Pakistan Shiva Temple: पाकिस्तान में कैद है यह शिव मंदिर, सती के आत्म-दाह से जुड़ा है इतिहास

Katasraj Shiva Temple Pakistan: कटासराज मंदिर का प्राचीन इतिहास भगवान शिव और माता सती के आत्म-दाह से जुड़ा है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 25 Feb 2024 7:31 AM GMT
Pakistan Shiva Temple: पाकिस्तान में कैद है यह शिव मंदिर, सती के आत्म-दाह से जुड़ा है इतिहास
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Katasraj Shiva Temple Pakistan कटासराज शिव मंदिर: कटासराज मंदिर, पाकिस्तान के चकवाल जिले में स्थित एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। इसका विवरण विभिन्न पुराणों और ऐतिहासिक लेखों में मिलता है।कटासराज मंदिर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कथा शामिल है, जो भगवान शिव और माता सती के प्रेम के चरित्र को दर्शाती है।

पाकिस्तान में स्थित कटासराज हिन्दू मंदिर, जो कभी भारत का अभिन्न हिस्सा था, भगवान शिव और द्वापरयुग के पांडवों से संबंधित है। इसलिए यह हिन्दुओं के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक तीर्थ स्थान है। इस अतिप्राचीन स्थल का हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णन होता है और इसके आसपास के क्षेत्रों में सांस्कृतिक, शिक्षा, और संगीत के ज्ञान के लिए भी जाना जाता था।

कटासराज का अर्थ क्या है?

कटासराज मंदिर को किसने और कब बनाया गया था, यह एक प्राचीन और रहस्यमय सवाल है। इस मंदिर का सटीक निर्माण काल नहीं पता है, लेकिन यह बहुत प्राचीन है और अनेक युगों से इसका इतिहास चला आ रहा है।

कटासराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल जिले में स्थित है। इसका निर्माण भगवान शिव के शोक में भगवान शिव के भक्त महाराजा स्वयंभूदेव ने कराया था। यहां पर अद्भुत स्थलों और पारंपरिक कला का अद्भुत संग्रह है, जो इसे एक आकर्षणीय धार्मिक स्थल बनाता है।

कटासराज मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है और इसमें विविध घटनाएं और कथाएं संग्रहित हैं। यहां की सुंदरता और महत्वपूर्णता इसे एक अनूठा स्थान बनाती है, जो लोगों को आकर्षित करता है और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

विभिन्न पुराणों के अनुसार, माता सती के निर्मम पिता दक्ष राजा ने एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपनी पुत्री को भगवान शिव के प्रेम से वंचित किया। माता सती के अपमान को झेलते हुए, उन्होंने अपनी आत्मा को धारण कर ली और अपने शिव के समीप चली गईं। इसके प्रतिक्रिया में, भगवान शिव ने माता सती के शव को विभक्त किया और उनके आंसू से यह तीर्थ स्थल उत्पन्न हुआ, जिसे कटासराज कहा जाता है।

कटासराज मंदिर में भगवान शिव ने विरह के आंसू बहाएँ थे

कटासराज मंदिर का प्राचीन इतिहास भगवान शिव और माता सती के आत्म-दाह से जुड़ा है। माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किया और फिर अग्नि में जलकर आत्मा को समाप्त कर दिया। इससे भगवान शिव अत्यंत दुःखी हो गए और उन्होंने भयंकर तांडव नृत्य किया। इस नृत्य को देवताओं और भगवान विष्णु ने शांत किया।

भगवान शिव के विरह में उनकी आँखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उनके रोने से दो कुंड बने, जिनमें से एक कटासराज मंदिर में है और दूसरा राजस्थान के पुष्कर में। कटासराज मंदिर में स्थित इस कुंड को कटाक्ष कुंड कहा जाता है। यह मंदिर पीड़ा और दुःख का परिचायक है, जो भगवान शिव और माता सती के प्रेम और विरह की कथा को साक्षात् कराता है।

महाभारत काल से भी जुड़ा है इतिहास

महाभारत के युद्ध से पहले, पांडवों और कौरवों के बीच द्यूत क्रीड़ा हुई थी। इस क्रीड़ा के फलस्वरूप, पांडवों को तेरह वर्ष का वनवास मिला। इस समय, पांडवों ने वनों में कुछ समय बिताया, जिसमें वे द्वैतवन क्षेत्र के पास भी आए। एक दिन, जब उन्हें प्यास लगी, तो वे इस क्षेत्र में स्थित कटाक्ष कुंड से जल पीने गए।

उस समय, कुंड पर एक यक्ष का अधिकार था। उसने पांडव से अपने प्रश्नों का उत्तर देने के बिना जल नहीं लेने की शर्त रखी। जब पांडव उत्तर नहीं दे पाए, तो यक्ष ने उन्हें मूर्छित कर दिया। इसी तरह, प्रत्येक पांडव आया और मूर्छित हो गया।

अंत में, पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर आया और यक्ष ने उनसे भी उसी शर्त पर जल पीने की अनुमति मांगी। युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए, जिससे यक्ष बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने पांडवों को जागरूक कर दिया। उसने उन्हें वनस्थली से जल पीने की अनुमति दे दी।

इस प्रकार, कटासराज मंदिर का इतिहास चतुराई और दक्षता से जुड़ा हुआ है। यह कहानी पांडवों की बुद्धिमता और विवेक को दर्शाती है जब उन्होंने यक्ष के प्रश्नों का सही उत्तर दिया और उन्हें वनस्थली से जल पीने की अनुमति प्राप्त की।कटासराज मंदिर का निर्माण महाभारत काल में भी हुआ था और इसे पांडवों के वनवास के समय में बनाया गया था। पांडवों के द्वारा यहाँ पर जल और आर्थिक साधनों की खोज की गई थी।यह मंदिर एक प्रमुख हिंदू पूजा स्थल है, जिसमें भगवान शिव के अलावा माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और भगवान विष्णु की मूर्तियाँ भी स्थित हैं। इसकी आर्किटेक्चरल खूबसूरती, शिल्पकला और प्राचीनता इसे एक अनोखा स्थल बनाते हैं।

अब यह मंदिर जर्जर अवस्था में है और पाकिस्तान सरकारी उपेक्षा का दंश सह रहा है।


Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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