×

Rameshwaram Ka Itihas: रामसेतु से पंबन ब्रिज तक क्या कहता है रामेश्वरम का गौरवशाली इतिहास आइये जानते है!

Rameshwaram Ka Itihas: प्रधानमंत्री मोदी की रामेश्वरम यात्रा न केवल आस्था और विकास का संगम रही, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार धार्मिक स्थलों के संरक्षण के साथ-साथ आधुनिक भारत के निर्माण में भी समान रूप से समर्पित है।

Shivani Jawanjal
Published on: 7 April 2025 12:27 PM IST
Rameshwaram History and Mystery
X

Rameshwaram History and Mystery

Rameshwaram History and Mystery: भारत एक ऐसा देश है जहां आस्था,इतिहास और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसी पावन धरा पर स्थित है रामेश्वरम , एक ऐसा तीर्थ, जहां अध्यात्म, पुराण और राष्ट्र की चेतना एक साथ सांस लेते हैं। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की रामेश्वरम यात्रा देश के आध्यात्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ दिया है। इस लेख में हम रामेश्वरम के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अब तक की 2025 की प्रमुख यात्राओं पर भी प्रकाश डालेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन (Inauguration Of Pamban Bridge)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने हाल ही में तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया, जो भारत के बुनियादी ढांचे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह नया ब्रिज अत्याधुनिक वर्टिकल लिफ्ट तकनीक पर आधारित है, जो अपने आप में एक इंजीनियरिंग चमत्कार है। इस तकनीक के माध्यम से पुल का मध्य भाग ऊपर उठाया जा सकता है ताकि जहाज और नौकाएं उसके नीचे से आसानी से गुजर सकें।

नए पंबन ब्रिज की खासियतें (Speciality Of New Pamban Bridge)

नया पंबन ब्रिज(Pamban Bridge) मंडपम और पंबन द्वीप को जोड़ता है, जिससे रामेश्वरम(Rameshwaram) और उसके आसपास के क्षेत्रों तक यात्री और माल परिवहन अधिक सुविधाजनक और तेज़ हो गया है। इस ब्रिज की लंबाई लगभग 2.07 से 2.08 किलोमीटर है, और यह तकनीकी दृष्टि से भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्र पुल है। इसका 72.5 मीटर लंबा नाविकीय स्पैन 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है, जिससे समुद्री मार्ग से गुजरने वाले बड़े जहाज आसानी से निकल सकते हैं। इस पुल को उच्च गुणवत्ता वाले स्टील और प्रबलित कंक्रीट से तैयार किया गया है, जिससे यह तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यंत टिकाऊ बनता है। इसे अगले 100 वर्षों तक सुरक्षित रूप से उपयोग में लाया जा सकेगा। पुराने पंबन ब्रिज का निर्माण 1914 में हुआ था और वह भारतीय इंजीनियरिंग का एक ऐतिहासिक नमूना था। हालांकि, पुराने पुल को खोलने में 45 मिनट से 1 घंटे तक का समय लगता था, जबकि नया पंबन ब्रिज मात्र 5 मिनट में खुल सकता है, जिससे समय की बचत और संचालन में सुविधा होती है।

8,300 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास

रामेश्वरम यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तामिलनाडु राज्य(Tamil-Nadu State) के लिए 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है। इन परियोजनाओं में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार, सड़कों और पुलों का निर्माण, और स्थानीय पर्यटन व धार्मिक स्थलों के विकास से संबंधित कार्य शामिल हैं।

प्रधानमंत्री के दौरा का महत्त्व (Importance Of Prime Minister’s Visit)

हाल ही में जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी(Honourable Prime Minister Narendra Modi) रामेश्वरम दौरे पर पहुँचे, तो इस ऐतिहासिक यात्रा का मुख्य उद्देश्य था, नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन करना। यह पुल रामेश्वरम को मुख्यभूमि से जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण आधारभूत ढांचा है, जो न केवल तीर्थयात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि दक्षिण भारत की सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमता को भी मजबूती प्रदान करेगा।

लेकिन यह दौरा केवल एक विकास परियोजना तक सीमित नहीं रहा। प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस अवसर का उपयोग रामेश्वरम की धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को नमन करने के लिए भी किया। उन्होंने रामेश्वरम के प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की, जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भगवान शिव के इस मंदिर में भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग की पूजा होती है, और यह स्थल रामायण काल के अनेक प्रसंगों का साक्षी रहा है।

प्रधानमंत्री ने केवल मंदिर ही नहीं, बल्कि रामसेतु क्षेत्र, धनुषकोडी, कोडंडरामस्वामी मंदिर जैसे अन्य प्रमुख स्थलों के भी दर्शन किए। ये सभी स्थान भगवान श्रीराम की लंका यात्रा, सेतु निर्माण, और विभीषण का राज्याभिषेक जैसी घटनाओं से जुड़े हुए हैं, और भारतीय संस्कृति में गहरे आदर का स्थान रखते हैं।

इस दौरे ने न केवल विकास और आधुनिकीकरण के संकेत दिए, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारत की आध्यात्मिक जड़ें आज भी हमारी नीति, नेतृत्व और राष्ट्रभावना में जीवित हैं। रामेश्वरम का यह गौरवशाली इतिहास केवल पौराणिक आख्यान नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक अस्मिता और आस्था का प्रतीक है।

रामेश्वरम का भौगोलिक महत्व(Geographical Importance Of Rameshwaram)

रामेश्वरम, भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित है। यह पंबन द्वीप पर बसा हुआ है, जो भारतीय मुख्यभूमि से पंबन पुल द्वारा जुड़ा है। रामेश्वरम के ठीक सामने समुद्र के उस पार श्रीलंका स्थित है, जिसे लंका कहा जाता है।

रामायण से जुड़ा तीर्थ रामेश्वरम (Rameswaram & Ramayana)

रामेश्वरम(Rameshwaram) तमिलनाडु(Tamil Nadu) राज्य में स्थित एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है, जिसे हिन्दू धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक माना जाता है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धाम बद्रीनाथ (उत्तर), द्वारका (पश्चिम), पुरी (पूर्व) और रामेश्वरम (दक्षिण) में रामेश्वरम का स्थान दक्षिण दिशा में है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका गहरा संबंध रामायण महाकाव्य से भी जुड़ा हुआ है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध से पूर्व लंका जाने के लिए यहीं से रामसेतु का निर्माण किया था। समुद्र से मार्ग की याचना और सेतुबंध की शुरुआत की घटनाएँ रामेश्वरम में ही घटित हुई थीं। श्रीराम ने यहीं शिवलिंग की स्थापना की, जिसे आज रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक भी है।

ऐसा विश्वास है कि रामेश्वरम में स्थित इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु हर वर्ष यहाँ आकर पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक, पौराणिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध यह स्थल भारत के सबसे प्रमुख तीर्थों में गिना जाता है। रामेश्वरम न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि यह श्रद्धा, भक्ति और मुक्ति का संगम स्थल भी है।

रामेश्वरम का ऐतिहासिक महत्व(Historical Significance Of Rameshwaram)

रामसेतु का निर्माण (सेतुबंध) - रामायण के अनुसार, जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका ले गया, तब भगवान श्रीराम ने उन्हें वापस लाने के लिए वानर सेना के साथ समुद्र तट (रामेश्वरम) पर पहुँचकर लंका जाने का मार्ग खोजा। उन्होंने समुद्र देव से मार्ग देने की प्रार्थना की, लेकिन जब कोई उत्तर नहीं मिला, तो श्रीराम ने क्रोधित होकर बाण चलाने का निर्णय लिया।

समुद्र देव ने तब प्रकट होकर मार्ग की याचना स्वीकार की और श्रीराम को नल और नील के माध्यम से सेतु (रामसेतु) बनाने का उपाय बताया। वानरों ने पत्थरों से एक विशाल पुल का निर्माण किया, जो रामेश्वरम से लंका तक फैला था। आज भी रामसेतु (Adam's Bridge) का अस्तित्व वैज्ञानिक और धार्मिक शोध का विषय है।

शिवलिंग की स्थापना (रामनाथस्वामी मंदिर) - लंका पर विजय के पश्चात, श्रीराम ने ब्रह्महत्या दोष (रावण, जो एक ब्राह्मण था, को मारने) से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा की। उन्होंने श्रीरामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की और उपासना की। इस शिवलिंग को आज रामनाथस्वामी (Ramanathaswami) कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने गए थे, लेकिन विलंब होने पर माता सीता ने रेत से शिवलिंग बनाकर उसकी स्थापना कर दी।

आज रामनाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारत के सबसे भव्य और पवित्र मंदिरों में से एक है, जिसमें यह दोनों शिवलिंग विराजमान हैं ,इन दोनों शिवलिंगों में "रामलिंगम" (सीता द्वारा निर्मित) और "विश्वलिंगम" (हनुमान द्वारा लाया गया) शामिल हैं।

रामेश्वरम का सांस्कृतिक महत्व(Cultural Significance Of Rameshwaram)

रामेश्वरम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय चेतना का भी प्रतीक है। भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, भारत के पूर्व राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन ऑफ इंडिया', का जन्म यहीं हुआ था। उनका जीवन, उनका त्याग, और देशभक्ति आज भी युवाओं को प्रेरित करता है। उनकी स्मृति में बना डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल आज देशवासियों के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का केंद्र है।

रामनाथस्वामी मंदिर-स्थापत्य और विशेषताएँ(Architecture and Features Of Ramnath swamy)

रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम का प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो अपने भव्य स्थापत्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित है, जिसकी पहचान उसके ऊँचे और विस्तृत गोपुरम (प्रवेश द्वार) से होती है। मंदिर का मुख्य गोपुरम अत्यंत भव्य और कलात्मक नक्काशी से सुसज्जित है, जो दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मंदिर की एक प्रमुख विशेषता इसका प्रसिद्ध गलियारा (Corridor) है, जो दुनिया के सबसे लंबे मंदिर गलियारों में से एक माना जाता है। यह गलियारा लगभग 1,200 खंभों से सुसज्जित है, जिनकी नक्काशी बेहद बारीक और प्रभावशाली है। मंदिर परिसर में कुल 22 तीर्थ कुंड (जलकुंड) स्थित हैं, जहाँ श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इन कुंडों में स्नान करने से सारे पापों का नाश होता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है। स्थापत्य, संस्कृति और आस्था का संगम यह मंदिर न केवल दक्षिण भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष में इसकी विशेष मान्यता है।

रामेश्वरम के अन्य दर्शनीय स्थल(Other Places In Rameshwaram)

धनुषकोडी: रामसेतु के छोर पर स्थित एक वीरान नगर, जहाँ से श्रीराम की सेना ने लंका की ओर कूच किया था।

राम तीर्थम: जहाँ भगवान राम ने तीर चलाकर जल स्रोत बनाया था।

गंधमादन पर्वत: जहाँ से हनुमान जी ने लंका के लिए उड़ान भरी थी।

कोडंडरामस्वामी मंदिर: जहां श्रीराम ने विभीषण को लंका का राजा नियुक्त किया था।

पर्यटन की दृष्टि से रामेश्वरम (Tourism Importance OF Rameshwaram)

रामेश्वरम, तमिलनाडु के दक्षिणी छोर पर स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थल और पर्यटन केंद्र है, जो धार्मिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यह हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है और यहां स्थित रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। रामायण काल से जुड़ी पौराणिक घटनाओं, जैसे रामसेतु निर्माण और धनुषकोडी की कथा, इस स्थान को ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। समुद्र से घिरे इस द्वीप की प्राकृतिक सुंदरता, शांत समुद्रतट और रहस्यमयी स्थल जैसे धनुषकोडी पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करते हैं। इसके साथ ही, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक व्यंजन और हस्तशिल्प भी रामेश्वरम को एक विविधतापूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह स्थल आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ रोमांच और सौंदर्य का अद्भुत संगम है।

तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत और विदेश में प्रमुख यात्राएँ – Other Important Visits Of PM Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद, देश और विदेश दोनों स्तरों पर कई महत्वपूर्ण यात्राएँ कीं। इन यात्राओं का उद्देश्य भारत के विकास, संस्कृति, कूटनीति और वैश्विक नेतृत्व को मजबूती प्रदान करना रहा।

पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के स्मारक का उद्घाटन: 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने रामेश्वरम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के स्मारक का उद्घाटन किया था, जो उनके योगदान और विरासत को सम्मानित करता है।

इटली (जून 2024, G7 सम्मेलन) - प्रधानमंत्री मोदी ने तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा इटली में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेकर की।

रूस (जुलाई 2024) - राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर रूस यात्रा की। यहाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया और दोनों देशों के व्यापारिक, रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग पर जोर दिया।

यूक्रेन (अगस्त 2024) - रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच शांति संदेश लेकर यूक्रेन पहुँचे और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से मुलाकात की। यह यात्रा भारत की शांति-स्थापना में सक्रिय भूमिका को दर्शाती है।

फ्रांस (फरवरी 2025) - प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ एआय ऑक्शन समिट (AI Action Summit) की सह-अध्यक्षता की और तकनीक, रक्षा और शिक्षा क्षेत्र में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

प्रयागराज (जनवरी 2025, महाकुंभ पर्व) - महाकुंभ पर्व के दौरान प्रधानमंत्री मोदी प्रयागराज पहुँचे और संगम स्नान कर विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले में भाग लिया। उन्होंने देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कुंभ से जुड़े बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं का भी निरीक्षण किया।

श्रीलंका (अप्रैल 2025) - श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसानायके से मुलाकात कर रक्षा, व्यापार और समुद्री सहयोग को लेकर समझौते किए। रामायण सर्किट को विकसित करने की दिशा में भी चर्चा हुई।

काशी (वाराणसी ) - प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम में पूजा की और गंगा आरती में भाग लिया। साथ ही, विकास योजनाओं की समीक्षा भी की।

नागपुर, महाराष्ट्र - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2025 को नागपुर का दौरा किया, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लिया और विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। यह दौरा कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं से भरपूर था।

Admin 2

Admin 2

Next Story