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Shakti Peeth Temples in UP: उत्तर प्रदेश के पांच मशहूर शक्ति पीठ

Shakti Peeth Temples in UP: माता सती के 51 शक्तिपीठों में से 5 शक्तिपीठ भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित हैं, जिस-जिस जगह देवी सती के शरीर के टुकड़े और वस्त्र गिरे थे, उन जगहों को शक्तिपीठ कहा गया है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 9 April 2024 3:40 PM IST
Shakti Peeth Temples in UP
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Shakti Peeth Temples in UP 

Shakti Peeth Temples in UP: देवी पुराण के अनुसार इस दुनियां में 51 शक्तिपीठ हैं। जिसमें अधिकतर भारत में हैं और कुछ विदेश में भी स्थापित हैं। इन 51 शक्ति पीठों में से भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 तथा नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं। माता सती के 51 शक्तिपीठों में से 5 शक्तिपीठ भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित हैं पुराणों में बताया गया है कि जिस-जिस जगह देवी सती के शरीर के टुकड़े और वस्त्र गिरे थे, उन जगहों को शक्तिपीठ कहा गया है। आज हम उत्तर प्रदेश के उन पवित्र शक्ति पीठों की जानकारी देंगे।

1. श्रीउमा शक्तिपीठ, वृंदावन

माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ श्री उमा शक्ति पीठ वृंदावन में भूतेश्वर महादेव मंदिर के पास है। इस शक्ति पीठ के पास देवी के केशों का गुच्छ और चूड़ामणि गिरा था। इस मंदिर को कात्यायनी शक्तिपीठ भी कहते हैं। इस शक्तिपीठ में माता सती उमा हैं और भैरव भूतेश के रूप में विराजमान हैं। यहां के लोगों की मान्यता है कि राधारानी ने भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए इस मंदिर में पूजा की थी। श्रद्धालुओं का यहां साल भर तांता लगा रहता है।


कैसे पहुंचें ?

यहां पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा आगरा का (एजीआर) हवाई अड्डा है जो 47.8 किमी दूर है। इसके अलावा नजदीकी हवाई अड्डों में दिल्ली 130.4 किमी, ग्वालियर 145.4 किमी और जयपुर 199.3 किमी भी अच्छा विकल्प है। यहां पहुंच कर बस या टैक्सी के माध्यम से वृंदावन पहुंच सकते हैं।यहां का निकटतम रेलवे स्टेशनल मथुरा जंक्शन है जो देश के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है।

2. रामगिरि शिवानी शक्तिपीठ, चित्रकूट

चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता सती का दाहिना स्तन गिरा था। कुछ लोग माता को यहां शिवानी और भैरव को चंड रूप में पूजते हैं। यह मंदिर चित्रकूट के रामगिरि पर्वत पर स्थित है। नवरात्रि में खास पूजा के अवसर पर श्रद्धालुओं की यहां भारी भीड़ देखी जाती है।ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण ने अपने वनवास के चौदह वर्षों में से साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट के इन्हीं जंगलों में बिताए थे। अत्रि, सती अनुसूया, दत्तात्रेय, महर्षि मार्कंडेय, सरभंगा, सुतीक्ष्ण जैसे कई ऋषि-मुनियों ने चित्रकूट में रहकर ध्यान किया है। ऐसी भी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर ने भी यहीं अवतार लिया था। इन्हीं कारणों से चित्रकूट की धरती को बहुत पावन माना गया है।


कैसे पहुंचें ?

हवाई मार्ग से चित्रकूट पहुंचने के लिए यहां स्थित देवांगना एयरपोर्ट है। यह शहर से 12 किमी दूर है। इसके अलावा इलाहाबाद, लखनऊ और खजुराहो हवाई अड्डा भी निकटतम एयरपोर्ट है। यहां पहुंच कर टैक्सी या बस से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।रेल मार्ग से पहुंचने के लिए उत्तरप्रदेश के झांसी- मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास हैं। इसके अतिरिक्त चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूरी पर करवी भी निकटतम रेलवे स्टेशन है। उत्तरप्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से यहां ट्रेनें आती हैं। इसके अलावा चित्रकूट से 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित शिवरामपुर रेलवे स्टेशन है।सड़क मार्ग से भी चित्रकूट देश के प्रमुख शहरों से पहुंचा जा सकता है।

3. विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी

चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता सती का दाहिना स्तन गिरा था। कुछ लोग माता को यहां शिवानी और भैरव को चंड रूप में पूजते हैं। यह मंदिर चित्रकूट के रामगिरि पर्वत पर स्थित है। नवरात्रि में खास पूजा के अवसर पर श्रद्धालुओं की यहां भारी भीड़ देखी जाती है।ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण ने अपने वनवास के चौदह वर्षों में से साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट के इन्हीं जंगलों में बिताए थे। अत्रि, सती अनुसूया, दत्तात्रेय, महर्षि मार्कंडेय, सरभंगा, सुतीक्ष्ण जैसे कई ऋषि-मुनियों ने चित्रकूट में रहकर ध्यान किया है। ऐसी भी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर ने भी यहीं अवतार लिया था। इन्हीं कारणों से चित्रकूट की धरती को बहुत पावन माना गया है।


4. पंचसागर शक्तिपीठ, वाराणसी

वाराणसी में विशालाक्षी शक्तिपीठ के अलावा मां वाराही पंच सागर शक्तिपीठ भी है। वैसे इस शक्तिपीठ की कोई निश्चित जगह ज्ञात नहीं है। मान्यता है कि यहां पर सती माता के नीचे के दातं गिरे थे और इस जगह को वाराही के रूप में जाना जाता है। यहां की शक्ति माता वाराही तथा भैरव महारुद्र के रूप में पूजे जाते हैं।


कैसे पहुंचें ?

वाराणसी पहुंचने के लिए यहां का लाल बहादुर शास्त्री अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा देश के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां पहुंच कर टैक्सी या स्थानीय वाहन से मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।रेलवे मार्ग से भी वाराणसी के लिए सभी शहरों से ट्रेन सुविधा उपलब्ध है।

5. प्रयाग शक्तिपीठ, प्रयागराज

उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज जिला जिसे इलाहाबाद के नाम से भी जाना जाता है के संगम तट पर यह शक्तिपीठ स्थित है। माना जाता है की यहां पर माता सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। लोगों का मानना है कि संगम में स्नान के पश्चात इस महाशक्तिपीठ में माता के दर्शन से भक्‍तों की मनोकामना पूरी होती है। प्रयागराज में तीन मंदिर- ललितादेवी , कल्याणीदेवी और अलोपीदेवी मंदिर को शक्ति पीठ के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर 108 फीट उंचा एक गुंबदनुमा मंदिर के रूप में बना हुआ है। राज राजेश्वरी, शिवप्रिया, त्रिपुर सुंदरी और ललिता देवी का पूजन भैरव के साथ होता है।


कैसे पहुंचें ?

हवाई मार्ग से इलाहाबाद पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा बमरौली एयर फोर्स बेस के रूप में भी जाना जाता है। यह प्रयागराज से 12 किमी की दूरी पर है । इसके अलावा प्रयागराज से निकटतम अन्य दो हवाई अड्डे हैं , करीब 150 किमी दूर वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा और 200 किमी दूर लखनऊ का अमौसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा। ये दोनों हवाई अड्डे भारत के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। यहां पहुंच कर सड़क मार्ग से आप प्रयागराज आसानी से पहुंच सकते हैं।रेल मार्ग से यहां पहुंचने के लिए उत्तर मध्य रेलवे जोन के मुख्यालय होने के कारण प्रयागराज भारतीय रेल का प्रमुख स्टेशन है। यहां आठ रेलवे स्टेशन हैं जो भारत के प्रमुख शहरों से जुड़े हुए हैं।



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Shalini singh

Shalini singh

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