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Shakti Peeth Temples History: मध्यप्रदेश, बिहार और झारखंड के शक्तिपीठ
Shakti Peeth Temples History: शक्तिपीठ भारत के अलावा बांग्लादेश, तिब्बत, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी मौजूद हैं।
Shakti Peeth Temples: हिन्दू धर्म के ग्रंथ और पुराणों के अनुसार पृथ्वी पर जहां जहां भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से मृत माता सती के कटे अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए। ये शक्तिपीठ पवित्र तीर्थस्थल कहलाए । देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। ये शक्तिपीठ भारत के अलावा बांग्लादेश, तिब्बत, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी मौजूद हैं। इन्हीं में से आज की कड़ी में मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड के शक्तिपीठ के बारे में जानकारी देंगे।
मध्य प्रदेश के शक्तिपीठ
कालमाधव - देवी काली
भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित 'कालमाधव शक्तिपीठ' 51 पीठों में से एक है। इस स्थान पर देवी सती का बायां कूल्हा गिरा था । यहां सती 'काली' तथा शिव 'असितांग' के रूप में पूजे जाते हैं। यह स्थान मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित सोन नदी के पास स्थित है। सफ़ेद पत्थरों से बने इस मंदिर के चारों ओर तालाब है। मान्यता है कि यहां माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। दूर-दूर से यहां लोग माता के दरबार में आकर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए मां की पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है।
शोणदेश - नर्मदा (शोणाक्षी)
मध्यप्रदेश राज्य के अमरकंटक जिले में नर्मदा नदी के उद्गम स्थान पर माता सती का दायां नितंब यानि कूल्हा गिरा था। इसकी शक्ति को नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से पहुंचने के लिए यहां का निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर 228 किमी और रायपुर 230 किमी की दूरी पर स्थित है।रेल मार्ग से अमरकंटक पहुंचने के लिए सबसे करीब रेलवे स्टेशन पेंड्रा रोड है। यहां से शक्तिपीठ 17 किमी की दूरी पर स्थित है।सड़क मार्ग से मध्यप्रदेश का यह स्थान देश के अन्य राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
भैरवपर्वत - अवंती
मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के किनारे भैरव पर्वत पर माता सती के ऊर्ध्व ओष्ठ यानि ऊपरी ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति को अवंती और भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से पहुंचने के लिए इसका निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है । जहां से मंदिर 52 किलोमीटर की दूरी पर है। टैक्सी या बस के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं।रेल मार्ग से उज्जैन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
बिहार का शक्ति पीठ
सर्वानंदकरी
भारत के बिहार राज्य की राजधानी पटना में माता सती की दायीं जांघ गिरी थी। इस शक्तिपीठ को सर्वानंदकरी के नाम से जाना जाता है। इस शक्तिपीठ में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती तीन प्रतिमाएं रखी गई हैं। यहां भैरव और शक्तिदेवी सर्वानंदकारी की भी पूजा की जाती है। इस स्थान का नाम बड़ी पटनदेवी दिया गया है।
कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पटना का जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां से शक्तिपीठ 14 किलोमीटर दूर है।रेलवे मार्ग से पटना स्टेशन से करीब 9 किमी दूर है।हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पटना का जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां से शक्तिपीठ 14 किलोमीटर दूर है।रेलवे मार्ग से पटना स्टेशन से करीब 9 किमी दूर है।
झारखंड के शक्तिपीठ
वैद्यनाथ - जयदुर्गा
भारत के झारखंड राज्य स्थित वैद्यनाथ धाम पर माता सती का हृदय गिरा था। उस समय भगवान शिव ने उनके हृदय का दाह संस्कार किया था। यह स्थल चिता भूमि कहलाया। इस स्थान को हरदापीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां माता के रूप को जयमाता और भैरव को वैद्यनाथ के रूप से जाना जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र स्थान पर माता के दर्शन से कुष्ठ रोग और सभी प्रकार की बीमारियों और पापों से मुक्ति मिल जाती है।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा देवघर हवाई अड्डा है। देवघर के सिमरा हवाई अड्डा से मंदिर लगभग 8 किमी दूर है। इसके अलावा निकटतम हवाईअड्डे - रांची, गया, पटना और कोलकाता में हैं। रांची हवाई अड्डा से मंदिर लगभग 247 किमी दूर है। टैक्सी की सहायता से मंदिर पहुंचा जा सकता है।रेल मार्ग से निकटतम रेलवे स्टेशन देवघर जंक्शन है, जो मंदिर से लगभग 3 किमी दूर है।हावड़ा-पटना-दिल्ली लाइन से जसीडिह जंक्शन पहुंचकर 10 किमी की दूरी पर स्थित मंदिर जाया जा सकता है। सड़क मार्ग से भी देवघर अन्य राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)