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Pataal Cave Tour Guide: ये रास्ता जाता है पाताल लोक, उत्तराखंड के इस मंदिर में है मौजूद
Patal Bhuvaneshwar Cave Temple: देव भूमि में कई देवी - देवता खुद अवतरित हुए ऐसा कहा जाता है। ऐसी ही एक जगह है, पाताल भुवनेश्वर....
Patal Bhuvaneshwar Cave Temple: उत्तराखंड में चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और रंग-बिरंगे फूलों के साथ प्रकृति की संपूर्ण सुंदरता देखी जा सकती हैं। पहाड़ों के बीच जो सुंदरता है, वो आपको बस यहीं देखने को मिल सकती है। इसे देव भूमि कहा जाता है यहां पर देवी देवता खुद अवतरित हुए ऐसा कहा जाता है। ऐसी ही एक जगह है, पाताल भुवनेश्वर। जिसे भगवान शिव का निवास स्थान कहा जाता है। यह कुमाऊं क्षेत्र के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। जहां आप अपने जीवनकाल की सबसे अविस्मरणीय और अनोखी तीर्थयात्रा का अनुभव कर सकते है।
पाताल भुवनेश्वर गुफा का लोकेशन
पाताल भुवनेश्वर मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक गुफा मंदिर है। जो पिथौरागढ जिले के गंगोलीहाट के पास स्थित है। यह गुफा मंदिर गंगोलीहाट से लगभग 13 किमी दूर है। पाताल भुवनेश्वर देवदार के घने जंगलों के बीच एक भूमिगत गुफा है। गुफा के अंदर भगवान शिव का मंदिर स्थापित है।मान्यताओं के अनुसार इसकी खोज आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। माना जाता है कि इस गुफा में 33 करोड़ देवी- देवताओं का वास है।
गुफा की वास्तुकला एवं आकार
किंवदंतियाँ और कई पारंपरिक मान्यताएँ हैं कि इस भूमिगत गुफा में भगवान शिव और 33 करोड़ देवता विराजमान हैं। यह गुफा 160 मीटर लंबी और प्रवेश द्वार से 90 फीट गहरी है और गुफा का प्रवेश द्वार बहुत छोटा है और नीचे उतरने के लिए केवल कुछ चिपचिपी पत्थर की सीढ़ियाँ हैं। प्रवेश करने के लिए आपको सबसे पहले गुफा के प्रवेश द्वार पर घंटी बजानी होगी, जैसे किसी मंदिर में प्रवेश करते समय बजाई जाती है। प्रवेश द्वार (शेष नाग के फन के आकार का) इस गुफा में एक संकीर्ण सुरंग जैसा उद्घाटन है जो कई गुफाओं की ओर जाता है। गुफा पूरी तरह से विद्युतीय रोशनी से जगमगाती है।
मंदिर को लेकर प्रसिद्ध मान्यता
कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वती के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाया गया, लेकिन जो सिर धड़ से अलग हो गया, उसके बारे में मान्यता है वह सिर भगवान शिव ने पाताल भुवनेश्वर गुफा में रखा था। गुफा में भगवान गणेश की कटी हुई शिला की प्रतिमा के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाली ब्रह्मकमल के आकार की एक चट्टान है। भगवान गणेश के शिला आकार के मस्तक पर लगे इस ब्रह्मकमल से जल की दिव्य बूंद बहती रहती है। इस गुफा से जुड़ी कई रहस्यमयी घटनाएं हैं, जिनकी जानकारी यहां जाकर ही मिलेगी। इस पवित्र और रहस्यमयी गुफा में सदियों का इतिहास छिपा हुआ है।
कब जाएं घूमने?
पाताल भुवनेश्वर जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच है। इन महीनों में यहां यात्रा करना सबसे अच्छा और आनंददायक होता है। सर्दी के मौसम में यहां का मौसम ठंडा रहता है। सर्दी के मौसम में आसपास की पहाड़ियों पर बर्फबारी के कारण यहां का तापमान बहुत नीचे चला जाता है।
कैसे पहुंचें यहां?
पाताल भुवनेश्वर गंगोलीहाट से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगोलीहाट का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जो गंगोलीहाट से लगभग 218 किमी दूर है। गंगोलीहाट से निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर में है, जो गंगोलीहाट से लगभग 166 किमी दूर है।