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Durga Temple in UP: यूपी में मां दुर्गा के ये 6 प्रसिद्ध मंदिर, यहां दर्शन के लिए लाखों की संख्या में आते हैं भक्त
Shardiya Navratri 2022: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। 26 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक चलने वाली नवरात्रि में भक्त मां दुर्गा की पूजा कई तरह से करते हैं।
Shardiya Navratri 2022: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। 26 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक चलने वाली नवरात्रि में भक्त मां दुर्गा की पूजा कई तरह से करते हैं। साथ ही इस दौरान मां दुर्गा के दर्शन पाने के लिए मंदिरों में लाखों की संख्या में भिड़ होती है। अगर आप उत्तर प्रदेश से हैं या उत्तर प्रदेश घूमने जा रहे हैं तो आपको यहां कुछ मंदिरों के बारे में बताया गया है, जहां आप जाकर मां दुर्गा का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन प्रमुख और मशहूर मंदिरों के बारे में:
शैलपुत्री मंदिर, वाराणसी
वाराणसी में मां दुर्गा का शैलपुत्री मंदिर स्थित है, जहां मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों की लंबी भीड़ लगती है। बता दे कि देवी मां के नौ स्वरूपों में से एक माता शैलपुत्री के दर्शन करने के लिए पवित्र नगरी वाराणसी के अलईपुर क्षेत्र में मां शैलपुत्री का मंदिर जरूर जाएं। बता दे कि यहां हर साल काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। दरअसल मान्यता है कि यहां मां के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
मां ललिता देवी मंदिर, सीतापुर
उत्तर प्रदेश में सबसे पवित्र स्थानों में नैमिष धाम भी एक है। बता दे यह सीतापुर के मिश्रिख में बसा है, नैमिष धाम में मां ललिता देवी मंदिर स्थित है। दरअसल इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। बता दे ललिता देवी मंदिर माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता यह है कि यहां माता सती का हृदय गिरा था। इसलिए यहां सच्चे मन से पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर
दरअसल यूपी के ही बलरामपुर जिले में तुलसीपुर में माता का प्रसिद्ध मंदिर है। बता दे इस मंदिर का नाम देवी पाटन मंदिर है। दरअसल 52 शक्तिपीठों में से एक यह देवी पाटन मंदिर भी है। बता दे यहां माता सती का वाम स्कंध के साथ पट गिरा था। इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम पाटन पड़ा और यहां विराजमान देवी को माता मातेश्वरी कहा जाता है, जो सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले भक्तों की सारी इच्छा पूरी कर देती हैं।
तरकुलहा मंदिर, गोरखपुर
दरअसल बलरामपुर के करीब गोरखपुर जिले में माता का एक चमत्कारी मंदिर है, जो तरकुलहा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब कोई अंग्रेज मां के मंदिर के पास से गुजरता था तो क्रांतिकारी बंधू सिंह अंग्रेज का सिर काटकर देवी मां को समर्पित करता था। हालांकि एक बार अंग्रेजों ने बंधू सिंह को पकड़ लिया और सार्वजनिक फांसी की सजा सुनाई। लेकिन जैसे ही बंधू सिंह को फांसी दी जाने लगी, फांसी का फंदा टूट गया। ऐसा एक बार नहीं बल्कि 6 बार हुआ। बता दे अंत में जल्लाद बंधू सिंह के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि अगर उसने बंधू सिंह को फांसी नहीं दी तो अंग्रेज से मार डालेंगे। इसके बाद बंधू सिंह ने माता से प्रार्थना की तो 7वीं बार उन्हें फांसी हो गई। जिसके बाद से माता की महिमा दूर दूर तक फैली और लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आने लगे और माता सभी सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले भक्तों की इच्छा भी पूरी कर देती हैं।
प्रयाग शक्तिपीठ मां ललिता मंदिर, प्रयागराज
दरअसल 52 शक्तिपीठ में से एक संगम नगरी प्रयागराज में है। दरअसल यहां मां सती के हाथ की उंगली गिरी थी। बता दे यहां माता ललिता के तीन मंदिर हैं और तीनों को ही शक्तिपीठ माना जाता है। यहां नवरात्रि में माता के मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगता है और भक्त सच मन से प्रार्थना करते हैं उनकी सभी मनोकामना मां पूरी कर देती हैं।
विशालाक्षी मंदिर, वाराणसी
दरअसल काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता का शक्तिपीठ है। बता दे इस मंदिर का नाम विशालाक्षी मंदिर है। दरअसल यहां माता सती के काम के मणि जड़ित कुंडल गिरे थे। इसलिए इसे मणिकर्णिका घाट भी कहते हैं। बता दे यहां माता को विशालाक्षी मणिकर्णी के रूप में पूजा जाता है। सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की सभी मनोकामनाएं माता रानी पूरी कर देती हैं।