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Mumbai Ka Itihas: जानिए कैसे बना मुंबई शहर, सात द्वीपों के एकीकरण से जन्मी सपनों की नगरी बंबई
Mumbai Old History in Hindi: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई, सात छोटे द्वीपों के एकीकरण का परिणाम है, जो समय के साथ एक विश्वस्तरीय महानगर में विकसित हुआ।
Mumbai Old History in Hindi (Image Credit-Social Media)
Mumbai Ka Itihas in Hindi: मुंबई, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी और सपनों की नगरी कहा जाता है, का इतिहास उतना ही रोमांचक और विविधतापूर्ण है जितना कि इसका वर्तमान। यह शहर प्राचीन काल से ही व्यापार, संस्कृति और राजनीति का केंद्र रहा है। मुंबई का इतिहास सात द्वीपों के एक समूह के रूप में शुरू हुआ, जो समय के साथ विकसित होकर एक महानगर बन गया। इसके समृद्ध अतीत और जीवंत संस्कृति ने इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में स्थान दिलाया है। यह लेख मायानगरी मुंबई के बॉम्बे से मुंबई तक के ऐतिहासिक सफर का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
मुंबई का संक्षिप्त इतिहास (History Of Mumbai)
History Of Mumbai (Image Credit-Social Media)
मुंबई(Mumbai) का प्राचीन इतिहास हजारों साल पुराना है, क्योंकि यह क्षेत्र प्राचीन महाजनपदों और बाद में विभिन्न राजवंशों के अधीन रहा है। इसका सबसे पुराना उल्लेख तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मिलता है, जब यह सम्राट अशोक के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत था। इस क्षेत्र में बौद्ध प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिसका प्रमाण कन्हेरी गुफाएँ और एलीफेंटा गुफाएँ हैं। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 10वीं शताब्दी तक यह क्षेत्र विभिन्न राजवंशों के शासन में रहा।
सातवाहन (2वीं शताब्दी ईसा पूर्व - 3वीं शताब्दी ईस्वी) शासन के दौरान मुंबई और कोंकण क्षेत्र व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र था। अभिर, वाकाटक और कलचुरी वंशों का प्रभाव भी इस क्षेत्र में देखा गया, हालांकि उनके शासन की स्पष्ट ऐतिहासिक जानकारी सीमित है। कोंकण मौर्यों का उल्लेख बहुत कम मिलता है, लेकिन कोंकण क्षेत्र पर मौर्य प्रभाव अवश्य था। 6वीं से 8वीं शताब्दी के बीच यह क्षेत्र चालुक्य वंश के अधीन रहा, विशेष रूप से बादामी चालुक्यों और फिर राष्ट्रकूटों ने यहाँ शासन किया। 8वीं से 10वीं शताब्दी तक राष्ट्रकूटों का इस क्षेत्र पर प्रभाव रहा, जिन्होंने कई मंदिर और गुफाओं का निर्माण करवाया।
9वीं से 13वीं शताब्दी तक शिल्हार वंश ने पश्चिमी कोंकण और मुंबई क्षेत्र पर शासन किया। इस दौरान कई हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ, जिससे इस क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला। चोल वंश का इस क्षेत्र पर प्रभाव बहुत सीमित था, क्योंकि वे मुख्य रूप से दक्षिण भारत तक ही सीमित थे। इस तरह, मुंबई का प्राचीन इतिहास कई राजवंशों के प्रभाव और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है।
इस्लामी और पुर्तगाली शासन (Islamic and Portuguese Rule)
History Of Mumbai (Image Credit-Social Media)
प्राचीन काल के बाद, मध्यकाल में इस क्षेत्र पर इस्लामी सुल्तानों और फिर पुर्तगालियों का शासन रहा, जिसने इस शहर की राजनीतिक और सांस्कृतिक संरचना को प्रभावित किया। 14वीं शताब्दी में, जब उत्तर भारत में दिल्ली सल्तनत का प्रभाव बढ़ा, तब मुंबई और उसके आसपास के क्षेत्र पर इस्लामी शासकों का प्रभुत्व स्थापित हुआ। 1347 में बहमनी साम्राज्य की स्थापना के बाद, मुंबई का क्षेत्र उनके अधीन आ गया। 15वीं शताब्दी में बहमनी साम्राज्य के विघटन के बाद, यह क्षेत्र गुजरात सल्तनत के नियंत्रण में आ गया। गुजरात के सुल्तानों ने इस क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा दिया और इसे एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक केंद्र बनाया। 1534 में, गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने यह क्षेत्र पुर्तगालियों को सौंप दिया।
पुर्तगालियों ने मुंबई को अपने व्यापारिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया। उन्होंने इस क्षेत्र को "बॉम्बाइं" (Bombaim) नाम दियाजिसका अर्थ है ‘अच्छा खाड़ी’ जो बाद में ‘बॉम्बे’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। पुर्तगालियों ने यहाँ ईसाई धर्म का प्रचार किया और कई चर्चों का निर्माण करवाया। स्थानीय हिंदू और मुस्लिम आबादी पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव डाला गया। साथ ही, उन्होंने यहाँ कई किले बनाए, जिनमें वर्ली किला, बांद्रा किला और सेंट जॉर्ज किला प्रमुख हैं। उनके शासनकाल के दौरान, मुंबई एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और नौसैनिक केंद्र बन गया, जिससे यह भविष्य में एक बड़े औपनिवेशिक शहर के रूप में विकसित होने की दिशा में अग्रसर हुआ।
ब्रिटिश शासन और बॉम्बे का विकास (British Rule and the Development of Bombay)
History Of Mumbai (Image Credit-Social Media)
1661 में, इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाली शासक अल्फोंसस की बहन और राजकुमारी कैथरीन ऑफ ब्रागांजा से हुआ। इस विवाह के दहेज के रूप में पुर्तगाली शासक अल्फोंसस VI ने मुंबई (तब बॉम्बाइं) को इंग्लैंड को उपहार स्वरुप सौंप दिया। हालांकि, शुरुआत में ब्रिटिश शासन के तहत मुंबई का विकास बहुत धीमा था, लेकिन जल्द ही इसने एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना ली।
बाद में, 27 मार्च 1668 को, चार्ल्स द्वितीय ने इन द्वीपों को ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रति वर्ष 10 पाउंड के किराए पर दे दिया। इसके बाद, कंपनी ने मुंबई को एक प्रमुख बंदरगाह शहर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। गवर्नर गेराल्ड आंगियर के नेतृत्व में, यहाँ व्यापार और प्रशासनिक सुधार किए गए। मुंबई का बंदरगाह प्राकृतिक रूप से गहरा था, जिससे यह नौसेना और व्यापारिक जहाजों के लिए आदर्श स्थान बन गया। इस कारण, जल्द ही कंपनी ने इसे अपना मुख्य व्यापारिक केंद्र बना लिया, जिससे यह भारत में ब्रिटिश शासन का एक महत्वपूर्ण आधार बन गया।
17वीं और 18वीं शताब्दी में, ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुंबई में कई निर्माण कार्य और बुनियादी ढांचे का विकास किया। यहाँ बॉम्बे किला बनाया गया, जिससे शहर की सुरक्षा को मजबूत किया गया। इसके अलावा, व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रशासनिक सुधार किए गए। ब्रिटिश शासन के दौरान मुंबई तेजी से विकसित हुआ और 19वीं शताब्दी तक यह भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक और औद्योगिक शहरों में से एक बन गया।
सात द्वीपों का एकीकरण (Unification of Seven Islands)
History Of Mumbai (Image Credit-Social Media)
मुंबई का आधुनिक स्वरूप एक ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है, जिसे सात द्वीपों के एकीकरण के रूप में जाना जाता है। प्राचीन काल में मुंबई एक संलग्न भूभाग नहीं था, बल्कि यह कोलाबा, मजगांव, वर्ली, परेल, माटुंगा, माहिम और बॉम्बे (Bombay-अब मुंबई द्वीप) नामक सात द्वीपों का एक समूह था। इन द्वीपों पर अलग-अलग समय में विभिन्न शासकों का शासन रहा और धीरे-धीरे इनका आपस में एकीकरण किया गया।
1661 में जब ब्रिटिशों ने मुंबई का नियंत्रण प्राप्त किया, तब भी ये द्वीप समुद्र से अलग-अलग थे। 18वीं शताब्दी में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इन द्वीपों को आपस में जोड़ने की योजना बनाई। इस प्रक्रिया को "होर्नबी वेल्लार्ड परियोजना" (Hornby Vellard Project) कहा जाता है, जो 1782 में शुरू हुई और 1784 में पूरी हुई।
इस परियोजना के तहत, समुद्र के जलमार्गों और दलदलों को भरकर द्वीपों को एक बड़े भूभाग में बदल दिया गया। ब्रिटिश इंजीनियरों ने पुल, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे विकसित किए, जिससे यह एक एकीकृत नगर बन सका। इसके बाद, मुंबई तेजी से विकसित हुआ और 19वीं शताब्दी तक यह भारत के प्रमुख व्यापारिक और औद्योगिक केंद्रों में से एक बन गया।
औद्योगिक क्रांति और आर्थिक विकास (Industrial and Economic Development)
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सात द्वीपों के एकीकरण के बाद, मुंबई में शहरीकरण और औद्योगीकरण तेज़ी से बढ़ा। 19वीं शताब्दी में मुंबई ने औद्योगिक क्रांति के प्रभाव को महसूस किया और यह तेजी से भारत के प्रमुख औद्योगिक और आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ। ब्रिटिश शासन के दौरान यहां कई व्यापारिक और औद्योगिक सुधार किए गए, जिससे यह शहर भारत की आर्थिक राजधानी बनने की ओर अग्रसर हुआ।
कपड़ा उद्योग का विकास (Growth of the Textile Industry)
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मुंबई में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कपड़ा उद्योग से हुई। 1854 में कॉवसजी नानाभाई दावर ने मुंबई में पहली कपड़ा मिल स्थापित की, जिसे ‘बॉम्बे स्पिनिंग एंड वीविंग मिलक’ हा गया। इसके बाद, 19वीं शताब्दी के अंत तक मुंबई में कई कपड़ा मिलें स्थापित हो गईं, जिससे इसे ‘भारत का मैनचेस्टर’ कहा जाने लगा। इन मिलों में बड़े पैमाने पर श्रमिक कार्यरत थे, जिससे मुंबई में जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण तेज़ी से हुआ।
बंदरगाह और व्यापार का विस्तार(Expansion of Port and Trade)
मुंबई का बंदरगाह पहले से ही एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे और विकसित किया। 19वीं शताब्दी के मध्य में, सुएज़ नहर के खुलने (1869) के बाद मुंबई और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार और भी आसान हो गया। इससे मुंबई में विदेशी व्यापार तेजी से बढ़ा और शहर को एक प्रमुख वैश्विक व्यापारिक केंद्र के रूप में पहचान मिली।
रेलवे का विस्तार (Expansion of Railway)
औद्योगीकरण और व्यापार के विस्तार को ध्यान में रखते हुए, ब्रिटिश सरकार ने 1853 में भारत की पहली यात्री ट्रेन मुंबई से ठाणे के बीच शुरू की। इसके बाद रेलवे नेटवर्क का विस्तार हुआ, जिससे मुंबई भारत के विभिन्न हिस्सों से जुड़ गया और व्यापारिक गतिविधियों को और बढ़ावा मिला।
आर्थिक समृद्धि और शहरीकरण (Economic Prosperity and Urbanization)
19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान, मुंबई में बैंकिंग, बीमा और शेयर बाजार जैसे आर्थिक संस्थानों की स्थापना हुई। 1875 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की स्थापना की गई, जो एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इससे मुंबई धीरे-धीरे भारत के वित्तीय केंद्र के रूप में उभरने लगा।
मुंबई की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका (Freedom Struggle & Mumbai)
मुंबई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना यहीं हुई, जिससे राष्ट्रवादी आंदोलन को गति मिली। बाल गंगाधर तिलक ने मुंबई से स्वराज का नारा दिया और असहयोग आंदोलन (1920) के दौरान ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार किया गया। 1930 में दांडी मार्च के समर्थन में नमक सत्याग्रह हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया।
1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की घोषणा मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान से हुई, जिसने पूरे देश में आजादी की लड़ाई को तेज कर दिया। 1946 में नौसैनिक विद्रोह हुआ, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। अंततः, 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के साथ मुंबई ने राष्ट्रवादी संघर्ष में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को साबित किया।
स्वतंत्रता के बाद का विकास (Post Independence Development)
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, बॉम्बे महाराष्ट्र राज्य की राजधानी बना। शहर ने तेजी से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण का अनुभव किया, जिससे यह भारत की आर्थिक राजधानी के रूप में स्थापित हुआ। 1960 में, संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के परिणामस्वरूप बॉम्बे राज्य का विभाजन हुआ, और महाराष्ट्र और गुजरात दो अलग-अलग राज्य बने, जिसमें बॉम्बे महाराष्ट्र की राजधानी बना।
मुंबई की सांस्कृतिक विविधता (Cultural diversity of Mumbai)
विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों का संगम है। यह शहर पूरे भारत से आए लोगों का घर है, जिससे यहां अद्भुत सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है।मुंबई में भारत के हर राज्य से आए लोग बसे हुए हैं, जिससे यहाँ अनेक भाषाएँ, परंपराएँ, त्यौहार और खान-पान की विविधता देखने को मिलती है।
भाषा: मराठी इस शहर की आधिकारिक भाषा है, लेकिन हिंदी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, कोंकणी और अंग्रेजी भी बड़े पैमाने पर बोली जाती हैं।
धर्म और परंपराएँ: यहाँ हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, पारसी और यहूदी समुदाय शांति और सौहार्द के साथ रहते हैं।
त्योहार: गणेश चतुर्थी मुंबई का सबसे बड़ा उत्सव है, जिसे धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, नवरात्रि, दिवाली, ईद, क्रिसमस और पारसी नववर्ष भी समान जोश के साथ मनाए जाते हैं।
खान-पान: मुंबई का स्ट्रीट फूड बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें वड़ा पाव, पाव भाजी, मिसल पाव, भेल पूरी और बॉम्बे सैंडविच प्रमुख हैं।
बॉलीवुड ने दिलाई अलग पहचान(Bollywood & Mumbai)
History Of Mumbai (Image Credit-Social Media)
‘सपनों के शहर’ से प्रसिद्ध यह भारतीय फिल्म उद्योग (बॉलीवुड) का केंद्र भी है, जिसने इसे वैश्विक पहचान दिलाई है।मुंबई भारतीय फिल्म उद्योग बॉलीवुड का गढ़ है, जो दुनिया के सबसे बड़े फिल्म उद्योगों में से एक है। मुंबई में कई बड़े फिल्म स्टूडियो इसके अलवा यह शहर बॉलीवुड के बड़े सितारों, निर्देशकों और संगीतकारों का घर है। बॉलीवुड फिल्में आज पूरी दुनिया में देखी जाती हैं, जिससे मुंबई की पहचान एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म हब के रूप में बनी है।
आर्थिक राजधानी मुंबई (Financial Capital Of India)
मुंबई भारत की ‘आर्थिक राजधानी’ है, जहां वित्त, व्यापार, उद्योग और फिल्म उद्योग का केंद्र है। यह RBI, BSE, NSE और शीर्ष बैंकों का मुख्यालय होने के साथ-साथ टाटा, रिलायंस, महिंद्रा जैसी कंपनियों का हब भी है। जवाहारलाल नेहरू पोर्ट अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अहम भूमिका निभाता है, जबकि बॉलीवुड और स्टार्टअप सेक्टर भी मुंबई की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। इसकी आर्थिक गतिविधियाँ पूरे देश को प्रभावित करती हैं, जिससे यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति बन गई है।