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UP Tourism: पर्यटकों को आकर्षित करती है संतकबीरनगर की ये मजार-समाधि, जरूर जाएं एक बार

कबीर अनुयाइयों के अलावा पूरे विश्व से मगहर आकर कबीर के जीवन से जुडी बातों और रहस्यों की जानकारी लेने के लिए आने वाले पर्यटकों में इस स्थल को देखने की खासा उत्साह रहती है ।

Amit Pandey
Report Amit PandeyPublished By Shashi kant gautam
Published on: 24 Jun 2021 8:23 AM GMT (Updated on: 26 Jun 2021 9:22 AM GMT)
UP Tourism: पर्यटकों को आकर्षित करती है संतकबीरनगर की ये मजार-समाधि, जरूर जाएं एक बार
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Santkabir Nagar News: पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाने वाले संत कबीर दास की परिनिर्वाण स्थली मगहर में एक साथ स्थित उनकी समाधि और मजार आज भी हिन्दू मुस्लिम एकता की पहचान बनी हुई है । संत कबीर जी के नाम पर बने संतकबीरनगर जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर पूर्व दिशा में बसा मगहर कस्बा आज किसी परिचय का मोहताज नहीं क्योंकि इस छोटे कसबे से पूरे विश्व को अमन शांति चैन और भाई चारगी का संदेश कबीर के नाम पर जाता है ।

सूफी संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर में एक साथ स्थित उनकी मजार और समाधि स्थल कौमी एकता की एक मिशाल आज भी बने हुए है । आज जहां धर्म के नाम पर जगह जगह हिंसा की खबर अक्सर सुनने को मिलती है वहीं यूपी के संतकबीरनगर जिले के मगहर में स्थित कबीर निर्वाण स्थली में एक साथ स्थापित कबीर दास की समाधि और मजार स्थल पूरे विश्व को कौमी एकता का संदेश देता नजर आता है ।

पूरे विश्व के पर्यटकों का मगहर में लगता है मेला

कबीर अनुयाइयों के अलावा पूरे विश्व से मगहर आकर कबीर के जीवन से जुडी बातों और रहस्यों की जानकारी लेने के लिए आने वाले पर्यटकों में इस स्थल को देखने की खासा उत्साह रहती है । कबीर पन्थियों और उनके अनुयायियों के साथ कबीर मठ के पुजारी और मुव्तील के मुताबिक वर्ष 1398 में वनारस के लहरतारा ताल में एक जुलाहे दम्पती को मिले कबीर दास इस मिथक को तोड़ने के लिए मगहर आये थे जिसमें ये मान्यता थी कि काशी में मरने वालों को स्वर्ग और मगहर में मरने वालों को नरक मिलती है ।

पूरे विश्व के पर्यटकों का मगहर में लगता है मेला: फोटो- सोशल मीडिया

कबीर के अनुयायियों के मुताबिक उन्होंने इस मिथक को तोड़ने के लिए वनारस से संतकबीरनगर के मगहर कस्बे में आये और यहीं से लोगो को कौमी एकता का संदेश दिए जिले के कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर में उनके समाधि स्थल से सटे मजार के मुत्वविल अज़हर अंसारी के मुताबिक जब कबीर जी ने अपने प्राण का त्याग किया तब उनके शव के अंतिम संस्कार को लेकर हिन्दू और मुस्लिमो के बीच तकरार हो गया था जिसके बाद हुई आकाशवाणी के अनुसार संत कबीर जी का पार्थिव शरीर अचानक दो फूलों में तब्दील हो गया था।



असीम शांति की अनुभूति होती है: फोटो- सोशल मीडिया

जिसके बाद एक फूल लेकर हिन्दू समाज ने उनकी समाधि स्थली बनाई तो मुस्लिम समाज ने मज़ार का निर्माण कराया जहाँ आज पूरे विश्व के पर्यटकों के साथ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व राज्यपाल उत्तर प्रदेश मोती लाल बोरा, सहित पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी सीएम योगी उनको माथा टेकने आ चुके है । विश्व को मानवता का संदेश देने वाले महात्मा संत कबीर के अनुयायियों के मुताबिक इस पवित्र धाम में आने के बाद उन्हें पुण्य कार्यो को करने की सीख मिलने के साथ एक असीम शांति की अनुभूति होती है जिसके बाद लोग सच्चे कार्यो को करने के लिए प्रेरित होते है ।

Shashi kant gautam

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