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Rameshwaram Dham: धर्म व पर्यटन दोनों का लुत्फ़

Rameshwaram Dham: जिस तरह भारत के उत्तर में काशी विश्वनाथ की महिमा है वैसा ही दक्षिण भारत में रामेश्वरम की है। रामेश्वरम हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों तरफ से घिरा शंख के आकार का एक द्वीप है। किसी भी मौसम में जाकर इस धाम के दर्शन कर सकते हैं।

Sarojini Sriharsha
Published on: 23 Jan 2023 7:08 PM IST
Rameshwaram Dham religion and tourism
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Rameshwaram Dham religion and tourism (Social Media)

रामेश्वरम धाम: भारत के दक्षिणी छोर पर तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामेश्वरम हिंदुओं के चार धामों में एक प्रमुख धाम है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से भगवान शिव का यहां भी एक ज्योतिर्लिंग है । जिस तरह भारत के उत्तर में काशी विश्वनाथ की महिमा है वैसा ही दक्षिण भारत में रामेश्वरम की है। रामेश्वरम हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों तरफ से घिरा शंख के आकार का एक द्वीप है। किसी भी मौसम में जाकर इस धाम के दर्शन कर सकते हैं।

ऐसा कहा जाता है की भगवान राम ने सीता की खोज में लंका पहुंचने के लिए यहां एक सेतु का निर्माण कराया था। भगवान राम ने लंका में रावण वध करने के बाद सीता के साथ अयोध्या जाने से पहले महादेव की पूजा की थी। इसी के नाम पर इस जगह का नाम रामेश्वरम पड़ा। इस मंदिर के गर्भगृह में दो शिवलिंग हैं। ऐसी मान्यता है कि रामेश्वरम के इस लिंग की स्थापना रामायण काल में हनुमान जी ने कैलाश से लाकर की थी। वहां गर्भ गृह में एक और शिवलिंग स्थापित है जिस के बारे में मान्यता है कि इसकी स्थापना माता सीता द्वारा की गई है।

ऐसी मान्यता है कि इन शिवलिंगों पर गंगाजल चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है

एक हजार फुट लंबे और 650 फुट चौड़े इस मंदिर में विश्व का सबसे लंबा गलियारा है। रामेश्वरम का मंदिर अपनी बेजोड़ कारीगरी और स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। उसकी कारीगरी यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि उस जमाने में बिना विज्ञान और आधुनिक मशीनों के इतना भव्य निर्माण कैसे किया जा सकता है।रामेश्वरम मंदिर का प्रवेश द्वार 40 फीट ऊंचा है।मंदिर में बारीक कलाकृतियों से बने सैकड़ों विशाल स्तंभ या खंभे हैं।

कब घूमने जाएं

नवम्बर से मार्च तक का मौसम रामेश्वरम घूमने के लिए बेहतर होता है। खास करके गर्मियों के मौसम में अगर हो सके तो वहां का प्लान न बनाए। मानसून में भी आप मंदिर के दर्शन कर सकते हैं । लेकिन उधर आस पास के अन्य दर्शनीय स्थल बारिश में अच्छी तरह नहीं देख पाएंगे। रामेश्वरम मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे फिर दोपहर 3बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। यहां हर पहर की पूजा अलग अलग नाम से होती है। मंदिर में प्रसाद की भी सुविधा है।

दर्शन के लिए

एक तो साधारण दर्शन का तरीक़ा है। जिसमें लंबी कतारें रहती हैं । तो वहीं दूसरी ओर स्पेशल दर्शन की भी व्यवस्था है। जिसके लिए टिकट 100 और 200 रूपए में उपलब्ध है ।स्पेशल दर्शन थोड़ी जल्दी भी हो जाता है।

मंदिर परिसर के अंदर 22 जल कुंड हैं। ऐसा माना जाता है की इन सभी का निर्माण भगवान श्रीराम ने अपने वाणों से करके तीर्थ स्थल के जल छोड़े थे। मंदिर परिसर में जाने से पहले समुद्र में स्नान करना पड़ता है। इस जगह समुद्र की लहरे नहीं उठती जल शांत रहता है। लोगों का मानना है कि लंका से रावण वध कर आने के बाद यहां श्रीराम ने स्नान किया था। सबसे पहले अग्नि तीर्थ से स्नान प्रारंभ किया जाता है। ऐसा मानना है कि बिना इस कुंड में नहाए आपका यह तीर्थ पूरा नहीं कहलाएगा। इस कुंड में स्नान करने के लिए टिकट लेना पड़ता है जिसकी कीमत 25 रुपए, 100 रुपए और 250रुपए है। इन सभी कुंड के जल आपके ऊपर छिड़के जाते हैं फिर आप मंदिर में लिंग के दर्शन करने जा सकते हैं। अगर आप चाहें तो अपने साथ लाए गंगा जल को ले जा सकते हैं।

रामेश्वरम मंदिर के दर्शन के बाद आप वहां अन्य दार्शनिक स्थल का भी भ्रमण कर सकते हैं जैसे:

1. पंचमुखी हनुमान मंदिर:

यहां आप पांच मुख वाले हनुमान जी की प्रतिमा के दर्शन कर सकते हैं। वैसे भारत के अन्य शहरों में भी पंचमुखी हनुमान मंदिर मिल जायेंगे लेकिन रामेश्वरम में इसकी खास महत्ता है।

2. साक्षी हनुमान मंदिर:

यह मंदिर रामेश्वरम धाम से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां से आप खास व्यू प्वाइंट देख सकते हैं।

3. अब्दुल कलाम स्मारक:

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से संबंधित चीजों को आप यहां म्यूज़ियम में देख सकते हैं । यही जगह अब्दुल कलाम की समाधि स्थली है।

4. धनुष्कोड़ी रामसेतु:

ऐसा कहा जाता है कि धनुष्कोड़ी वही स्थान है जहां पर वानर सेना ने भगवान राम के आदेश से लंका जाने के लिए पत्थरों में राम लिखकर समंदर में सेतु का निर्माण किया था।

5. राम झरोखा:

इस जगह से श्रीलंका की सीमा देखी जा सकती है। एक छत पर खड़े होकर समुद्र और आस पास का नजारे का आनंद लिया जा सकता है।

कैसे पहुंचें

रामेश्वरम देश के किसी भी कोने से पहुंचने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग का सहारा ले सकते हैं। वैसे रामेश्वरम आप कन्याकुमारी और मदुरै से रेल मार्ग और सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा मदुरई है। चेन्नई से भी आप रेल या सड़क मार्ग से यहां आ सकते हैं।

अगर आप मदुरई से रामेश्वरम तक का सफर ट्रेन से तय करते हैं तो आप भारत के सबसे लंबे समुद्री पुल पंबन ब्रिज का नजारा देखने के साथ इसका आनंद उठा सकते हैं।

रामेश्वरम में ठहरने के लिए कई होटल और धर्मशाला की व्यवस्था है जिसे आप ऑनलाइन या पहुँच कर भी बुक कर सकते हैं।

इस तरह आप एक धाम के साथ ऐतिहासिक स्थल का भ्रमण करने का आनंद ले सकते हैं।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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