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Longewala Town Tour Guide: भारतीय जवानों की शौरगाथा का नगर लोंगेवाला, आइये घुमाते हैं आपको

Longewala Town Tour Guide: जैसलमेर में लोंगेवाला की उस महान युद्ध के मैदान को भी पर्यटक देख सकते हैं जहां हमारी बहादुर सेना ने पाकिस्तानी सेना को हराया था।

Sarojini Sriharsha
Published on: 28 Sept 2024 10:01 PM IST
Rajasthan Border Longewala Town Tour Guide
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Rajasthan Border Longewala Town Tour Guide

Longewala Town Tour Guide: भारत देश के राजस्थान राज्य के जैसलमेर ज़िले के भारत पाकिस्तान की सीमा पर स्थित लोंगेवाला एक नगर है। युद्ध के बारे में जानने और रुचि रखने वाले पर्यटकों के घूमने के लिए यह एक शानदार जगह है। इस जगह 1971 में भारत पाक युद्ध के दौरान टैंक युद्ध हुआ था। यह लड़ाई 1971 के राजस्थान के थार रेगिस्तान में लोंगेवाला की भारतीय सीमा चौकी पर पाकिस्तानी सेना और भारतीय सेना के बीच लड़ी गई थी। यह लड़ाई पश्चिमी क्षेत्र में पहली बड़ी लड़ाइयों में से एक मानी जाती है। भारत ने पाक को हराकर लोंगेवाला में पाक सैनिकों की कब्रगाह बना डाली थी। 1971 के इस भारत-पाक युद्ध में हमारे जवानों ने दुश्मनों के 250 टैंक नष्ट कर दिए थे।

आज भी लोंगेवाला में इस युद्ध के निशान भारतीय जांबाजों की वीरता की कहानी बयां करते नज़र आते हैं।

16 दिसंबर, 1971 का वो यादगार दिन भारत जब एक तरफ पाकिस्तान के जीओसी ले. जनरल ए.के. नियाजी ने अपने 91 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के पूर्वी कमान के जीओसी ले. जनरल जगजीतसिंह अरोड़ा के सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने भी अहम भूमिका निभाते हुए भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट के केवल 120 तैनात जवान और सीमित हथियारों के बावजूद पाक सैनिकों को परास्त कर दिया था। जैसलमेर के लोंगेवाला से सटी सीमा पर हमारे सैनिकों की संख्या कम होते हुए भी उनके बुलंद हौसले ने दुश्मन को परास्त कर उन्हें लौटने पर मजबूर कर दिया।


पर्यटकों को लोंगेवाला में देखने के लिए कई स्थान हैं जिनमें प्रमुख है (Longewala Town Top Tourist Places)

जैसलमेर युद्ध संग्रहालय

इस संग्रहालय को JWM भी कहा जाता है। इसका निर्माण "लोंगेवाला की लड़ाई" के सैनिकों के सम्मान में किया गया है। सन् 1971 में लड़ी गई लोंगेवाला की लड़ाई के समय अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों के भित्ति चित्र भी यहां देखने को मिलेंगे। यह संग्रहालय युद्ध स्थल पर ही बनाया गया है, और इसका रख रखाव भारतीय सेना द्वारा किया जाता है। यहां पर 15 मिनट की सेना के इस युद्ध पर बनी एक वीडियो फिल्म भी दिखाई जाती है।


इस संग्रहालय में आप युद्ध में इस्तेमाल किए गए लड़ाकू जेट, हथियार, टैंक भी देख सकते हैं।

लोंगेवाला - युद्ध का मैदान

जैसलमेर में लोंगेवाला की उस महान युद्ध के मैदान को भी पर्यटक देख सकते हैं जहां हमारी बहादुर सेना ने पाकिस्तानी सेना को हराया था। इस जगह आकर अपने जवानों की वीरतापूर्ण विजय कहानी सुनकर आपको भारतीय होने पर बहुत गर्व महसूस होगा।


मातेश्वरी तनोट राय मंदिर

देवी तनोट को समर्पित यह मंदिर जैसलमेर शहर से 150 किमी दूर स्थित है। भाटी राजपूत नरेश (राजा) तनुराव ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। "चमत्कारों का मंदिर" कहा जाने वाला यह मंदिर सीमा सुरक्षा बल के अधीन है।


तनोट माता का यह मंदिर भारत पाक के 1965 और 1971 के युद्धों के बाद मशहूर हो गया। ऐसा कहा जाता है कि माता के चमत्कार के चलते पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा फेंके गए बम इस जगह फटे नहीं और सेना को ये बम जीवित पड़े मिले। सेना ने इनमें से कुछ बमों को आज भी तनोट माता के मंदिर में पर्यटकों के देखने के लिए रखा है। तनोट माता मंदिर में और जैसलमेर शहर में विजय स्तंभ का निर्माण किया गया था जो यहां आने वाले पर्यटकों को गौरवशाली इतिहास और 1971 के युद्ध में सेना के जवानों द्वारा किए गए वीरता के प्रदर्शन से अवगत कराते हैं। यह मंदिर सुबह 05:00 बजे से रात 09:30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।

कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से जैसलमेर हवाई अड्डा यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा है। यहां से आप टैक्सी द्वारा लोंगेवाला पहुंच सकते हैं।

यहां पहुंचने के लिए दूसरा विकल्प लगभग 285 किमी की दूरी पर स्थित जोधपुर हवाई अड्डा है। इसके अलावा दिल्ली का भी निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां पहुंच कर टैक्सी के माध्यम से यहां तक पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग से जैसलमेर का रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन है जो शहर से 2 किमी पूर्व में है। यह शहर जोधपुर, आगरा, जयपुर, नई दिल्ली और मुंबई जैसे देश के अन्य प्रमुख शहरों से रेल द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां पहुंच कर टैक्सी या बस से यहां की यात्रा की जा सकती है।

सड़क मार्ग द्वारा इस जगह राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा जैसलमेर से प्रतिदिन बसें उपलब्ध हैं। जैसलमेर गुजरात और राजस्थान के शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। टैक्सी, बस या अपने साधन से भी इस जगह पहुंचा जा सकता है।

इस जगह पर्यटकों को जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच है। सर्दी के मौसम में जैसलमेर में चलने वाले फेस्टिवल का भी आनंद ले सकते हैं।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)



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