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Nalanda University History: विश्वभर में पहचानी जाती है नालंदा यूनिवर्सिटी, जानें इसका इतिहास
Nalanda University History: नालंदा यूनिवर्सिटी इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके नए कैंपस का उद्घाटन करने वाले हैं। चलिए आज हम आपको इसके इतिहास से रूबरू करवाते हैं।
Nalanda University History: भारत के कॉलेज और विश्वविद्यालय आज भले ही विश्व के टॉप शैक्षणिक संस्थापनों में शामिल न हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब यह देश विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। भारत में ही दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय खुला था, जिसे हम नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जानते हैं। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में हुई थी। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था। नालन्दा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य में नालंदा जिले के राजगीर में स्थित एक सार्वजनिक केंद्रीय / संघ विश्वविद्यालय है। इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) और उत्कृष्टता के रूप में नामित किया गया है। 18 सदस्य देशों द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 2010 में भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। विश्वविद्यालय की स्थापना के निर्णय का दूसरे और चौथे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में समर्थन किया गया था। भारत के राष्ट्रपति विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय की कब हुई स्थापना (When Was Nalanda University Established?)
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में कुमारगुप्त प्रथम ने किया था। इतिहास के अनुसार, सन् 1193 में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था। कहा जाता है कि, आक्रमण के दौरान यहां पर आग लगा दी गई। उस समय नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में इतनी किताबें थीं कि कई सप्ताह तक आग नहीं बुझ पाई।
नालंदा विश्वविद्यालय की पहले थी ये चीजें (These Things Were There Before Nalanda University)
इस आक्रमण में यहां कार्य करने वाले कई धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षुओं को भी मार डाला गया था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था, जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे। मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुंदर मूर्तियां स्थापित थीं, जो अब नष्ट हो चुकी हैं। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में तीन सौ कमरे, सात बड़े-बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए नौ मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था, जिसमें तीन लाख से भी अधिक किताबें थीं। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था, जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। नालंदा विश्वविद्यालय की दीवारों के अवशेष आज भी इतनी चौड़ी हैं कि इनके ऊपर ट्रक भी चलाया जा सकता है। पटना से 90 किलोमीटर और बिहार शरीफ से करीब 12 किलोमीटर दूर दक्षिण में आज भी इस विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय के खंडहर स्थित है।
नालंदा विश्वविद्यालय के रोचक तथ्य (Interesting Facts About Nalanda University)
स्थापना (Establishment) : नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं सदी में गुप्त साम्राज्य के शासक कुमारगुप्त चंद्रगुप्त द्वितीय ने की थी।
आकार (Size) : इस विश्वविद्यालय का क्षेत्रफल लगभग 14 हेक्टेयर था, और इसमें गणित, विज्ञान, धर्मशास्त्र, ज्योतिष, और अन्य कई क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता था।
शिक्षक (Teacher) : इस विश्वविद्यालय में कई प्रमुख शिक्षक थे, जिनमें आर्यभट, चाणक्य, और अन्य विद्वान् शामिल हैं।
अध्ययन (Study) : नालंदा विश्वविद्यालय में धार्मिक और गैर-धार्मिक अध्ययन किया जाता था, जिसमें बुद्धिस्त संगीत, विज्ञान, तार्किक विचार, ज्योतिष, गणित, और अन्य विषय शामिल थे।
अस्तित्व का अंत (End of Existence) : नालंदा विश्वविद्यालय का अस्तित्व 12वीं सदी में समाप्त हो गया जब मुस्लिम सैनिकों ने इसे नष्ट किया।
पुनर्निर्माण (Reconstruction): 2006 में भारतीय सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया, और नालंदा विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित किया गया।
नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण (Reconstruction of Nalanda University)
नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा 2006 में शुरू की गई। इसके बाद से, नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण कार्य तेजी से चला और आज वह एक विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थान के रूप में अपने पहचान बना चुका है। नालंदा विश्वविद्यालय का भविष्य उज्जवल है, जो गहन शिक्षा के साथ-साथ एक नई ऊर्जा को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।यह न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में एक प्रमुख नाम बनाने की दिशा की ओर कदम बढ़ा रहा है।