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Sangam Railway Station History: प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन जो कभी था भैंसों का तबेला, आज कैसा दिखता है, आइए जानते हैं इस स्टेशन की कहानी
Prayagraj Sangam Railway Station Ka Itihas: महाकुंभ 2025 के दौरान भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे प्रशासन ने प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन को 14 फरवरी तक बंद करने का निर्णय लिया है। आइए जानते हैं इस स्टेशन के बारे में सारी डिटेल।
Prayagraj Sangam Railway Station History (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Prayagraj Sangam Railway Station History: भारत के उत्तर प्रदेश राज्य (Uttar Pradesh) में स्थित प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन (पूर्व में प्रयाग घाट रेलवे स्टेशन) एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन संगम क्षेत्र के निकट स्थित होने के कारण धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल ही में, महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) के दौरान अत्यधिक भीड़ को देखते हुए इसे 14 फरवरी तक अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
स्टेशन की स्थापना (Prayagraj Sangam Station Ki Sthapna)
19वीं शताब्दी में भारतीय रेलवे का तेजी से विकास हो रहा था। ब्रिटिश शासन के दौरान, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) को एक प्रमुख रेलवे जंक्शन के रूप में विकसित किया गया। इसी कड़ी में, संगम क्षेत्र के पास स्थित प्रयाग घाट रेलवे स्टेशन (Prayag Ghat Railway Station) की स्थापना हुई।
1859 में कानपुर से इलाहाबाद के बीच पहली ट्रेन चली, जो इस क्षेत्र में रेलवे विकास का महत्वपूर्ण चरण था। बाद में, 1865-66 में नैनी पुल के निर्माण के बाद, ट्रेनों की सीधी सेवा शुरू हुई, जिससे यह इलाहाबाद के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक बन गया। इसका मुख्य उद्देश्य प्रयागराज आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करना था, विशेषकर कुंभ और अर्धकुंभ मेलों के दौरान।
कभी तबेले के रूप में था स्टेशन
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अधीन आने वाला प्रयाग घाट टर्मिनल कभी अवैध कब्जे का शिकार हो गया था। आसपास रहने वाले लोगों ने इस स्टेशन को तबेले के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया था। दीवारें तोड़ दी गई थीं, और रेलवे की जमीन पर अवैध निर्माण तक करा लिए गए थे। लेकिन कुंभ 2019 के मद्देनजर इसे टर्मिनल में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया और 2018 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ।
सिर्फ एक कमरा, एक ट्रेन रुकती थी
रेलवे स्टेशन के टर्मिनल बनने से पहले यहाँ से केवल एक ट्रेन, बरेली पैसेंजर, चलती थी। इसके लिए स्टेशन मास्टर समेत दर्जन भर रेलकर्मी तैनात थे, जिन पर रेलवे लाखों रुपये प्रतिमाह व्यय करती थी। स्टेशन की स्थिति जर्जर थी, जिसमें केवल एक जीर्णशीर्ण कमरा और गड्ढों से भरा प्लेटफार्म था। चूँकि कोई ट्रेन यहाँ से नियमित रूप से नहीं चलती थी, इसलिए रेलवे महकमा रखरखाव को लेकर उदासीन था।
इस स्टेशन की हालत अत्यंत दयनीय थी। टूटी हुई टिकट विंडो, खराब पड़े सिग्नल और चारों ओर फैली गंदगी इसकी बदहाली की गवाही देते थे। यात्रियों को ट्रेन पकड़ने के लिए दूसरे स्टेशनों पर जाना पड़ता था क्योंकि यहाँ दिन में मात्र एक ट्रेन आती थी, और कई बार वह भी नहीं आती थी। स्टेशन पर सिग्नल व्यवस्था भी पूरी तरह से जर्जर हो चुकी थी।
प्रयाग घाट रेलवे स्टेशन उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, प्रयागराज से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित था, लेकिन इसके बावजूद यह अत्यंत उपेक्षित था। यहां तक कि आज भी सिग्नलिंग व्यवस्था पूरी तरह से मैन्युअल थी और अत्यधिक पुरानी प्रणाली पर आधारित थी।
नामकरण और नाम परिवर्तन
शुरुआत में इस स्टेशन को "प्रयाग घाट रेलवे स्टेशन" के नाम से जाना जाता था। इस नामकरण का प्रमुख कारण यह था कि स्टेशन संगम के निकट स्थित था और घाटों से इसकी निकटता इसे महत्वपूर्ण बनाती थी।
2018 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। इसी के साथ, रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदले गए। प्रयाग घाट रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन कर दिया गया। इस नाम परिवर्तन का उद्देश्य प्रयागराज की ऐतिहासिक पहचान को पुनः स्थापित करना था।
वर्तमान संरचना
प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन अपनी अनूठी संरचना के लिए जाना जाता है। यह उन कुछ रेलवे स्टेशनों में से एक है, जो ट्रैक के अभिलंबवत (परपेंडिकुलर) स्थित है और इसमें पाँच तल हैं। स्टेशन की वास्तुकला बेहद रोचक है और इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाया गया है। इसकी डिजाइन आर्किटेक्ट श्री एम. के. सिंह द्वारा तैयार की गई थी। वर्तमान में यहाँ पाँच प्लेटफार्म हैं, जिन्हें जोड़ने के लिए एक फुट ओवरब्रिज भी बनाया गया है। यह प्रयागराज शहर में स्थित है और यहाँ से बरेली और लखनऊ के लिए ट्रेनें गुजरती हैं। इसके नजदीक स्थित दारागंज रेलवे स्टेशन मात्र 100 मीटर की दूरी पर है।मुख्य भवन की सुंदरता स्टेशन को भव्य रूप प्रदान करती है। स्टेशन के चारों ओर हरियाली बढ़ाने के लिए पौधे भी रोपे गए हैं।
यात्री सुविधाएँ और आगामी योजनाएँ
स्टेशन का नाम बदलकर प्रयागराज संगम कर दिया गया है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशन के दूसरे तल पर दर्जन भर रिटायरिंग रूम और जनरल हॉल बनाए जा रहे हैं, जो लगभग तैयार हो चुके हैं। इनमें एसी आदि की भी व्यवस्था की जा रही है और इन्हें माघ मेले तक यात्रियों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा।
रेलवे प्रशासन ने प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं। इसमें शामिल हैं: स्टेशन का आधुनिकीकरण, स्वच्छता और सुरक्षा मानकों में वृद्धि, अतिरिक्त प्लेटफार्मों का निर्माण, डिजिटल सूचना डिस्प्ले बोर्ड और अनाउंसमेंट सिस्टम में सुधार।
प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन की हालिया बंदी का कारण
महाकुंभ 2025 के दौरान, प्रयागराज में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। कुंभ मेले के दौरान, यह क्षेत्र लाखों श्रद्धालुओं से भर जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, पिछले चार दिनों में 5 करोड़ से अधिक लोग संगम स्नान के लिए पहुँच चुके हैं।
इतनी भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे प्रशासन ने प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन को 14 फरवरी तक बंद करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना,अधिक भीड़ से बचाव और वैकल्पिक रेलवे स्टेशनों पर यातायात का बेहतर प्रबंधन करना है । बंद होने के दौरान, प्रशासन ने यात्रियों को प्रयागराज जंक्शन, नैनी जंक्शन, सूबेदारगंज, प्रयाग, फाफामऊ, प्रयागराज रामबाग और झूंसी स्टेशनों से आवागमन के लिए निर्देशित किया है।
महाकुंभ और प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन का महत्व
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जो हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। इस दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए आते हैं।प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन महाकुंभ के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह स्टेशन सीधे संगम क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। भविष्य में, इस स्टेशन का और भी विकास किया जाएगा ताकि तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएँ मिल सकें। महाकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान रेलवे प्रशासन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, और प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन इस दिशा में एक अहम कड़ी बना रहेगा।
बेस्ट मेंटेन स्टेशन का सम्मान
कभी उपेक्षित रहे इस स्टेशन को 2019 में लखनऊ मंडल का बेस्ट मेंटेन स्टेशन का गौरव भी प्राप्त हुआ। यहाँ पर एक सिक लाइन भी तैयार की जा रही है, जिससे आने वाली ट्रेनों के रखरखाव की सुविधा उपलब्ध होगी।
प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन न केवल यातायात का महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि तीर्थयात्रियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। इसके आधुनिकीकरण और सुविधाओं के विस्तार से यह आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।