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Navratri 2023: बाराबंकी का ये दुर्गा मंदिर है अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध, जानिए कैसे होते हैं माँ के दर्शन
Navratri 2023: उत्तर प्रदेश के शहर बाराबंकी में देवी माँ का एक प्रसिद्ध मंदिर है जहाँ को लेकर लोगों की मान्यता है कि यहाँ प्रतिदिन माँ दुर्गा शेर पर सवार होकर आतीं हैं।
Navratri 2023: उत्तर प्रदेश के शहर बाराबंकी में देवी माँ का एक प्रसिद्ध मंदिर है जहाँ को लेकर लोगों की मान्यता है कि यहाँ प्रतिदिन माँ दुर्गा शेर पर सवार होकर आतीं हैं। साथ ही इस मंदिर को लेकर कई और भी मान्यताएं हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करता हिन्दुओं का पावन त्योहार नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से प्रारम्भ हो रहा है। ऐसे भक्त माँ के मंदिर में उनकी पूजा अर्चना करते नज़र आते हैं। साथ ही देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के अनुष्ठान भी करते हैं। साथ ही साथ भक्त मंदिरों में जाकर भी माता रानी के दर्शन करते हैं और उन्हें मानते हैं। वहीँ लोगों की मान्यता हैं कि यहाँ देवी माँ रोज़ रात को अपने सिंह पर सवार होकर आतीं हैं। साथ ही इस मंदिर में एक चमत्कारी और रहस्यमय जलकुंड भी स्थित है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से कुछ दूर ही है बाराबंकी शहर जहाँ माँ दुर्गा के कई मंदिर हैं इन मंदिरों को लेकर कई तरह की मान्यताएं और कहानियां हैं आज हम आपको बाराबंकी के एक ऐसे ही मंदिर की कहानी बताने जा रहे हैं। दरअसल इस मंदिर को शैलानी माता मंदिर (Shailini Mata Mandir) कहा जाता है। साथ ही इस मंदिर में एक चमत्कारी जलकुंड भी है जिसको लेकर कई रहस्य हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जो इस जलकुंड में नहाता है उसको अगर किसी तरह का भी कोई चर्म रोग है तो वो दूर हो जाता है।
बाराबंकी का माता शैलानी देवी का मंदिर सतरिख थाना क्षेत्र में स्थित है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ नवरात्रि में माँ के इस मंदिर में उनकी आराधना करते हैं। माँ उनकी सभी मनोकामना पूरी कर देती हैं। नवरात्रि के समय इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ जाती है। लोग कोने कोने से यहाँ आते हैं।
नवरात्रि में ही नहीं बल्कि हर सोमवार और शुक्रवार को भी यहाँ भक्त भारी संख्या में माँ के दर्शन करने आते हैं। कहा जाता है कि हर महीने की पूर्णिमा को माँ अपने सिंह पर सवार होकर यहाँ आतीं हैं। भक्त भी अपनी श्रद्धा से माँ को चुनरी भेंट करते हैं। माँ यहाँ हर रात्रि को अपने सिंह पर सवार होकर आती हैं। यही वजह है कि इस मंदिर में या इसके आस पास रात्रि को कोई भी नहीं रुकता।