TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Shri Nakoda Jain Temple: श्री नाकोडा पार्श्वनाथ जैन मंदिर है एक अत्यंत प्राचीन तीर्थ स्थल

Shri Nakoda Jain Temple: इस मंदिर में कई मूर्तियां हैं जिसमें जैन संत पार्श्वनाथ (तीर्थंकर) की काले पत्थर की मूर्ति भी है, जो नाकोडा का प्रमुख आकर्षण है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 19 July 2022 9:45 AM IST (Updated on: 19 July 2022 9:57 AM IST)
Shri Nakoda Jain Temple
X

श्री नाकोडा पार्श्वनाथ जैन मंदिर (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Click the Play button to listen to article

Shri Nakoda Jain Temple: श्री नाकोडा जी का पार्श्र्वनाथ मंदिर (Shri Nakoda Jain Temple) जैनों के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है। नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ एक अत्यंत प्राचीन तीर्थ स्थल है,जो राजस्थान (Rajasthan) राज्य में बाडमेर के नाकोडा ग्राम में स्थित है। यह जैन मंदिर राजस्थान के बलोतरा रेलवे स्टेशन से लगभग 13 किमी और मेवाड शहर से 1 किमी के करीब 1500 फुट की एक सुंदर पहाड़ी पर स्थित है।नाकोडा ग्राम लूनी नदी के तट पर बसा हुआ है।

यह तीर्थ जोधपुर से 116 किमी तथा जोधपुर बाड़मेर मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है और वहां से सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ राजस्थान के उन प्राचीन जैन तीर्थो में से एक है, जो 2000 वर्ष से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की ऐतिहासिक समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस मंदिर में कई मूर्तियां हैं जिसमें जैन संत पार्श्वनाथ (तीर्थंकर) की काले पत्थर की मूर्ति भी है, जो नाकोडा का प्रमुख आकर्षण है।

श्री नाकोडा जी का पार्श्र्वनाथ मंदिर (photo: social media )

इसके अलावा, यहाँ एक और ऊँचे स्तर पर बना मंदिर है जिसे शांतिनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। देशभर से हजारों तीर्थयात्री और पर्यटक यहाँ भक्ति भाव से आते है और इसकी वास्तुकला को देखकर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। यहां हर भगवान की नक़्क़ाशीदार संगमरमर पर प्रतिमा है। मुख्य मंदिर के बाहर भगवान नेमीनाथ की तपस्या करते हुए दो प्राचीन मूर्तियाँ है।

श्री नाकोडा जी का पार्श्र्वनाथ मंदिर (photo: social media )

नाकोडा तीर्थ स्थल दो मुख्य कारणों से प्रसिद्ध है-

1. श्वेताम्बर जैन समाज के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की दसवीं शताब्दी की प्राचीनतम मूर्ति का मिलना और छह सौ वर्षो पूर्व उस चमत्कारी मूर्ति का जिनालय में स्थापित होना।

2. तीर्थ के अधियक देव श्री भैरव देव की स्थापना पार्श्वनाथ मंदिर के परिसर में होना है, जिनके दैविक चमत्कारों के कारण हज़ारों लोग प्रतिवर्ष श्री नाकोडा भैरव के दर्शन करने यहाँ आते है और मनवांछित फल पाते हैं।

ऐसा मानना है कि इस जगह के नाम पर आने वाले हर भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।

श्री नाकोडा जी का पार्श्र्वनाथ मंदिर (photo: social media )

श्री नकोडा जी मंदिर की वास्तुकला:

मुख्य मंदिर में श्री आदिनाथ भगवान और श्री शांतिनाथ भगवान की मूर्तियों के साथ अपने परिसर में अन्य मंदिरों में तीर्थ अधिपति मूर्तियों के लिए विख्यात है। पद्मासन मुद्रा में श्री नाकोड़ा पार्वश्वनाथ भगवान, ऊंचाई में 58 सेमी, एक अद्भुत नीली रंग की प्रतिमा है। मुख्य मंदिर के निकट कई छोटे और बड़े मंदिर हैं।

पौष कृष्ण पक्ष दशमी जो भगवान पार्श्वनाथ का जन्मदिन है, पर यहां एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह से शाम तक खुला रहता है। तीर्थ पर आकर रहने के लिए भी मंदिर परिसर में पूरी व्यवस्था की गई है।

श्री नाकोडा जी का पार्श्र्वनाथ मंदिर (photo: social media )




\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story