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Jai Vilas Palace Gwalior: 400 कमरे के पैलेस में रहती थी माधवी राजे सिंधिया

Jai Vilas Palace Gwalior: जय विलास पैलेस जीवाजी राव सिंधिया के पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया को विरासत में मिला। इस महल को प्रिंस जॉर्ज और राजकुमारी मैरी के स्वागत के लिए बनाया गया था।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 19 May 2024 12:15 PM IST (Updated on: 19 May 2024 12:15 PM IST)
Jai Vilas Palace Gwalior
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Jai Vilas Palace Gwalior (Photos - Social Media) 

Jai Vilas Palace Gwalior : ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती कद्दावर नेताओं में की जाती है. साथ ही, उन्हें ग्वालियर के शाही राजघराने के वंशज के रूप में भी जाना जाता है। फिलहाल सिंधिया परिवार राजमाता माधवी राजे सिंधिया के निधन के चलते चर्चा में बना हुआ है। रॉयल फैमिली सिंधिया का महल इतना भव्य और खूबसूरत है कि अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। जिस महल में सिंधिया रहते हैं, वह 12,40,771 वर्गफुट में फैला हुआ है. इस महल का नाम है 'जय विलास पैलेस', जो हिन्दू मराठा वंश महाराजा जयाजी राव सिंधिया का घर है। आइए जानते हैं इस भव्य महल के बारे में कुछ रोचक बातें।

कौन थी? राजमाता माधवी राजे सिंधिया

माधवी राजे कैलाशवासी माधवराव सिंधिया व सास विजयाराजे सिंधिया के बीच सेतू थीं। नेपाल राजघराने से ताल्लुक रखने वाली माधवी राजे सिंधिया के दादा जुद्ध शमशेर जंग बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री रहे हैं. शादी से पहले उनका नाम किरण राजलक्ष्मी देवी था. साल 1966 में उनकी शादी ग्वालियर के महाराजा यानी स्वर्गीय माधवराव सिंधिया से हुई थी. माधवराव से विवाह के उपरांत मराठी परंपरा के अनुसार उनका नाम बदलकर माधवी राजे सिंधिया हो गया था.

कब हुआ निर्माण

सिंधिया राजवंश के शासक जयाजी राव सिंधिया ने सन 1874 जय विलास महल बनवाया था। यूरोपीय वास्तुकला पर आधारित इस महल को फ्रांसीसी आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोस ने डिजाइन किया था। विदेशी कारीगरों की मदद से इस महल को चार सौ कमरों के साथ भव्य बनाया गया था। इस महल की पहली मंजिल टस्कन शैली, दूसरी मंजिल इतालवी-डोरिक शैली और तीसरी कोरिंथियन शैली में बनी है। इतावली संगमरमर और फारसी कालीन से महल की सजावट की गई है। महल के दरबार हॉल के अंदरूनी हिस्से को सोने और गिल्ट बनाया गया है।


इतना बड़ा है महल

1874 में बना जय विलास पैलेस 12 लाख 40 हजार 771 वर्ग फीट में फैला है। इसमें चार सौ कमरे हैं। 146 साल पहले बने इस महल के निर्माण में एक करोड़ रुपए खर्च हुआ था। विदेशी कारीगरों की मदद से जय विलास महल को बनाने में 12 साल का समय लगा था। इस महल में साल 1964 में म्युजियम शुरु हुआ था। चालीस कमरों को विजयाराजे सिंधिया ने म्युजियम में तब्दील कराया था। महल की दूसरी मंजिल पर बना दरबार हाल जयविलास की शान कहा जाता है। दरबार हाल की दीवारों और छत को पूरी तरह सोने-हीरे-जवाहरात से सजाया गया था।


दुनिया का सबसे बड़ा और महंगा झूमर

दरबार हाल की छत पर दुनिया का सबसे बड़ा वजनी झूमर लगाया गया है। साढ़े तीन हजार किलो के झूमर को लटकाने से पहले कारीगरों ने छत की मजबूती को परखा। इसके लिए छत के ऊपर नौ से दस हाथियों को खड़ा किया गया। दस दिन तक छत पर हाथी चहलकदमी करते रहे। जब छत मजबूत होने का भरोसा हो गया तब फ्रांस के कारीगरों ने इस झूमर को छत पर लटकाया।

Jai Vilas Palace Gwalior


हर मंजिल की थीम डिजाइन अलग

महल की एक बड़ी खासियत भी है। जानकारी के मुताबिक, महल की हर एक मंजिल अलग-अलग थीम पर बनाई गई है। एक फ्लोर टस्कन है, दूसरी इटालियन-डोरिक और तीसरी कोरिंथियन और पल्लाडियन डिजाइन से इंस्पायर होकर बनाई गई है। यह भी बताया जाता है कि जब महल बनकर तैयार हो गया था तो छत की मजबूती का टेस्ट लिया गया। इसके लिए छत पर हाथियों को एक साथ घुमाया गया। इतना ही नहीं, महल की खूबसूरती में चार-चांद लगाने के लिए हॉल के इंटीरियर में 560 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही, एक मॉडल ट्रेन रखी गई है, जो चांदी से बनी है। यह ट्रेन डाइनिंग टेबल पर लगी है।


400 कमरों का महल, 35 रूम में बना म्यूजियम

जानकारी के लिए बता दें कि जय विलास पैलेस में 400 कमरे बने हैं। इनमें से 35 कमरों में म्यूजियम खुल गया है, जो सिंधिया राजघराने के इतिहास की जानकारी देता है। बताया जाता है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने जीवाजीराव सिंधिया की याद में यह म्यूजियम बनाया था, जिसका नाम है एचएच महाराजा जियाजीराव सिंधिया संग्रहालय।



अगर महल देखना चाहते हैं तो क्या करें?

बता दें, अगर आप भी इस महल को करीब से देखना चाहते हैं तो टिकट बुकिंग करा सकते हैं। महल मंगलवार से रविवार तक सुबह 10.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक खुला होता है और सोमवार को बंद रहता है। टिकट के दाम पता करने के लिए आप महल की आधिकारिक वेबसाइट विजिट कर सकते हैं।



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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