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Rampur Palace Kitchen History: इस नवाब की रसोई में 100 खानसामा करते थे काम, हर महीने खाने पर खर्च होते थे करोड़ो रुपए
Rampur Palace Kitchen History: राजा महाराजाओं की महल कितने बड़े होते हैं यह तो हम सभी जानते हैं। सिर्फ महल ही नहीं इनके रसोई घर भी काफी बड़े हुआ करते थे और यहां ढेर सारा स्टाफ काम करताथा।
Rampur Palace Kitchen History: आजादी के पहले राजा महाराजाओं और नवाबों का खानपान बिल्कुल शाही हुआ करता था। इस बारे में काफी जानकारी मिलती है क्योंकि कहानी किताबों में इसके बारे में बताया गया है। नवाबों की किचन बहुत लाजवाब और लंबे चौड़े हुआ करते थे। इतना ही नहीं उनका स्टाफ काफी बड़ा होता था और खान-पान भी खास तरह का परोसा जाता था। भारत में कहीं ऐसे व्यंजन है जो राजशाही किचन से बाहर निकले हैं। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन राजा महाराजा और नवाब अपने खाने पर इतना ज्यादा पैसा उड़ाते थे कि आज का कोई धनी व्यक्ति भी ऐसा नहीं कर सकता। आज हम आपको एक ऐसे ही नवाब के बारे में बताते हैं।
कहां है रामपुर (Where is Rampur)
रामपुर को नवाबों का शहर कहते हैं।मुरादाबाद एवं बरेली के बीच में पड़ता है। रामपुर नगर उपर्युक्त ज़िले का प्रशासनिक केंद्र है तथा कोसी के बाएँ किनारे पर स्थित है। रामपुर नगर में उत्तरी रेलवे का स्टेशन भी है। रामपुर का चाकू उद्योग प्रसिद्ध है। चीनी, वस्त्र तथा चीनी मिट्टी के बरतन के उद्योग भी नगर में हैं। रामपुर नगर में अरबी भाषा का एक महाविद्यालय है। रामपुर क़िला, रामपुर रज़ा पुस्तकालय और कोठी ख़ास बाग़ रामपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। रामपुर जगह का कुल क्षेत्रफल 2367 वर्ग किलोमीटर है। रामपुर शहर की स्थापना नवाब फैजुल्लाह खान ने की थी। उन्होंने 1774-1794 तक यहाँ शासन किया। रामपुर इस्लामी दर्शन का महत्वपुर्ण केन्द्र है| 1986 में रवि प्रकाश ने "रामपुर के रत्न "पुस्तक लिखी जिसमें स्वतंत्रता संग्राम ,साहित्य और समाज से जुड़ी हुई 14 महान विभूतियों का इंटरव्यू लेकर उनका जीवन परिचय लिखा गया है।
ये थे रामपुर के शाही नवाब
हम जिस नवाब की बात कर रहे हैं, वह रामपुर के शाही नवाब कहा जाता है कि जितना बड़ा किचन स्टाफ और कुकिंग के यहां होते थे। वैसी रौनक बहुत कम राजा महाराजाओं की शाही रसोई में देखने को मिलती थी। रामपुर के नवाबों ने अपने महल में बड़ी संख्या में रसोई कर्मचारियों को नियुक्त किया था जो समय के साथ काम होते चले गए।
कब कितने कर्मचारी
नवाब सैयद अहमद अली खान के शासनकाल के दौरान जो 1894 से 1930 तक रहा महल की रसोई में लगभग 100 रसोइए हुआ करते थे। नवाब सैयद रजा अली खान जिनका शासन 1930 से 1949 तक रहा। उनके किचन में 30 शेफ है और कई सहायक शेफ रहते थे।1971 में पृथ्वी पर उसकी समाप्ति और संपत्तियों पर अदालत में मामलों के बाद नडियाद की कमी से जूझ रहे शाही परिवार में बहुत कम रसोई कर्मचारियों को रखा और वह मुश्किल से विशाल महल का रखरखाव करता है।
कितनी थी रसोई
यहां पर तीन तरह की रसोई घर थे जिसे अंग्रेजी भारतीय और मिठाई अलग-अलग बना करतीथी। यह खास बात पैलेस में बने हुए थे। हर किचन का एक हेड शॉप होता था और उसकी मदद के लिए कई सारे सहायक ट्रेनिंग और हेल्पर होते थे।
चलता था ड्रेस कोड
जितने भी खानसामा और रसोई कर्मचारी थे वह सभी पुरुष थे। यह सभी हमेशा सफेद कुर्ता पजामा बंद गला कोट पहनते थे। हालांकि पोजीशन के हिसाब से पोषक बादल भी जाती थी।
ये थे आखिरी खानसामा
इस रसोई घर में जो शहीद खानसामा आखिरी में बच्चे वह माजिद भाई थे जो 1966 में अपने पिता के साथ ट्रेनिंग के तौर पर शामिल हुए थे।