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पवित्र लकड़ी से बनाए जाते हैं जगन्नाथ यात्रा के रथ, यात्रा के बाद ऐसे होता है उपयोग
Raths After Jagannath Rath Yatra : आज देश भर में जगन्नाथ रथ यात्रा की धूम देखने को मिल रही है। रथ यात्रा जिन रथों पर निकल जाती है वह काफी खास होते हैं। चलिए आपको इनके बारे में जानकारी देते हैं।
Raths After Jagannath Rath Yatra : आज से देशभर में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। प्रतिवर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने के पीछे ये मान्यता चली आ रही है कि कुछ दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र बीमार पड़ जाते हैं, जिस कारण वह 15 दिनों तक शयन कक्ष में विश्राम करते हैं। इसके बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन वह स्वस्थ होकर अपने विश्राम कक्ष से बाहर आते हैं। जिसकी खुशी में रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा को तीन अलग-अलग रथों में विराजमान कर यात्रा निकाली जाती है। चलिए आज हम आपको इन रथों के संबंध में जानकारी देते हैं।
रथों के नाम (Names of Raths)
बलराम जी के रथ का नाम 'तालध्वज' है जो लाल और हरे रंग का होता है। वहीं सुभद्रा जी के रथ को 'दर्पदलन' अथवा ‘पद्म रथ’ के नाम से जाना जाता है। इस रथ की पहचान काला या नीले रंग होता है, साथ ही इसमें लाल रंग भी होता है। वहीं, भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष अथवा गरुड़ध्वज कहा जाता है, इनके रथ का रंग लाल और पीला होता है।
कितनी होती है रथों की ऊंचाई (What is The Height of The Raths)
इसके साथ ही रथों की ऊचाई का भी विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। हर साल बनने वाले ये रथ एक समान ऊंचाई के ही बनाए जाते हैं। इसमें भगवान जगन्नाथ के रथ की 45.6 फीट होती है, बलराम जी का रथ 45 फीट ऊंचा होता है और देवी सुभद्रा का रथ 44.6 फीट ऊंचा बनाया जाता है।
कैसे होता है रथ का निर्माण (How is a Rath Made?)
रथों का निर्माण नीम की पवित्र अखंडित लकड़ी से होता है, जिसे दारु कहते हैं। रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील, कांटों और धातु का उपयोग नहीं करते हैं। रथों के निर्माण के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी पर होता है और निर्माण कार्य अक्षया तृतीया पर प्रारंभ होता है। जब तीनों रथ तैयार हो जाते हैं, तब 'छर पहनरा' नामक अनुष्ठान संपन्न किया जाता है। इसके तहत पुरी के गजपति राजा पालकी में यहां आते हैं और इन तीनों रथों की विधिवत पूजा करते हैं और ‘सोने की झाड़ू’ से रथ मण्डप और रास्ते को साफ करते हैं।
यात्रा के बाद रथ का क्या होता है (What Happens To The Rath After The Journey)
जगन्नाथ रथ यात्रा के बाद रथ के हिस्से को अलग कर दिया जाता है। इसकी बड़ी नीलामी होती है। रात का पहिया सबसे कीमती हिस्सा होता है जिसकी शुरुआती कीमत ₹50000 होती है। रात के हिस्सों को खरीदने के लिए पहले आवेदन करना होता है। जो भी इन्हें खरीद रहा है वह इनका इस्तेमाल गलत तरीके से नहीं कर सकता। खरीदने वाले को इन्हें हमेशा संभाल कर रखना होता है। इसके अलावा रात की जो भी लड़कियां बजती है उसे मंदिर की रसोई में भेज दिया जाता है। इन लड़कियों का इस्तेमाल देवताओं के लिए प्रसाद पकाने के दौरान किया जाता है। 1 लाख भक्त रोजाना प्रसाद ग्रहण करते हैं। जगन्नाथ भगवान की रसोई बहुत ही बड़ी है यहां पर भगवान के भोग के लिए रोजाना 56 तरह के पकवान तैयार होते हैं। यहां खाना आज भी मिट्टी के बर्तनों में बनता है।