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Nepal Budhanilkantha Temple: बूढ़ा नीलकंठ मंदिर में शयन मुद्रा में विराजमान है श्रीहरि विष्णु, यहां पानी में नजर आता है भोलेनाथ का विग्रह

Nepals Bdhanilkantha Temple: भगवान विष्णु की लेटी हुई प्रतिमा जो नेपाल में विराजित है वह दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है। चलिए आज हम आपको बूढ़ा नीलकंठ मंदिर के बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 14 March 2024 5:21 PM IST
Nepals Bdhanilkantha Temple
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Nepals Bdhanilkantha Temple (Photos - Social Media) 

Nepals Bdhanilkantha Temple: बूढ़ा नीलकंठ मंदिर नेपाल में स्थित है। ये एक हिंदू मंदिर है जो भगवान महाविष्णु को समर्पित है। बूढ़ा नीलकंठ मंदिर को नारायणथन मंदिर के रूप में भी जाना जाता है और इसकी पहचान भगवान महाविष्णु की एक बड़ी लेटी हुई मूर्ति से की जा सकती है।

कहां है नेपाल का फ़ेमस भगवान विष्णु मंदिर

राजधानी काठमांड़ू से नौ-दस की.मी. की दूरी पर शिवपुरी पहाड़ी के पास बूढ़ा नीलकंठ मंदिर स्थित है। प्रवेश-द्वार के सामने ही विशाल जलकुंड बना हुआ है। जिसमें शेषनाग के ग्यारह फणों के छत्र वाली शेष शैय्या पर शयन कर रहे भगवान विष्णु की चर्तुभुजी प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा का निर्माण काले पत्थर की एक ही शिला से हुआ है।प्रतिमा की लम्बाई 5 मीटर है एवं जलकुंड की लम्बाई करीब 13 मीटर की है। जिसे बूढा नीलकंठ के नाम से जाना जाता है। मंदिर का नाम नीलकंठ है जो भगवान शिव का एक नाम है। द्वार पर भी श्री कार्तिकेय और गणेश जी की प्रतिमाएं लगी पर यहां मूर्ति भगवान विष्णु जी की है।

Nepals Bdhanilkantha Temple

कैसे पड़ा नाम

इसका नाम बूढ़ा नीलकंठ कैसे हो गया? इसके पीछे जनश्रुति है कि समुद्र-मंथन के समय विषपान करने के पश्चात जब भगवान शिव का कंठ जलने लगा तब उन्होंने विष के प्रभाव शांत करने के लिए जल की आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक स्थान पर आकर त्रिशूल का प्रहार किया जिससे एक झील का निर्माण हुआ। मान्यता है कि बूढा नीलकंठ में वहीं से जल आता है, जिसको गोसाईंकुंड के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में विष्णु प्रतिमा के साथ भगवान शिव के विग्रह का प्रतिबिंब भी जल में दिखाई देता है।

राजा नहीं कर सकता दर्शन

ये कहानी 17वीं शताब्दी की है। जब नेपाल के तत्कालीन नरेश राजा प्रतापमल्ल रोज भगवान के दर्शन करने हनुमान ढोका स्थित अपने महल से यहां आया करते थे। पर मतिभ्रम के चलते उन्होंने खुद को ही विष्णु का अवतार घोषित कर दिया। धीरे-धीरे उन्हें रोज इतनी दूर आना-जाना अखरने लगा तो उन्होंने नीलकंठ भगवान की एक मूर्ति राजमहल में ही स्थापित करवा ली। इससे भगवान नाराज हो गये और उन्होंने स्वप्न में आ राजा को श्राप दिया कि अब से तुम या तुम्हारा कोई भी उत्तराधिकारी यदि बूढा नीलकंठ हमारे दर्शन करने आएगा तो वह मृत्यु को प्राप्त होगा। तब से आज तक राजपरिवार का कोई भी सदस्य वहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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