Varanasi Famous Park: वाराणसी में देखे पंडित दीन दयाल पार्क जाने उनसे जुड़े तथ्य

Deen Dayal Upadhyay Pratima Varanasi: पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने देश के लिए जो काम किए हैं, उस वजह से वह आज भी युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी वहां उनकी सबसे बड़ी प्रतिमा खड़ी हुई है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 27 Aug 2024 7:15 AM GMT (Updated on: 27 Aug 2024 7:15 AM GMT)
Deen Dayal Upadhyay Pratima Varanasi
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Deen Dayal Upadhyay Pratima Varanasi (Photos - Social Media)

Deen Dayal Upadhyay Pratima Varanasi : पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जन संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राशि स्वयंसेवक संघ के चिंतक थे। 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय में रेलवे ट्रैक पर संदिग्ध अवस्था में उनका शव मिला था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के योगदान के चलते उन्हें हमेशा याद किया जाता है। उन्होंने जहां आखिरी सांस ली थी उसे जगह पर उनकी स्मृति में सबसे बड़ी प्रतिमा खड़ी हुई है जो उनके विचारों को आज भी युवाओं तक पहुंचाने का काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी और मुगलसराय के बीच रेलवे ट्रैक के किनारे ही उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा को स्थापित कराया है जो 63 फीट ऊंची है। इसके अलावा यहां पर खूबसूरत पार्क और उनके जीवन पर आधारित कुछ खास फलों को भी किया गया है।

विचारधाराओं का प्रवाह

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा को जानने और समझने के लिए अक्सर लोग इस स्मृति स्थल पर पहुंचते हैं। युवाओं को उनके विचारों से रूबरू करवाने के लिए दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान द्वारा आयोजन भी किया जाता है। लोगों का कहना है कि भारत की संस्कृति को दीनदयाल जी ने आगे ले जाना चाहा था पेट को आहार चाहिए हृदय को प्यार चाहिए मस्तिष्कों को विचार चाहिए और आत्मक संस्कार चाहिए काशी इसका ही संदेश देती है इससे काशी के भूमि से उनका विशेष लगाव था।

Deen Dayal Upadhyay Pratima Varanasi

जयपुर में बनी है पंडित दीनदयाल उपाध्याय की सबसे ऊंची प्रतिमा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक और विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पांच धातुओं से बनी 63 फीट ऊंची प्रतिमा करीब 6.50 करोड़ रुपये में जयपुर में तैयार हुई है. प्रतिमा को कई टुकड़ों में 22 फीट चौड़े ट्रेलर पर लादकर इसी महीने जयपुर से वाराणसी लाया गया है. जिसे जयपुर से कानपुर, इलाहाबाद, मोहनसराय होते हुए पड़ाव तक लाया गया है. प्रतिमा लाने के दौरान कंपनी की टीम साथ रहीI

Deen Dayal Upadhyay Pratima Varanasi

ओडिसा से आये प्रतिमा बनने वाले कलाकार

आधिकारिक बयानों के अनुसार, इसे दुनिया के सामने लाने के लिए 200 से अधिक कारीगरों ने लगभग एक साल तक काम किया है , जिनमें से 30 ओडिशा के कलाकारों और शिल्पकारों ने भी कला और गौरव की इस बेहतरीन कृति को बनाने में अपनी कला और कौशल का योगदान दिया है , जिससे यह हमारे अतीत के बारे में जानने के लिए वाराणसी के कई पर्यटक आकर्षणों में से एक बन गया है ।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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