्रति इस चाहत ने कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है। हालाँकि, 2010 की शुरुआत में बाज़ार की रफ्तार बदल गई। अपार्टमेंट के बड़े आकार के साथ बढ़ती कीमतों के कारण मांग में कमी आई।