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Pushkar Mela 2023 Date: अगर घूमनें जा रहे है ऐतिहासिक पुष्कर मेला, तो जानें, इस वर्ष बदला है तारीखों का शेड्यूल
Ajmer Pushkar Mela 2023 Date: साल के कार्तिक महीने में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले ने राजस्थान और तीर्थराज पुष्कर को दुनियां भर में अलग ही पहचान दे दी है।
Ajmer Pushkar Mela 2023 Date: राजस्थान के अजमेर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर स्थित है। प्रति वर्ष यहां कार्तिक माह के दौरान एक विशाल पशु मेला लगता है। इस साल यह प्राचीन पशु मेला, 14 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर, यानी की केवल एक सप्ताह में ही समाप्त हो जाएगा। हर साल पूरे 15 दिन तक लगने वाला ये ऐतिहासिक पशु मेला अपनी पूर्ववर्ती तारीखों के अनुसार 14 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक आयोजित होना था।
माना जा रहा है की 400 साल में पहली बार पुष्कर मेले की तिथियों में बदलाव किया गया है। ये निर्णय राजस्थान राज्य में होनें वाले आगामी विधानसभा चुनावों की तारीखों को लेकर किया गया है।चुनाव आयोग ने राज्य की सभी 200 विधानसभा सीटों पर, एक ही चरण में, 25 नवंबर को मतदान कराने का निर्णय किया है।
अजमेर का पुष्कर मेला
साल के कार्तिक महीने में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले ने राजस्थान और तीर्थराज पुष्कर को दुनियां भर में अलग ही पहचान दे दी है। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए पूरे विश्व से विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं और परिवार के साथ मेले में शामिल होने आते हैं। रेत के विशाल टीलों में, दूर दूर तक रंगबिरंगे तंबुओं का संसार अपने आप ही बस जाता है। राजस्थानी लोक कला, शिल्प के चटख,शोख रंगों से सजीं ढेरों दुकानें, खाने-पीने के बेहद तीखें तो कहीं मीठें जायके, सर्कस, झूले, खेल, तमाशे और भी न जाने क्या-क्या। राजस्थान के बेहद गौरवशाली इतिहास में ऊंट और रेगिस्तान एक दूसरे के पूरक रहें है।इसलिए ख़ूब सजे-धजे ऊंट और उनको खरीदने बेचने आए रौबीली पगड़ी वाले आदिवासी हर तरफ देखने को मिलते ही हैं। कालांतर में इसका स्वरूप विशाल पशु मेले का हो गया है।अन्य पशुधन जैसे बैलों, घोड़ों, गायों और भैंसों के साथ 25,000 से अधिक ऊंटों का व्यापार हर साल यहाँ किया जाता है, जिससे यह दुनियां का सबसे बड़ा ऊंट मेला बनता है।
इस ऊंट मेले में सांस्कृतिक शो और प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाता है ताकि इसे राजस्थान की जीवंतता और शौर्य से जोड़ा जा सके। इस वार्षिक ऊंट मेले के कुछ मुख्य आकर्षण मटकी फोड़, बड़ी और आकर्षक मूंछें और दुल्हन के लिए जैसी कई प्रतियोगिताएं विशेष हैं।
इनके अलावा, इस मेले में ऊंट की सौंदर्य प्रतियोगिता, उनके नृत्य,परेड और रन जैसी अनेक प्रतियोगिताएं, हजारों देशी और विदेशी सैलानियों को अचरज से भर देती है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन, हर कोई भव्य ऊंट मेले को देखना और अपने कैमरे में क़ैद करना चाहता है।
यहां है विश्व का एकमात्र भगवान ब्रह्मा का मंदिर।
पुष्कर के उद्धव का वर्णन पद्मपुराण में पाया जाता है। प्रयागराज के बाद तीर्थ राज कहलाने वाले इस अत्यंत प्राचीन नगर का उल्लेख रामायण में भी हुआ है। माना जाता है की ब्रह्मा जी ने यहां आकर तप और यज्ञ किया था। हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में पुष्कर ही एक ऐसी जगह है जहां ब्रह्मा जी का मंदिर स्थापित है। मंदिर के समीप ही पवित्र पुष्कर झील है।यहाँ कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो कालांतर में अताताई शासक औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद पुन: निर्मित किए गए हैं। अज्ञात वास के समय पाण्डवों द्वारा निर्मित पाँच कुण्ड भी स्थानीय नाग पहाड पर स्थित है।करीब 11 किमी. लम्बाई में बसी यह पहाड़ी अनेक ऋषी मुनियों की तपोस्थली रही है। यह पर्वत नगर के पूर्व से दक्षिण दिशा में स्थित है। जो कि अनेक प्राकृतिक संपदाओं से भरा पूरा है।इस पहाड के उपर से एक तरफ अजमेर तो दूसरी तरफ पुष्कर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। वर्ष में एक बार इसी पहाड पर लक्ष्मी पोळ नामक स्थान पर हरियाली अमावस के दिन प्रसिद्ध मेला लगता है !
विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा जी के मंदिर के अतिरिक्त यहाँ देवी गायत्री, देवी सावित्री, श्री बदरीनारायण, वाराह और शिव आत्मेश्वर के मंदिर प्रमुख हैं।पुष्कर झील के तट पर जगह-जगह पक्के घाट बने हैं, जो अनेक राजपूताना राज्यों के शासकों द्वारा बनाए गए हैं।
पुष्कर अपने कलापूर्ण कुटीर वस्त्र उद्योग,काष्ठ चित्रकला, खान पान तथा पशुओं के व्यापार के लिए विख्यात है। राज्य व स्थानीय प्रशासन हर वर्ष आयोजित होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय पशु मेले का विशेष प्रबंधन करतें है तो वहीं कला संस्कृति तथा पर्यटन विभाग इस अवसर पर विविध देसी व विदेशी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करते हैं।
हाल के वर्षों में पुष्कर पशु मेला देसी विदेशी छायाकारों व कैमरा प्रेमियों के लिए भी विशेष आकर्षण रखने लगा है। तमाम देसी विदेशी, ट्रैवल एंड टूर एजेंसियां, फोटो वॉक, वर्कशॉप, फ़ोटो प्रतियोगिता जैसी तमाम गतिविधियां आयोजित करने लगी हैं।