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Unique Temple in Rajasthan: इस मंदिर में सांप का जहर चूसकर निकाल रहे पुजारी, हिंदू-मुस्लिम सभी करते पूजा-अर्चना
Unique Temple in Rajasthan: राजस्थान के नागौर में एक बहुत ही अनोखा मंदिर है। ये प्रसिद्ध मंदिर नागौर के बूढ़ी गांव में केसरियां कंवरजी का मंदिर है। इस मंदिर को लेकर लोगों की बहुत मान्यताएं हैं।
Rajasthan Unique Temple: भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जो धार्मिक मान्यताओं से घिरा हुआ है। यहां अनेकों प्रथाएं, रीति-रिजाव हैं जिन्हें अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग तरीके से निभाते हैं। ऐसे में राजस्थान के नागौर में एक बहुत ही अनोखा मंदिर है। ये प्रसिद्ध मंदिर नागौर के बूढ़ी गांव में केसरियां कंवरजी का मंदिर है। इस मंदिर में बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर करीबन 1200 ईस्वी के आसपास बना था। मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को सांप द्वारा काट लिया जाता है तो मंदिर के पुजारी द्वारा सांप के जहर को मुंह से चूसकर निकाला जाता है। जिससे शरीर में जहर नहीं फैल पाता है।
केसरियां कंवरजी कौन हैं
दरअसल राजस्थान के लोक देवता केसरियां कंवर जी हैं। केसरियां कंवर गोगाजी के पुत्र हैं। साथ ही केसरियां कंवर को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। गांव के लोग श्रद्धा से इन्हें सांपो का देवता भी कहते हैं। वहीं इन्हें घोड़े वाला बाबा के नाम से भी पूजा जाता है।
मंदिर के बारे में पुजारी भंवरसिंह रावणा राजपूत ने बताया कि इस मंदिर में कई चमत्कार हुए हैं। जिनको उन्होंने खुद भी देखा है। आगे बताते हैं कि बहुत समय पहले एक बार रात में सपनों में उन्हें गोगाजी महाराज की मूर्ति दिखाई दी।
साथ ही गांव के ही कुंभाराम जाट के बेटी को एक बार सांप के काटने पर मंदिर में लाया गया। मंदिर में लाने के बाद पुजारी ने बेटी के शरीर से जहर चूसकर बाहर निकाला। तब बेटी की जान बची। पूजारी के अलावा यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने भी यहां कई चमत्कार होते हुए देखे हैं।
शरीर से जहर निकालने की प्रक्रिया
राजस्थान के नागौर जिले में करीबन 20 किलोमीटर दूर बूढ़ी गांव है। यहां रहने वाले लोगों की ऐसी मान्यता है जिसके चलते इस गांव में अगर किसी भी सांप काटता है तो मरीज को अस्पताल नहीं ले जाया जाता है बल्कि केसरिया कंवरजी मंदिर में लाया जाता है।
मंदिर में मरीज को लाने के बाद पुजारी द्वारा शरीर से जहर निकालने के लिए जोत व तंत्रमंत्र इत्यादि करने के बाद मुंह से चूसकर जहर को बाहर निकाला जाता है। आगे पुजारी भंवरसिंह बताते हैं कि जहर निकालते समय पुजारी के शरीर में जहर का कोई असर नहीं पड़ता है।
वैसे तो पूरे देश ऐसे कई मंदिर हैं जहां पर हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं। जिनमें से राजस्थान में ही ऐसे कई मंदिर जैसे चतुरदास का मंदिर, बुटाटी धाम, रामदेवरा मंदिर, पोकरण जैसलमेर और केसरिया कंवर का मंदिर है जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाज के लोग श्रद्धाभाव से पूजा करने आते हैं।