TRENDING TAGS :
Mumbai Kamathipura History: रेडलाइट एरिया ही नहीं इन चीजों के लिए भी प्रसिद्ध है कमाठीपुरा
Mumbai Kamathipura History: फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी में हमने रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा के बारे में सुना है लेकिन चलिए आज हम आपको इसकी असली तस्वीर बताते हैं।
Mumbais Kamathipura History : फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी में दिखाया गया कमाठीपुरा का नजारा हम सभी ने देखा है। यह जगह पुराने समय से ही बहुत फेमस है लेकिन फिलहाल उसकी जो हालात है वह पहले से काफी ज्यादा अलग हो चुकी है। रेड लाइट एरिया के तौर पर पहचाने जाने वाले कमाठीपुरा की अब तस्वीर बदलने वाली है। दरअसल महाराष्ट्र के डिप्टी चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस ने इसके मेकओवर की घोषणा कर दी है। 27.59 एकड़ में पहले कमाठीपुरा को रीडिवेलपमेंट किया जाएगा और पूरी तरह से संवारा जाएगा। स्केरी डेवलपमेंट की पूरी कमान महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी को सौंप गई है। इस जगह को रेड लाइट एरिया के तौर पर जाना जाता है लेकिन असल में यह ऐसा बिल्कुल भी नहीं है चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
ये है रोजगार का गढ़
कमाठीपुरा को रोजगार का घर कहा जा सकता है क्योंकि यहां पर कबाड़ मार्केट है और बड़े पैमाने पर कपड़ों को डाई भी यहां पर किया जाता है। यहां पर जरदोजी के कारखाने हैं इसके अलावा लेदर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी है जो लोगों को रोजगार देती है। यहां पर 15 लाइन है और एक लाइन में करीब 200 दुकान है। यहां का नाम बदनामी से जुड़ा हुआ है इसलिए दुकानदार इस केपी मार्केट के नाम से बुलाते हैं।
200 साल पहले बसा मार्केट
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक कमाठीपुरा को 200 साल पहले बसाया गया था। उसे समय यहां रहने वाले लोग पिछड़े और मजदूर तेलुगू भाषी श्रमिक हुआ करते थे जिन्हें कीमाठी कहा जाता था। तेलुगु भाषा में श्रमिकों को हैदराबाद से मुंबई में निर्माण कार्यों के लिए लाया गया था। उसे समय मुंबई में राजबाई टावर, मुंबई हाई कोर्ट, विक्टोरिया टर्मिनस और बीएमसी हेडक्वार्टर के निर्माण में इन्हें श्रमिकों को लगाया गया था। 1880 में इस क्षेत्र को कमाठीपुरा जोन घोषित किया गया और तंगी से जूझते इस क्षेत्र में सेक्स वर्कर्स ने अपना दायरा बनाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे यह वेश्यावृत्ति के लिए पहचाने जाने लगा। वेश्यावृत्ति की शुरुआत होने के बाद यहां पर शराब, चाय और इत्र की दुकान खुलने लगी सिनेमा हॉल खुल गया और फिर ऐसे निर्माण किए जाने लगे जिससे श्रमिक यहां पर रह सकें। निर्माण से लेकर बनावट का स्तर भी यहां पर वैसा ही था और सस्ती दरों पर घर मिला करते थे।
इतने लोगों के रहने की जगह
कमाठीपुरा में एक-एक श्रमिकों के लिए किराए पर जगह दी जाती थी। धीरे-धीरे वो लोग यहां अपने परिवार के साथ शिफ्ट हो गए और भीड़ बढ़ती चली गई। वर्तमान में यहां पर 8000 किराएदार रहते हैं और लगभग 4000 मकान मालिक है। अब इस जगह को सहारा जाएगा और नक्श के साथ-साथ छवि बदलने की कोशिश भी की जाएगी।
सेक्स वर्कर्स के लिए बिल्डिंग
यहां पर एक कमरे में 4 से 6 सेक्स वर्कर रहती हैं और इसके लिए उन्हें 5500 से 7500 किराया देना होता है। इस धंधे से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि बदलाव के बाद यहां पर हर तीन में से दो बिल्डिंग सेक्स वर्कर को आरक्षित की जानी चाहिए अगर राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है तो इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए वरना लोगों की जिंदगी गुजर जाएगी।