×

Mughal Emperors History: मुगल बादशाहों के शाही सहरी और इफ्तार में परोसे जाते थे ये लज़ीज़ व्यंजन,जिनके स्वाद के आज भी हैं लोग दीवाने

Mughal Ka Shahi Khana: क्या आप जानते हैं कि मुग़ल काल में बादशाह सेहरी और इफ्तारी में कौन से लज़ीज़ पकवान खाया करते थे आइये जानते हैं क्या है वो जिसे आज भी लोग बेहद पसंद करते हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 30 March 2025 6:05 PM IST
Mughal Emperors Delicious Dishes
X

Mughal Emperors Delicious Dishes (Image Credit-Social Media)

Mughal Emperors Royal Food: मुगल साम्राज्य ने भारतीय खान-पान को न केवल समृद्ध किया । बल्कि उसमें नए स्वादों और व्यंजनों की अनूठी विरासत भी जोड़ी। खासकर रमज़ान के दौरान मुगल बादशाहों द्वारा की जाने वाली शाही सहरी और इफ्तार आज भी ऐतिहासिक और पाक-संस्कृति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। उनकी भोजन परंपरा स्वाद, सुगंध और शाही ठाट-बाट का मिश्रण थी, जो आज भी लोगों को मोहित करती है। मुगल बादशाहों की खान-पान संस्कृति आज भी जीवंत है। लखनऊ, दिल्ली, हैदराबाद और लाहौर जैसे शहरों में मुगलई खानपान का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। विशेष रूप से रमज़ान के महीने में इन व्यंजनों की लोकप्रियता बढ़ जाती है। शाही बिरयानी, कबाब, नान और शीरमाल आज भी विभिन्न रेस्टोरेंट्स और घरों में रमज़ान के दौरान बनाए जाते हैं। आइए जानते हैं मुगलों के सहरी और इफ्तार में परोसे जाने वाले लजीज व्यंजनों के बारे में विस्तार से, साथ ही जानेंगे कि कौन-से मुगल बादशाह किस व्यंजन को विशेष रूप से पसंद करते थे-

बेहद खास होता था मुगल शासन काल का बावर्चीखाना

मुगल शासन काल में बावर्चीखाना (रॉयल किचन) बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह न केवल भोजन तैयार करने का स्थान था, बल्कि इसे सम्राट और दरबारियों के खान-पान की परंपराओं, शाही आतिथ्य और भोजन संस्कृति के केंद्र के रूप में भी देखा जाता था। मुगल सम्राटों के लिए विशेष व्यंजन तैयार करने के लिए बावर्चीखाना में कुशल बावर्चियों (शाही रसोइयों) की एक बड़ी टीम कार्यरत रहती थी। अकबर के समय में शाही बावर्चीखाना बहुत व्यवस्थित रूप से संचालित होता था। इसमें केवल भारतीय व्यंजन ही नहीं, बल्कि फ़ारसी, तुर्की और मध्य एशियाई व्यंजन भी बनाए जाते थे।

शाही भोज और मेहमानों की मेजबानी

शाही भोज और मेहमानों की मेजबानी के लिए बावर्चीखाने में खास व्यवस्था रहती थी। विदेशी दूतों, राजाओं और उच्च पदस्थ व्यक्तियों के लिए शाही दावतों के लिए यहां उचित व्यवस्था रहती थी। शाही दावतों में भोजन में विशेष पकवान, मसालेदार व्यंजन, मिठाइयाँ और सुगंधित पेय परोसे जाते थे।

भोजन की सुरक्षा और विशिष्टता

मुगल शासकों के लिए भोजन की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण थी, इसलिए बावर्चीखाना में भोजन की विष-निरोधी जांच करने के लिए विशेष सेवकों को रखा जाता था। सम्राट के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए व्यंजनों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही परोसा जाता था।

भोजन की विविधता और पाक कला का विकास

बावर्चीखाने में भारतीय मसालों और फ़ारसी-तैमूरी पाक परंपराओं के समन्वय से नए-नए व्यंजनों का विकास हुआ। जैसे – बिरयानी, कबाब, नाहरि, शीरी खुरमा और शाही टुकड़ा।

खाद्य सामग्री का नियंत्रण और प्रबंधन

बावर्चीखाने के लिए अलग-अलग विभाग थे, जो विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों की व्यवस्था करते थे। उदाहरण के लिए, एक विभाग केवल मसाले, एक दूध और डेयरी उत्पादों और एक अन्य मीट व अनाज का प्रबंधन करता था।

बावर्चीखाना केवल भोजन पकाने की जगह नहीं थी, बल्कि यह मुगलों की सांस्कृतिक और राजनीतिक शक्ति का भी प्रतीक था। इसमें तैयार व्यंजनों की गुणवत्ता और विविधता सम्राट की शान और राज्य की समृद्धि को दर्शाती थी।

मुगल दरबार के खानसामे और उनकी भूमिका

मुगल दरबार में खानसामों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इनके ऊपर नित नए स्वादिष्ट व्यंजनों से सजी शाही थाली तैयार करने की जिम्मेदारी होती थी। ये कुशल रसोइए न केवल बेहतरीन भोजन तैयार करते थे बल्कि नए-नए व्यंजनों का भी आविष्कार करते थे। शाहजहां के समय में, प्रसिद्ध खानसामा मिर्ज़ा अब्दुल रहीम ने कई शाही व्यंजन विकसित किए, जिनमें केसर बिरयानी और शाही टुकड़ा प्रमुख थे। अकबर के दरबार में मुहम्मद अली नामक खानसामा था, जिसने शाही कबाब और मीठे पकवानों में नयापन लाया। जहांगीर के शासनकाल में, गुलाम नबी नामक एक रसोइया ने विभिन्न प्रकार की मांसाहारी करी विकसित की, जो आज भी प्रसिद्ध हैं।

मुगलों का शाही इफ्तार

मुगल दरबार में इफ्तार का आयोजन बड़े ठाठ-बाट से किया जाता था। आमतौर पर इफ्तार की शुरुआत खजूर और शर्बत से होती थी, जिसे अरबी परंपरा के अनुसार अपनाया गया था। इसके बाद विभिन्न प्रकार के शाही व्यंजन परोसे जाते थे।जो कि इस प्रकार हैं:-

1. खजूर और शर्बत:

मुगलों के इफ्तार की शुरुआत खजूर से होती थी, जो न सिर्फ परंपरागत बल्कि पोषण से भरपूर होते हैं। शर्बत के रूप में गुलाब, केवड़ा और फालसे का प्रयोग किया जाता था। विशेष रूप से 'शर्बत-ए-गुलाब' और 'शर्बत-ए-संदल' बहुत लोकप्रिय थे।

2. बिरयानी और पुलाव:

बिरयानी और पुलाव मुगलों के इफ्तार का अहम हिस्सा थे। खासतौर पर जाफरानी बिरयानी और शाही मटन पुलाव इफ्तार में प्रमुख रूप से परोसे जाते थे। इन्हें देसी घी, केसर और सूखे मेवों के साथ तैयार किया जाता था। अकबर और शाहजहां को केसर बिरयानी विशेष रूप से पसंद थी। अकबर और शाहजहां को केसर बिरयानी विशेष रूप से पसंद थी।

3. कबाब और कोफ्ते:

मुगल बादशाहों को कबाब और कोफ्ते बेहद पसंद थे। गलौटी कबाब, शामी कबाब, सीक कबाब और नर्गिसी कोफ्ता जैसे व्यंजन इफ्तार की शान हुआ करते थे। इन्हें विशेष रूप से मांस को नरम और मसालेदार बनाकर तैयार किया जाता था। बाबर को खासतौर पर सीक कबाब पसंद थे, जबकि औरंगजेब हल्के मसालों वाले शामी कबाब को प्राथमिकता देते थे।

4. नान और शीरमाल:

इफ्तार में खासतौर पर विभिन्न प्रकार की रोटियां और नान परोसी जाती थीं। शीरमाल, जो केसर और दूध से बनी मीठी रोटी होती है, इफ्तार का एक प्रमुख आकर्षण थी। यह शाहजहां का पसंदीदा व्यंजन था।

5. मीठे व्यंजन:

मुगलों के इफ्तार में मीठे का भी खास स्थान था। फिरनी, शाही टुकड़ा, जलेबी, रबड़ी और गुलाब जामुन जैसे व्यंजन शाही स्वाद को और बढ़ा देते थे। विशेष रूप से 'शाही टुकड़ा' एक पसंदीदा मिठाई थी, जिसे मलाई, ड्राय फ्रूट्स और केसर के साथ तैयार किया जाता था। औरंगजेब को मीठे में फिरनी अधिक पसंद थी।

मुगलों की शाही सहरी

मुगल बादशाहों की सहरी भी किसी इफ्तार से कम नहीं होती थी। इसमें ऐसे व्यंजन होते थे जो पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखने में मदद करते थे।

1. कीमा पराठा:

सहरी में कीमा भरे हुए पराठे काफी पसंद किए जाते थे। यह व्यंजन खासतौर पर बादशाह अकबर और औरंगजेब के पसंदीदा खाद्य पदार्थों में से एक था।

2. दलिया और खिचड़ी:

सहरी में दलिया और खिचड़ी का भी बहुत महत्व था, क्योंकि यह पौष्टिक और सुपाच्य भोजन होते थे। इसे घी, सूखे मेवे और हल्के मसालों के साथ बनाया जाता था। हुमायूं को खिचड़ी बहुत पसंद थी।

3. मलाई और दूध से बने व्यंजन

सहरी में मलाई, रबड़ी, दूध और सूखे मेवे से बने पकवान भी शामिल किए जाते थे। बादाम का दूध और केसरिया दूध सहरी का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। जहांगीर को दूध से बनी मिठाइयां विशेष रूप से पसंद थीं।

4. मांसाहारी व्यंजन:

बादशाहों की सहरी में मांसाहारी व्यंजन भी शामिल होते थे। खासतौर पर मटन करी, मुर्ग मुसल्लम और विभिन्न प्रकार की ग्रेवी वाली डिशेस परोसी जाती थीं। बाबर को खासतौर पर मुर्ग मुसल्लम पसंद था।

5. नान, लच्छा पराठा और बटर रोटी:

मुगल दरबार में सहरी के दौरान नान, लच्छा पराठा और बटर रोटी को प्रमुखता दी जाती थी। इन्हें विभिन्न प्रकार की करी और दाल के साथ खाया जाता था। शाहजहां को मलाईदार दाल के साथ नान खाना बहुत पसंद था।

मुगल बादशाहों की शाही सहरी और इफ्तार न केवल स्वाद में बेमिसाल थी, बल्कि इसमें भारतीय, फारसी और तुर्की व्यंजनों का एक शानदार मिश्रण था। उनकी भोजन परंपरा समृद्ध, शाही और पोषण से भरपूर थी, जो आज भी पाक-प्रेमियों को आकर्षित करती है। रमज़ान के दौरान इन मुगलई व्यंजनों का स्वाद लेना इतिहास के उस दौर को महसूस करने जैसा है, जब भोजन केवल पेट भरने का जरिया नहीं बल्कि एक कला हुआ करता था।

Admin 2

Admin 2

Next Story