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Rajasthan Kavish Jawai Village: जंगल और मगरमच्छ सफारी के साथ करें बर्ड वॉचिंग
Rajasthan Kavish Jawai Village: राजस्थान राज्य के पाली जिले के पास स्थित जवाई गांव की। लाखों साल पहले लावा द्वारा आकार दिए गए पहाड़ियों की यह जगह जवाई बांध, घास के मैदान, लूनी नदी के किनारों और बड़ी बड़ी पहाड़ियों व घाटियों से घिरा हुआ है
Rajasthan Kavish Jawai Village: राजस्थान में वन्यजीव देखने के तो कई अभयारण्य हैं जैसे रणथंभोर, सरिस्का टाइगर रिजर्व, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, भरतपुर पक्षी विहार । पर कुछ एक जगह ऐसी भी है जो अभी तक काफी हद तक अनछुई है। हम बात कर रहे हैं भारत देश के राजस्थान राज्य के पाली जिले के पास स्थित जवाई गांव की। लाखों साल पहले लावा द्वारा आकार दिए गए पहाड़ियों की यह जगह जवाई बांध, घास के मैदान, लूनी नदी के किनारों और बड़ी बड़ी पहाड़ियों व घाटियों से घिरा हुआ है। इन प्राकृतिक गुफाओं मे कई तेंदुए और भारतीय धारीदार हाइना के साथ कई पशु-पक्षियों का बसेरा है। यह छोटा सा गांव जवाई अपने वन्यजीवों के साथ हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। जवाई को लोग अक्सर जवाई बांध के रूप में जानते हैं।
प्रकृति और वन्य जीवन से प्यार करने वाले राजस्थान के जवाई इलाके में खासकर सर्दियों के मौसम में घूमने का प्लान बना सकते हैं। इस बांध का निर्माण जोधपुर के तत्कालीन शासक महाराजा उम्मेद सिंह ने 500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में कराया था। जवाई बांध क्षेत्र वन्यजीवों से भरा हुआ है। यहां पर्यटक मगरमच्छ, लकड़बग्घा, तेंदुए और भालू की कई प्रजातियों को देख सकते हैं। खासकर यह स्थान तेंदुओं के लिए प्रसिद्ध है और ये अधिकतर घूमते या ग्रेनाइट की पहाड़ियों पर यहां आराम करते दिख जाते हैं।
जवाई में कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें प्रमुख हैं
जंगल सफारी
इसमें पर्यटकों को जवाई के जंगल में जाने और जानवरों को करीब से खुले में देखने का अवसर मिलता है।
भारत में पर्यटकों को बड़े घने जंगल देखने को मिल सकते हैं लेकिन उसमें तेंदुओ को देखना आसान नहीं होता है। लेकिन जवाई में सैलानी उन्हें आसानी से चट्टानों पर बैठा देख सकते हैं। इसके अलावा आपको यहां ऐसे कई जानवर देखने को मिल जायेंगे जिनका तेंदुएं शिकार करते हैं। जवाई जंगल सफारी का समय सुबह 5:30 बजे से 8:30 बजे तक रहता है।
पहाड़ी मंदिर
जवाई में पर्यटक प्राकृतिक दृश्यों के अलावा आध्यात्मिक आनंद भी ले सकते हैं। इस इलाके में कई पहाड़ी मंदिर है जैसे गिरी मंदिर, कांबेश्वर महादेव मंदिर और अन्य मंदिर जिसके दर्शन आप यहां पर कर सकते हैं। आप मंदिरों के दर्शन के लिए चढ़ाई करते और उतरते समय शरीर में एक अलग अनुभूति का एहसास कर सकते हैं। कई बार मंदिर की सीढ़ियों पर या मंदिर से ही आस पास देखने पर आपको पैंथर देखने को मिल जाएंगे।
जवाई गांव
आप राजस्थान के संस्कृति कोअधिक गहराई से अनुभव करने के लिए जवाई गांव घूम सकते हैं। विलेज सफारी में आप रबारी जनजाति की जीवनशैली से परिचित हो सकते हैं जो कई सालों से इस जगह पर रह रहे हैं। यहां आपको आदिवासियों की जीवनशैली को करीब से देखने का मौका मिलेगा जिसमें मवेशी पालने और फसलें उगाते हुए गांव वालों को करीब से देख सकते हैं। शहरों की भीड़-भाड़ से दूर यह जगह शांतिपूर्ण वातावरण और प्रकृति के करीब आने का अवसर प्रदान करता है।
जवाई गांव सफारी का समय केवल सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक का रहता है।
बर्ड वॉचिंग
जवाई में वैसे तो घूमने के लिए कभी भी जा सकते हैं । लेकिन अगर बर्ड वॉचिंग का प्लानिंग है तो ठंड का मौसम सबसे अच्छा है। इस दौरान यहां पर 100 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पर्यटक देख सकते हैं। इस जगह प्रवासी पक्षी फ्लेमिंगो भी देखे जा सकते हैं।
यहां हर मौसम में अलग अलग प्रजाति के पक्षियों को देखने का मौका मिलता है। यहां जाड़ों में सुबह 6:00 बजे से 9:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 7:00 बजे तक पक्षी देखने का सुनहरा मौका मिलता है।
मगरमच्छ सफारी
जवाई नदी के किनारे आप बैठ कर मगरमच्छों को दूसरे पक्षियों या जानवरों का शिकार करते हुए देख सकते हैं। यह एक रोमांचकारी अनुभव होता है।
जवाई नदी में भारी तादाद में मगरमच्छ हैं जिन्हें आप दिन में धूप सेंकते हुए देख सकते हैं। यहां कई बड़े मगरमच्छ को देखने का मौका मिलेगा, जिसे आप अभी तक टीवी पर देखते होंगे।
बेरा गांव
राजस्थान राज्य के पाली जिले का बेरा गांव देश के अन्य गांवों की तरह एक साधारण गांव है। लेकिन तेंदुए और इंसानों के बीच एक आदर्श समझ का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। भारत ही नहीं दुनिया के कई प्रसिद्ध वन्यजीव फोटोग्राफर यहां आकर अपने कैमरे में इस उदाहरण को कैद करना चाहते हैं।
अरावली की पहाड़ियों और जवाई नदी से घिरा यह छोटा सा गांव सौ के करीब तेंदुओं का निवास स्थान है। इस गांव में तेंदुओं ने आज तक किसी भी इंसान पर हमला नहीं किया है, ये जानवर हर रात खेतों और गांवों के अंदर आज़ाद घूमते हैं। इंसान भी इन्हें कोई क्षति नहीं पहुंचाते बल्कि उन्हें संरक्षित करने के लिए खास देखभाल करते हैं। इनका शिकार करना अवैध है। जवाई स्थित बेरा गांव कि पहाड़ियों को पैंथर हिल्स या "लैपर्ड हिल्स ऑफ इंडिया" भी कहते हैं।
जवाई बांध
जवाई बांध कि बनावट और सुंदरता देखने पर्यटक खींचे चले आते हैं। इस जगह से पर्यटकों को पूरे क्षेत्र की शानदार पैनोरमिक दृश्य देखने का मौका मिलता है।
इस जगह से पहाड़ियों के विशाल दृश्य और नदी के शांत वातावरण का अनुभव करने का अवसर मिलता है। यहां नदी में लोकल लोगों की सहायता से नौका विहार का आनंद भी ले सकते हैं।
ग्लैंपिंग
ग्लैंपिंग का अर्थ है ग्लैमरस तरीके से कैंपिंग करना। जवाई में ऐसे कई रिसॉर्ट्स हैं जो सैलानियों को ग्लैंपिंग का मज़ा देते हैं। इन कैंपिंग टेंट में आपको ज़रूरत की सभी सुख-सुविधाएं मिलती हैं। इस टेंट में आलीशान बिस्तर, एयर कंडीशनर, फर्नीचर जैसी कई सुसज्जित सेवाएं मिलती हैं। ये टेंट अंदर से काफी बड़े होते हैं और यहां रुकना जिंदगी के लिए एक यादगार क्षण बन जाता है।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से जवाई पहुंचने के लिए जवाई गांव के पास नजदीकी पांच प्रमुख हवाई अड्डे हैं। ये हवाई अड्डे हैं - जोधपुर, उदयपुर, दिल्ली, अहमदाबाद और जयपुर। यहां से पर्यटक टैक्सी या अन्य साधन से जवाई पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से जवाई पहुंचने के लिए तीन नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन मोरी बेरा (MOI) में है, यहां से जवाई 4 किमी दूर है। जवाई बांध(JWB) दूसरा सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो 15 किमी दूर है और फालना (FA) तीसरा नज़दीकी रेलवे स्टेशन जहां से जवाई 35 किमी दूर है। देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, उदयपुर और जयपुर से जवाई के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं। यहां पहुंचकर आप बस या टैक्सी के माध्यम से जवाई पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा राजस्थान के प्रमुख शहरों से जवाई अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से सुमेरपुर से जवाई की दूरी 24 किमी, माउंट आबू से 94 किमी, उदयपुर से 136 किमी, अहमदाबाद से 280 किमी, कुंभलगढ़ से 86 किमी, जोधपुर से 165 किमी, जयपुर से 396 किमी, दिल्ली से 661 किमी और मुंबई से 801 किमी है । बस, टैक्सी या निजी वाहन के माध्यम से आप जवाई पहुंच सकते हैं।
कब जाएं ?
वैसे तो आप जवाई साल में कभी भी जा सकते हैं लेकिन पैंथर को देखने का रोमांचक अनुभव अक्टूबर से फरवरी के बीच कर सकते हैं। यह समय यहां के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि उस समय ठंड की वजह से पैंथर अपनी अपनी गुफाओं से निकलकर चट्टानों व पहाड़ियों पर धूप सेकते दिख जाएंगे । गांव वालों के अनुसार इस दौरान उनके दिखने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है । तो देर किस बात की सर्दियों के मौसम आने वाले हैं और आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ यहां आने का प्लान तैयार कर लें।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)