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MP Ka Famous Mandir: एक बार जरूर करें मध्य प्रदेश के इन देवी मंदिरों के दर्शन
MP Ka Famous Mandir:: मध्य प्रदेश में एक नहीं बल्कि कई सारे देवी मंदिर मौजूद है। यह सभी अपने चमत्कारों के लिए पहचाने जाते हैं। चलिए आज हम आपको कुछ मंदिरों के बारे में बताते हैं।
Famous Devi Temples of MP : 9 अप्रैल से नवरात्रि का त्योहार शुरू होने वाला है। नवरात्रि शुरू होते ही एक बार फिर देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती हुई देखी जाएगी। नवरात्रि के समय देवी दुर्गा के 9 स्वरूप समेत अन्य स्वरूपों की आराधना की जाती है। इस समय पर लोग पूजन पाठ, अनुष्ठान और व्रत उपवास करते हैं। नवरात्रि के समय सभी लोग देवी मंदिरों में दर्शन करने के लिए भी जाते है। चलिए आज हम आपको मध्य प्रदेश में मौजूद कुछ प्रसिद्ध देवी मंदिरों के बारे में बताते हैं। यह देवी मंदिर अपने चमत्कारों के लिए पहचाने जाते हैं और यहां बड़ी संख्या में भक्ति पहुंचते हैं।
मैहर (Maihar)
मैहर मां शारदा देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, यहां रोजाना देवी के दर्शन को लेकर भारी भीड़ होती है। यह पवित्र धाम मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर को लेकर लोगों की कई सारी मान्यताएं हैं। मैहर के इस शारदा देवी धाम में पहुंचना इतना आसान नहीं है। इसके लिए दर्शनार्थियों को त्रिकूट पर्वत पर 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। हालांकि जो यह लंबा रास्ता तय करने में असमर्थ हैं वे रोपवे उड़न खटोले की सुविधा भी ले सकते हैं। लेकिन इसके बाद भी ज्यादातर भक्त सीढ़ियों से ही जाते हैं।
चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple)
विश्व प्रसिद्ध भेड़ाघाट के नजदीक स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सभवतः भारत का इकलौता मंदिर है, जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए नर्मदा ने भी अपनी दिशा बदल दी थी। हालाँकि देश के कई अन्य मंदिरों की तरह यह भी औरंगजेब के इस्लामिक कट्टरपंथ की भेंट चढ़ा, लेकिन वह मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा का कोई नुकसान नहीं कर पाया।
काली माता मंदिर (Kali Maa Temple)
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक तलैया स्थित काली माता मंदिर है। मान्यता है कि मां काली यहां से किसी को खाली हाथ नहीं जाने देतीं। यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। भोपाल के छोटे तालाब के किनारे बने इस सिद्ध मंदिर का निर्माण 1967 में कालिका मंदिर धर्मार्थ न्यास ने किया था। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि पुराने भोपाल के इतवारा में रहने वाले मूर्तिकार ने इस मूर्ति का निर्माण किया था। इस मंदिर की एक और विशेषता इसका 108 फीट ऊंचा शिखर है। इस शिखर के कारण मंदिर दूर से ही पहचान में आ जाता है। लोग दूर-दूर से मन्नत लेकर काली माता के दरबार में आते हैं।
हरसिद्धि माता मंदिर (Harsiddhi Devi Temple)
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित हरसिद्धि देवी का मंदिर देश की शक्तिपीठों में से एक है। यह वह देवी हैं जो राजा विक्रमादित्य की आराध्य थीं और राजा अमावस की रात को विशेष पूजा अनुष्ठान कर अपना सिर चढ़ाते थे, मगर हर बार देवी उनके सिर को जोड़ देती थीं। मान्यता है कि सती के अंग जिन 52 स्थानों पर अंग गिरे थे, वे स्थान शक्तिपीठ में बदल गए और उन स्थानों पर नवरात्र के मौके पर आराधना का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि सती की कोहनी उज्जैन में जिस स्थान पर गिरी थी, वह हरसिद्धि शक्तिपीठ के तौर पर पहचानी जाती है।
कंकाली माता (Kankali Mata)
कंकाली माता मंदिर रायसेन जिले के गुदावल गांव में हैं। दावा किया जाता है कि यहां मां काली की देश की पहली ऐसी मूर्ति है जिसकी गर्दन 45 डिग्री झुकी हुई है। मंदिर की स्थापना तकरीबन 1731 के आस-पास मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इसी वर्ष खुदाई के दौरान यह मंदिर मिला था। हालांकि मंदिर कब अस्तित्व में आया इसकी तारीख या वर्ष का कोई सटीक प्रमाण नहीं मिलता है।