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यूपी के सीतापुर में ऐसा कुंड, जहां पर होता साक्षात चमत्कार, फेल हो जाते हैं विज्ञान के नियम

यूपी के सीतापुर के नैमिषरण्य धाम के पास गोमती नदी के तट पर अरवापुर गांव में रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां आज भी एक जीवित शिवलिंग स्थित है।

Vidushi Mishra
Written By Vidushi Mishra
Published on: 2 March 2022 2:40 PM GMT
Fruits floating in water Rudreshwar Mahadev Kund Sitapur
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सीतापुर में रूद्रेश्वर महादेव कुंड में पानी में तैरते फल (फोटो-सोशल मीडिया)

Sitapur: उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक अद्भुत कुंड है। यहां के चमत्कार को देखने के बाद विज्ञान के नियम भी उलटे पड़ जाते हैं। वैसे तो विज्ञान के हिसाब से हल्की चीजें पानी में तैरती है और भारी चीजे पानी में बैठ जाती है। जबकि पानी में दूध डालने पर मिल जाता है।

लेकिन इस अद्भुत कुंड के पानी में बेलपत्र यानी बेल की पत्ती जैसी हल्की चीज पानी में डूब जाती है जबकि सेब, अनार और अमरूद जैसे भारी फल पानी में उतर आते हैं यानी तैरने लगते हैं। इससे भी आश्चर्य की बात तो ये कि ये कुंड में दूध की धार को डालने पर दूध पानी की सतह को तीर की तरह चीरते हुए जाता दिखाई देता है।

रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर

सीतापुर में रूद्रेश्वर महादेव कुंड में पानी में तैरते फल (फोटो-सोशल मीडिया)

जीं हां ये कोई सुनी-सुनाई या अनदेखी बात नहीं है, बल्कि ये सच है। यूपी के सीतापुर के नैमिषरण्य धाम के पास गोमती नदी के तट पर अरवापुर गांव में रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर (Rudreshwar Mahadev Temple up) है। इस कुंंड के बारे में बताया जाता है कि यहां आज भी एक जीवित शिवलिंग स्थित है।

इस कुंड से जुड़ी कई पौराणिक परंपराओं के अनुसार, गोमती नदी के किनारे बने एक कुंड के भीतर स्थिति शिवलिंग को बाबा रुद्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। ऐसे बताया जाता है कि यहां एक निश्चित स्थान पर बेलपत्र कुंंड में जल के अंदर चली जाती है। यहां शिव के भक्तों को ओम नमः शिवाय का जप करना होता है।

भगवान शिव के भक्तों द्वारा इस चमत्कारिक शिवलिंग पर ओम नमः शिवाय का जप करने से बेलपत्र, दूध एवं फल चढ़ाने से पहले सभी चीजे जल में समा जाते हैं, फिर प्रसाद स्वरूप में मांगने पर एक फल वापस भी आ जाता है। महादेव के इस साक्षात चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। शिवरात्रि और सावन में यहां भक्तों का तातां लगा रहता है।

वहीं मंदिर के जानकारों का कहना है कि किसी समय इस स्थान पर पौराणिक शिव मंदिर हुआ करता था। जोकि अब जल के अंदर समा गया है। लेकिन जब कभी नदी का पानी कम होता है तो मंदिर का अवशेष दिखाई देने लगता है।


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