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Ranthambore: बाघों की सफारी के साथ किले और जंगलों का रोमांचक अनुभव

Ranthambore: बाघों के अतिरिक्त यहां कई अन्य जंगली जानवर जैसे चीता , सियार, लकड़बग्घा, हिरण, मगरमच्छ, जंगली सुअर आदि के अलावा लगभग 264 प्रजातियों के पक्षी भी देखने को मिलेंगे।

Sarojini Sriharsha
Published on: 27 Nov 2024 8:58 AM IST
Ranthambore: बाघों की सफारी के साथ किले और जंगलों का रोमांचक अनुभव
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Ranthambore Wildlife Sanctuary and Tiger Reserve   (PHOTO: social media )

Ranthambore: देश के राजस्थान राज्य का रणथंभौर रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है।इसी वजह से वाइल्ड लाइफ प्रेमी अपने राजस्थान की सैर में इसे शामिल करना नहीं भूलते। यहां वन्य जीव अभ्यारण्य से लेकर किले तक कई घूमने लायक जगहें हैं, जिसका पर्यटक लुत्फ उठा सकते हैं। देशी, विदेशी पर्यटक यहां के सफारी घूमने का मौका नहीं छोड़ते।

रणथंभौर में घूमने लायक कई जगह हैं जिनका पर्यटक प्लान कर आनंद उठा सकते हैं।

रणथंभौर वन्यजीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व

भारत के 392 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सबसे बड़े वन्यजीव अभ्यारण्य रणथंभौर की स्थापना 1955 में की गई थी। सन् 1980 में इस अभ्यारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ। वन्यजीव प्रेमियों और रोमांचकारी पर्यटकों के लिए यह जगह बिल्कुल अनुकूल है। बाघों को करीब से देखने के लिए यह देश के सबसे अच्छे अभ्यारण्य में जाना जाता है। यहां टाइगर रिजर्व जंगल सफारी के अलावा पक्षी देखने और प्रकृति की सैर करना सैलानियों को खूब भाता है।

बाघों के अतिरिक्त यहां कई अन्य जंगली जानवर जैसे चीता , सियार, लकड़बग्घा, हिरण, मगरमच्छ, जंगली सुअर आदि के अलावा लगभग 264 प्रजातियों के पक्षी भी देखने को मिलेंगे। पर्यटकों के लिए ऑनलाइन जंगल सफारी बुकिंग का विकल्प भी है। जंगल सफारी का सीजन के अनुसार अलग-अलग समय पर गाइड की निगरानी में आनंद लिया जा सकता है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के लिए यह जगह स्वर्ग के सामान है।


रणथंभौर किला

भारत के राजस्थान राज्य में इस किले का ऐतिहासिक और पर्यावरण दोनों का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में चौहान शासकों ने करवाया था। इस किले के आसपास चंबल की घनी वन घाटी में कई झीलें, पशु पक्षी और वनस्पति देखने को मिलेंगे साथ ही इतिहास से जुड़ी कई जानकारियां भी मिलेंगी। विश्व धरोहर की सूची में आने वाले इस किले के बारे में कहा जाता है कि प्राचीन काल के शासक यहां शिकार के लिए आते थे।


सुरवाल झील

रणथंभौर के जंगलों में स्थित यह झील एक सुहावने वातावरण में पर्यटकों का दिल मोह लेती है। रणथंभौर से करीब 25 किमी की दूरी पर स्थित इस झील के पास सर्दियों में प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियों को देखने का अवसर मिलता है। सैकड़ों की तादाद में पक्षी इधर आते हैं। इस दौरान फोटोग्राफर के फोटो लेने के लिए यह एक खास जगह साबित होती है। सैलानियों की यह पसंदीदा जगह है। इस झील के पास सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा देखने लायक होता है। गर्मियों के समय इस झील का पानी सूख जाता है, इसलिए पर्यटक यहां मानसून या सर्दियों के मौसम में आकर आनंद उठा सकते हैं।


मलिक तालाब

राष्ट्रीय उद्यान की तीन झीलों में से मलिक तालाब सबसे छोटी है। यहां का शांत वातावरण प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर्यटक भारतीय मार्श मगरमच्छों को देख सकते हैं। इसके अलावा कई पक्षियों को देखने का भी आनंद ले सकते हैं।


काचिदा घाटी

रणथंभौर पार्क के बाहरी इलाके में हरे भरे जंगलों के बीच स्थित यह काचिदा घाटी शांत घाटी होने के कारण पर्यटकों की लिस्ट में जरूर शामिल रहती है। यहां से पहाड़ आपको एकदम नीचे दिखेगा इसलिए पर्यटक जीप से वहां नजदीक पहुंचकर घाटी को करीब से देखते हैं। इस घाटी में पैंथर और भालू की आबादी ज्यादा है। इसके अलावा घाटी में कई अनदेखी वनस्पतियों और जीवों को भी देख सकते हैं। इस घाटी के आस-पास सुंदर झीलें भी हैं जो इसे और सुंदर बनाती हैं। ज्यादातर यहां प्रकृति प्रेमी फ़ोटोग्राफ़र देखने को मिल जाएंगे।


त्रिनेत्र गणेश मंदिर

रणथंभौर किले के अंदर स्थित तीन आंखों वाले गणेश का यह त्रिनेत्र गणेश मंदिर राजस्थान के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में भगवान श्री गणेश के पूरे परिवार की मूर्तियां स्थापित हैं।हर दिन भगवान की पूजा अर्चना के साथ पांच आरती होती है।

पुरानी कथा के अनुसार राजस्थान के राजा हमीर जब युद्ध में हारने की स्थिति में थे तब एक रात भगवान गणेश ने राजा को सपने में जीत का आशीर्वाद दिया। अगले दिन चमत्कारिक रूप से युद्ध की समाप्ति हो गयी । इसके साथ राजा की कई समस्याएं भी दूर हो गईं।तब से राजा का भगवान गणेश में आस्था और विश्वास मजबूत हो गया।उन्होंने इस त्रिनेत्र गणेश मंदिर का निर्माण करवाया। रणथंभौर घूमने आने वाला पर्यटक इस मंदिर में जाना नहीं भूलता।


पदम झील

रणथंभौर वन्यजीव अभ्यारण्य की यह सबसे बड़ी झील है।यह इस अभ्यारण्य में रहने वाले जानवरों के लिए पानी उपलब्ध कराता है। यहां के आस-पास की खूबसूरती और पानी पीने आने वाले जानवरों के दृश्य आपका मनमोह लेगी। यह झील रणथंभौर में पर्यटकों का एक आकर्षक स्थल है।


जोगी महल

पदम झील के करीब जयपुर के शाही परिवार द्वारा यह महल राजघरानों द्वारा शिकार पर आने के दौरान निवास स्थान के रूप में रहने के लिए बनाया गया था। बाद में यह पर्यटकों के लिए एक गेस्टहाउस में परिवर्तित कर दिया गया। रणथंभौर में आने वाले पर्यटकों का यह लोकप्रिय स्थान है, जहां से महल के बाहर झील और हरे भरे वातावरण का आनंद लिया जा सकता है। इस महल के करीब एक बड़ा बरगद का पेड़ है, जिसकी गिनती देश के सबसे बड़े बरगद के पेड़ों में की जाती है , इसे आप देख सकते हैं।


लाकरडा और अनंतपुरा

यह इलाका एक घना जंगल है जहां बड़ी तादाद में मधुमक्खियों के छत्ते हैं। इन छत्तों से निकलने वाले मधु को खाने के लिए घूमते हुए सुस्त भालुओं को देखा जा सकता है। इन जंगलों में घूमते हुए आपको कई जानवरों के पैरों के निशान भी दिख जाएंगे। लेकिन ये जंगली जानवर आपको कम ही दिखेंगे।


राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य

यह स्थान जंगल,चंबल नदी और मगरमच्छ सफारी जैसी गतिविधियों के लिए मशहूर है। रणथंभौर में जहां एक ओर बाघ सफारी का आनंद अलग है, वैसे ही इस अभ्यारण्य में मगरमच्छ सफारी सैलानियों को एक अलग एहसास देता है।


अकौला

यह स्थान रणथंभौर में ठंडे वातावरण में रहने वाले जानवरों का निवास स्थान है। अकौला हरे-भरे जंगलों का क्षेत्र है, जहां पानी के कई गड्ढे हैं, और ये तापमान को कम रखने में मदद करते हैं। रणथंभौर घूमने आने वाले पर्यटकों को इस जगह का भी एक अलग आनंद मिल सकता है।


वाइल्ड ड्रैगन एडवेंचर पार्क

यह पार्क मानव निर्मित जंगल है, जिसमें कई रोमांचक राइड जैसे ज़ोरबिंग, हॉरर हाउस, एटीवी आदि का पर्यटक आनंद ले सकते हैं। यह पार्क रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाहर घूमने वाले जगहों में एक रोमांचकारी अनुभव देगा।


राजीव गांधी क्षेत्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय

भारत के पश्चिमी क्षेत्र के भूविज्ञान, पौधों और जानवरों को प्रदर्शित करने वाला प्राकृतिक इतिहास का यह संग्रहालय देश का चौथा क्षेत्रीय संग्रहालय है। लोगों के बीच वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से इस संग्रहालय को बनाया गया है।

इन स्थानों के अलावा जहां एक ओर राज बाग खंडहर पर्यटकों को राजस्थान के राजसीपन का एहसास दिलाने के लिए आकर्षित करता है, वहीं दूसरी ओर दस्तकार रणथंभौर राजस्थानी कला प्रेमियों के लिए एक पसंदीदा जगह है। इस क्षेत्र में राजस्थानी कलाकारों के स्थानीय शिल्पों जैसे टाई-डाई, ब्लॉक-प्रिंटिंग, पैचवर्क आदि को करीब से देख सकते हैं और खरीदारी भी कर सकते हैं।


कैसे पहुंचें ?

हवाई मार्ग से रणथंभौर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है। यहां से रणथंभौर करीब 180 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचकर गाड़ी या ट्रेन से सवाई माधोपुर जा सकते हैं। टैक्सी के माध्यम से भी हवाई अड्डे से सीधा रणथंभौर पहुंचा जा सकता है।

रेलवे मार्ग से आने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर स्टेशन है। यहां से रणथंभौर करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोकल सवारी या टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग से रणथंभौर राजस्थान के जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के रास्ते पहुंचा जा सकता है। यह जगह दिल्ली जैसे शहरों से अच्छी तरह सड़क मार्ग से जुड़ा है। बस, टैक्सी के द्वारा पर्यटक यहां अपनी सुविधानुसार पहुंच सकते हैं।

सर्दियों के मौसम में इस जगह का आनंद लेना एक अलग अनुभव देता है। दोस्तों और परिवार वालों के साथ इस सुखद मौसम में इस जगह का प्लान बनाकर एकबार लुत्फ़ जरूर उठाएं।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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